लॉकडाउन में बालिका वधु बनने से बची किशोरी ,प्रशासन की संयुक्त टीम ने रोका बाल विवाह

पाली परियोजना के ग्राम उड़ता में साढ़े 17 वर्षीय किशोरी की कल आने वाली थी बारात,टीम ने मौके पर पहुँचकर की कार्यवाई

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । महिला एवं बाल विकास विभाग की पहल से रविवार को एक किशोरी बालिका वधू बनने से बच गई। लॉकडाउन में परिजन साढ़े 17 वर्षीय किशोरी की शादी कर रहे थे ,लेकिन सूचना मिलते ही महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने चाईल्ड लाईन ,एवं पुलिस के साथ संयुक्त रूप से शादी से पहले पहुँचकर परिजनों की मंशा फेल कर किशोरी को बाल विवाह से बचा लिया। परिजनों को 18 वर्ष की निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत ही शादी करने का शपथ पत्र भरवाकर नियम तोड़ने वैद्यानिक कार्यवाई की चेतावनी दी गई है ।

मामला पाली परियोजना का है । पाली थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम उड़ता में एक साढ़े 17 वर्षीय किशोरी की लॉकडाउन में कसाई पाली के युवक से शादी तय कर दिया गया था। परिजन शादी कर रहे थे। 25 अप्रैल को बारात आने वाली थी । जिसकी सूचना डायल 112 के माध्यम से महिला एवं बाल विकास विभाग पाली के परियोजना अधिकारी सुश्री दीप्ति पटेल को प्राप्त हुई। उन्होंने तत्काल प्रकरण में गम्भीरता दिखाते हुए सेक्टर पर्यवेक्षक अनुपमा अग्रवाल को चाईल्ड लाईन के कर्मचारियों उमा प्रजापति ,अनिल पोते व पुलिस के साथ तत्काल कार्यवाई के लिए भेजा। संयुक्त टीम आरक्षक प्रवीण नरडे,संजय साहू के साथ देर शाम तक उड़ता पहुंची। पुलिस के साथ संयुक्त टीम को देख विवाह की तैयारी में जुटे परिजन हक्के बक्के रह गए। उन्हें समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि हमने कहीं न कहीं चूक की है। सेक्टर पर्यवेक्षक अनुपमा अग्रवाल ने परिजनों को विवाह किए जा रहे युवती की आयु पर संदेह जताते हुए आयु प्रमाणित करने अंकसूची दिखाए जाने की बात कही। परिजनों ने कक्षा दसवीं की अंकसूची दिखाई जिसमें जन्मतिथि 23 नवंबर 2003 दर्ज था। जिसके आधार पर कन्या के विवाह के लिए निर्धारित 18 साल की आयु से कन्या की आयु 5 माह कम पाई गई। टीम ने तत्काल इसे बाल विवाह करार देते हुए रोकने की बात कही। इससे परिजनों में हड़कंप मच गया। लेकिन विवाद बढ़ता उससे पहले पर्यवेक्षक एवं पुलिस ने बाल विवाह कराने पर निर्धारित कानूनन सजा के बारे में जैसे ही परिजनों को अवगत कराया, वे भी शादी रोकने को राजी हो गए। टीम ने किशोरी की आयु 18 साल पूर्ण होने विवाह के लिए कानूनन वयस्क होने के बाद ही शादी करने की सहमति हेतु परिजनों से शपथ पत्र भरवाया। परिजनों ने भी टीम की समझाईश मान ली है। आदेश की अवहेलना पर सम्बन्धितों पर कानूनन कार्यवाई किए जाने की भी चेतावनी दी गई है। इस तरह तीनों विभागों की संयुक्त प्रयास से जिला प्रशासन लॉकडाउन के कठिन दौर में भी बाल विवाह रोकने में सफल रहा।

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान

देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।

वर्जन

संयुक्त प्रयासों से रुकवा दिए हैं बाल विवाह

ग्राम उड़ता में बाल विवाह की सूचना मिली थी। विवाह स्थल पर टीम भेजकर तत्काल शिकायत की जांच कराई गई । शिकायत सही पाई गई है। कन्या की आयु विवाह के लिए निर्धारित आयु से 5 माह कम पाई गई है। परिजनों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के उपरांत ही शादी करने की समझाईश देने ,वैद्यानिक प्रक्रिया पूरी करने के साथ बाल विवाह रुकवा दिया है। बाल विवाह की सूचना लोग बेझिझक दें उनका नाम पता मोबाईल नम्बर सब गोपनीय रखा जाता है। जन सामान्य के सहयोग से प्रशासन जिले में बाल विवाह की सामाजिक बुराई को रोकने में सदैव सफल रहेगा।

सुश्री दीप्ति पटेल ,परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग ,पाली