लॉकडाउन में शादी में कार्यवाई का भय दिखाकर ग्रामीण से 25 हजार रिश्वत मांगने वाला पटवारी सस्पेंड

करतला ब्लॉक के ग्राम नोनदरहा का मामला,ऑडियो वॉयरल होने पर कलेक्टर ने दिए थे जाँच के आदेश,अपर कलेक्टर ने की कार्यवाई ,अफसरों के नाम पर मांगी थी रिश्वत

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । लॉकडाउन में शादी के दौरान कार्यवाई न कराने के एवज में अधिकारियों के नाम से ग्रामीण अभिभावक से 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगने वाले नोनदरहा के पटवारी को कलेक्टर के अनुमोदन उपरांत अपर कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है। पटवारी के खिलाफ प्राप्त शिकायत सही पाए जाने एवं प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर यह कार्यवाई की गई है ।

यहाँ बताना होगा कि ग्रामीण अंचलों में हो रहे शादी-विवाह और मृत्यु भोज के आयोजनों में निर्धारित से अधिक संख्या में मौजूदगी से बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए प्रशासनिक और इसके अधीन अधिकारियों को निगरानी व कार्यवाही की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ताकि कोरोना संक्रमण पर काबू पाया जा सके। लेकिन सौंपे गए कर्तव्य का निर्वहन न कर इसकी आड़ में अधिकारियों के हवाले से खर्चा मांगने वाले एक पटवारी का मामला सामने आया था। करतला ब्लाक के ग्राम नोनदरहा के हल्का पटवारी जितेन्द्र सिंह का वह ऑडियो उजागर हुआ था । जिसमें उसके द्वारा गांव के मोहनलाल नामक व्यक्ति से बेटी के विवाह कार्यक्रम में कार्यवाही न कराने के एवज में व्यवस्था देख लेने की बात कही थी । सख्त नियमों का हवाला देकर पटवारी ने कोटवार के जरिए अपनी बात न पहुंचने पर विवाह आयोजक ग्रामीण से कहा कि साहब लोग आते हैं, आने से पहले खबर कर दूंगा, ज्यादा भीड़ मत लगाना, साथ ही कम से कम 25 हजार रुपए जुर्माना होने की बात कह साहब लोगों को खर्चा देने और अपने लिए भी व्यवस्था कर के रखने की बात कही। 2 मई को उक्त विवाह आयोजन संपन्न हुआ जिससे एक दिन पहले पटवारी ने खर्चा मांगने की यह पूरी रूपरेखा आयोजक परिवार के सदस्य मुखिया के समक्ष रखी।
यह मामला मीडिया के जरिए प्रकाश में आते ही कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल तक बात पहुंची तो रात में ही उन्होंने त्वरित संज्ञान लेकर जांच के निर्देश दे दिए। दूसरे दिन 4 मई को कलेक्टर द्वारा ग्राम नोनदरहा में संपन्न हुए शादी समारोह में पटवारी जितेन्द्र सिंह के द्वारा रुपए मांगने के संबंध में खबर पर संज्ञान लेकर जांच हेतु अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया को जांच अधिकारी नियुक्त कर 3 दिन के भीतर विस्तृत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने आदेश जारी किया।
आदेश के परिपालन में अपर कलेक्टर श्रीमती महोबिया ने परिवार के मोहनलाल को समक्ष में उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने हेतु 6 मई को प्रात: 11 बजे तलब किया। उक्ताशय की सूचना करतला तहसीलदार के जरिए प्राप्त होने पर मोहनलाल अपने परिचित के साथ गुरुवार को जिला मुख्यालय पहुंचा व अपर कलेक्टर के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। मोहनलाल ने बताया कि उससे 25 हजार रुपए की मांग की गई थी और देने के लिए तैयार भी हुए। हालांकि पटवारी दूसरे दिन पहुंचा नहीं। प्रकरण में प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर पटवारी को सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील)नियम 1966 के नियम 9 के उपनियम (1)के तहत निलंबित कर दिया है । पटवारी जितेंद्र सिंह का निलंबन अवधि में मुख्यालय तहसील कार्यालय कोरबा नियत किया गया है ।

तो क्या अधिकारी पाबंदियों की आड़ में करा रहे वसूली

पटवारी के खिलाफ इस कार्यवाई के बाद जिला प्रशासन ने एक बड़ा संदेश देने की कोशिश जरूर की है कि नियमों की आड़ में जिला प्रशासन की छवि खराब करने वाले दागदार कर्मचारियों को कतई बक्शा नहीं जाएगा। लेकिन अभी भी सूत्रों के जरिए ऐसी बातें सुनने को मिलती रहती है कि राजस्व अधिकारी अधीनस्थ अमलों से नियमों की आड़ में उगाही करा रहे हैं ,वो अलग बात है कि शादी निर्विघ्न संपन्न कराने की चाह में लोग शिकायत करने सामने नहीं आते । निश्चित तौर कोरोनाकाल एवं लॉकडाउन के दौरान ऐसा अमानवीय कार्य व्यवहार निंदनीय है ।