2 हजार 616 हेक्टेयर भूमि में इस साल नहीं ली जाएगी धान की फसल,दलहन -तिलहन का विस्तार करने की गई रकबे में कटौती

पिछले वर्ष की तुलना में दो हजार 200 हेक्टेयर से अधिक रकबे में बढ़ेगा खरीफ फसल

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2021 -22 में इस साल 2 हजार 616 हेक्टेयर कम भूमि में धान की फसल ली जाएगी। राज्य शासन के निर्देशानुसार धान के रकबे में कटौती कर दी गई है । इस साल एक लाख 31 हजार 300 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की खेती की जाएगी जिसमें 95 हजार हेक्टेयर में धान की फसल शामिल है। दलहन -तिलहन फसल का विस्तार करने यह कटौती की गई है ।

यहाँ बताना होगा कि पिछले वर्ष 1 लाख 29 हजार 55 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती की गई थी। गत वर्ष की तुलना में इस खरीफ सीजन में 2 हजार 245 हेक्टेयर के रकबे में बढ़ोत्तरी होगी। राज्य शासन की मंशा अनुसार किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए धान के रकबे में कमी की जायेगी और दलहन-तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाया जायेगा। इस वर्ष 13 हजार 250 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन और तिलहनों की फसलें लगेंगी जो कि पिछले वर्ष से एक हजार 466 हेक्टेयर अधिक होगा। पिछले वर्ष 11 हजार 937 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन-तिलहनी फसलों की खेती की गई थी। चालू खरीफ मौसम में जिले में धान के रकबे में 2 हजार 616 हेक्टेयर की कमी कर 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लेना प्रस्तावित है। इसी प्रकार धान, ज्वार, मक्का, कोदो, कुटकी को मिलाकर जिले में चालू खरीफ मौसम में 1 लाख 5 हजार 465 हेक्टेयर क्षेत्र में अनाज फसलें ली जायेंगी। इस वर्ष जिले में अनाज फसलों के कुल रकबे में भी लगभग 650 हक्टेयर की कमी होगी।उप संचालक कृषि ने बताया कि कोरबा में चालू खरीफ सीजन में 10 हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी और दो हजार 883 हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहनी फसलें लगाई जायेगी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दलहनी फसलों का रकबा एक हजार 151 हेक्टेयर और तिलहनी फसलों का रकबा लगभग 315 हेक्टेयर बढ़ेगा। जिले में चालू खरीफ मौसम में 12 हजार 432 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी व अन्य दूसरी फसलें ली जायेगी। उप संचालक ने बताया कि दस हजार 010 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का, 215 हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो-कुटकी और 25 हेक्टेयर क्षेत्र में ज्वार की फसल ली जायेगी।

मूंगफली और रामतिल की भी होगी बोनी

उप संचालक जनकदेव शुक्ल ने बताया कि चालू खरीफ मौसम में चार हजार 350 हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर, दो हजार 911 हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द, दो हजार 610 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल्थी व अन्य फसलें तथा 649 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की खेती होगी। इसी प्रकार एक हजार 658 हेक्टेयर क्षेत्र में तिल, 810 हेक्टेयर क्षेत्र में रामतिल और 415 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली की बोनी की जायेगी। आगामी मानसून को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल बोने के लिए तैयार रहने की सलाह दी जा रही है। मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में खेती-किसानी के काम में तेजी आयेगी और फसलों की बोनी भी शुरू हो जाएगी।

कहीं बोनस की राशि से राहत पाने का उपाय तो नहीं !

शासन के इस फैसले के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सूत्रों द्वारा आने लगी है । कुछ इसे बेहतर कदम बता रहे तो कुछ का कहना है कि प्रतिवर्ष राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत धान खरीदी पर समर्थन मूल्य के ऊपर दी जाने वाली बोनस की भारी भरकम राशि को कुछ हद तक कम करने की ये प्लानिंग है ।
सूत्रों की मानें तो सरकार की हालत बेहद खराब है इस वजह से यह निर्णय लेना पड़ा।ताकि कम धान खरीदी पर कम बोनस देना पड़े ।। बहरहाल मामला जो भी हो किसान इस निर्णय से हैरान हैं।।