कोरोना से संभलकर रहें डायलिसिस के मरीज ,पॉजीटिव हुए तो जिले में नहीं मिलेगी सुविधा

अस्पतालों में नहीं है डायलिसिस की बेहतर सुविधा, परेशान हो रहे मरीज

कोरबा। किडनी रोग से ग्रसित मरीज जिन्हें डायलिसिस कराना पड़ता है कोरोना के दूसरी लहर के कहर से वे सबसे अधिक बचकर रहें क्योंकि यदि वे संक्रमित हो गए तो उन्हें जिले में शायद ही डायलिसिस की सुविधा मिलेगी।जिले में पर्याप्त डायलिसिस सुविधा के अभाव उन्हें दूसरे जिले की दौड़ लगानी पड़ेगी।

जानकारी के अनुसार जिले के जिन अस्पतालों में सामान्य व एचसीवी (हेपेटाइटिस) डायलिसिस की सुविधा है, वहां कोरोना संक्रमित डायलिसिस के मरीज को किसी तरह की राहत नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से डायलिसिस के वे मरीज अपने आपको कोरोना के संक्रमण से नहीं बचा पाए हैं, उन्हें डायलिसिस के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके लिए रायपुर या दूसरे शहर की लंबी दूरी तय करना काफी कष्टप्रद होने लगा है।कोरोना पॉजीटिव होने के कारण दूसरे जिले में जाकर डायलिसिस करा रहे एक मरीज ने बताया कि कोरबा जिले में भी कोरोना संक्रमित डायलिसिस मरीजों के लिए व्यवस्था करने की नितांत आवश्यकता बन पड़ी है। पीड़ितों ने इसके लिए जिला प्रशासन की ओर आशा भरी निगाहों से देखना शुरू कर दिया है व जिले के जनप्रतिनिधियों से भी काफी अपेक्षाएं इस मामले में बनी हुई हैं।हालांकि कल राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने औद्योगिक उपक्रमों के महाप्रबंधकों की कोरोना से बिगड़ते हालात के मद्देनजर किए जाने वाले सुरक्षात्मक उपायों की वर्चुअल समीक्षा बैठक में पूर्व में वादा करने के बावजूद डायलिसिस सुविधा मुहैया नहीं कराने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी । इस दिशा में त्वरित पहल करने के निर्देश दिए हैं।

जहाँ सुविधा वहाँ है बदइंतजामी

बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल, ट्रामा सेंटर और एसईसीएल के एनसीएच गेवरा अस्पताल में डायलिसिस मशीन है। सामान्य सहित एचसीवी के डायलिसिस मरीजों को सुविधा तो किसी तरह मिल जाती है लेकिन इन दिनों कोरोना संक्रमित हो जाने पर किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल पा रही है। ट्रामा सेंटर में डायलिसिस की 5 मशीनें, जिला अस्पताल में 5 सामान्य और 1 एचसीवी और एनसीएच में 3 मशीन स्थापित हैं। बालाजी ट्रामा सेंटर को कोविड अस्पताल बना देने के बाद डायलिसिस की व्यवस्था अस्पताल के बाहरी परिसर स्थित एक भवन में की गई है जहां मरीजों को खुद से ही चल कर आना-जाना पड़ता है जो काफी कष्टप्रद होता है। इससे जूझ चुके एक मरीज ने बताया कि लाने-ले जाने के लिए व्हीलचेयर तक नहीं मिलता।