माली (Mali) में सैन्य अधिकारियों (Military officers) ने सोमवार को अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को हिरासत में ले लिया. इस तरह देश में एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गया है. गौरतलब है कि पिछले साल ही देश में सैन्य तख्तापलट (Military Coup) कर पूर्व राष्ट्रपति को पद से हटा दिया गया था. अफ्रीका महाद्वीप में स्थित माली में हाल ही में नई सरकार का गठन हुआ था. देश के तीन सबसे अहम पदों पर काबिज लोगों की हिरासत को लोग सैन्य तख्तापलट के तौर पर देख रहे हैं.
राजनयिक और सरकारी सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति बाह नदाव (Bah Ndaw), प्रधानमंत्री मोक्टार ओउने (Moctar Ouane) और रक्षा मंत्री सौलेमेन डौकौरे (Souleymane Doucoure) सभी को राजधानी बमाको (Bamako) के बाहर काटी (Kati) में एक सैन्य अड्डे पर ले जाया गया है.
सूत्रों ने बताया कि इस घटना से दो घंटे पहले सरकार ने पदों को लेकर फेरबदल किया, जिसमें सेना के दो सदस्यों ने अपना पद गंवा दिया. माना जा रहा है कि इस ‘तख्तापलट’ में इन दोनों लोगों का हाथ हो सकता है.
देश के बड़े इलाके पर अल-कायदा और IS का कब्जा
तीनों लोगों की हिरासत अगस्त में राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीटा (Ibrahim Boubacar Keita) के सैन्य तख्तापलट के बाद हुई है. सैन्य तख्तापलट की इस घटना से पश्चिम अफ्रीकी इस मुल्क में अव्यवस्था तेज होने की आशंका है. माली के बड़े इलाके पर पहले से ही अल-कायदा (Al Qaida) और इस्लामिक स्टेट (Islamic State) जैसे आतंकी संगठनों का कब्जा है. इस गरीब मुल्क की मदद के लिए पश्चिमी शक्तियों और पड़ोसी देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य घुसपैठ ने मदद प्रयासों को जटिल कर दिया है. इस वजह से इलाके में क्षेत्रीय असुरक्षा पैदा हो गई है.
अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने नेताओं की रिहाई की मांग की
माली में मौजूद संयुक्त राष्ट्र (United Nations) मिशन ने तीनों लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान किया है. मिशन ने कहा कि नेताओं को हिरासत में लेने वाले लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाब देना पड़ेगा. ECOWAS, संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ, यूरोपीय संघ और कई यूरोपीय देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा, शीर्ष क्षेत्रीय निर्णय लेने वाली संस्था ECOWAS का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को तख्तापलट की कोशिश को सुलझाने में मदद करने के लिए बमाको का दौरा करेगा. इसमें कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जबरन इस्तीफे सहित जबरदस्ती द्वारा लगाए गए किसी भी कार्य को अग्रिम रूप से खारिज करता है.
तो पद वापसी के लिए हुआ सैन्य तख्तापलट!
अगस्त में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद बाह नदाव और मोक्टार ओउने को 18 महीनों की सरकार का गठन करने का मौका दिया गया था, ताकि देश में नागरिक शासन स्थापित हो सके. लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने कई प्रमुख पदों को लेकर सैन्य नियंत्रण के खिलाफ कदम उठाया. माली सरकार के एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी ने कहा कि सैन्य तख्तापलट में शामिल रहे लोगों को पद से हटाना एक बहुत बड़ी गलती थी. उनका सिर्फ एक ही मकसद हो सकता है और वो ये है कि वे अपने पद वापस चाहते हैं. हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सेना आखिर चाहती क्या है. काती में एक सैन्य अधिकारी ने कहा कि ये सैन्य गिरफ्तारी नहीं थी.
2012 से जारी है उथल-पुथल
काती का सैन्य बेस माली के नेताओं के शासनकाल को खत्म करने के लिए कुख्यात रूप से प्रसिद्ध है. पिछले साल भी सेना ने राष्ट्रपति कीटा को काती लेकर आई थी और उन्हें जबरन इस्तीफा देने पर मजबूर किया. इससे पहले, 2012 में हुए एक विद्रोह के बाद कीटा के पूर्ववर्ती अमादौ तौमानी तोरे की सरकार को भी यहीं पर गिरा दिया गया था. उस घटना के बाद से ही माली में उथल-पुथल जारी है. तोरे की सरकार गिरने के बाद देश के उत्तरी दो-तिहाई हिस्से पर कब्जा करने के लिए एक जातीय तुआरेग विद्रोह शुरू हो गया. इस विद्रोह को जल्द ही अल-कायदा ने अपने हाथों में ले लिया. इसके बाद से एक बड़े हिस्से पर अल-कायदा का कब्जा है.