महिला की शिकायत पर समझाईश देने वाले अधिकारी के खिलाफ शिक्षक संघ की ओछी राजनीति
कोरबा । जिले में जहां एक ओर शिक्षक तमाम जोखिमों के बीच कोरोना मुक्त कोरबा बनाने के विशेष अभियान के तहत शिद्दत से लोगो की सेवा में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी ओर यहां एक शिक्षक ऐसा भी है जो लोगो को परेशान करने की नीयत लिए बैठा है। शिक्षक ने पहले तो एक्टिव सर्विलेंस की आड़ लेकर पहले महिला का मोबाइल नंबर हासिल किया उसके बाद उसने महिला को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महिला ने जब इसका विरोध करते हुए मामले की शिकायत की तो समझाइश देने वाले अधिकारी के खिलाफ ही अब संघ की आड़ लेकर जमकर ओछी राजनीति की जा रही है।
मामला दर्री थाना क्षेत्र का है। यहां करीब पखवाड़े भर पूर्व एक बैंक मैनेजर महिला के परिवार में तीन लोग पॉजिटिव आ गए।कोविड -19 ड्यूटी के तहत शिक्षक एक्टिव सर्विलेंस के तहत आदिवासी महिला के घर पहुंचा यहां उसने बड़ी ही चतुराई से संक्रमित पिता के नंबर के साथ ही महिला व उसकी बड़ी बहन का नंबर हासिल कर लिया। शिक्षक इस बीच लगातार महिला से उसके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के बहाने रोज देर तक इधर उधर की बात करता रहा ये न तो शिक्षक की ड्यूटी थी न ही उसकी जिम्मेदारी लेकिन वो न जाने किन मंसूबो के तहत महिला को अमूमन हर रोज फोन करता रहा। कभी 16 मिनट तो कभी 10 मिनट से अधिक उसको कॉल कर परेशान करता रहा। महिला ने विरोध किया तो शिक्षक ने कॉल करना तो बंद कर दिया लेकिन उसने महिला का पीछा नहीं छोड़ा। परिवार में सदस्यों के ठीक होने पर जब 11 दिन बाद महिला 25 मई को बैंक पहुंची तो यहां भी उसके पीछे पहुंच गया।
उसने इस दौरान महिला से बदसलूकी करते उसको अपमानित किया महिला ने मामले से जुड़ी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से साझा करते उन्हें लिखित शिकायत की । जिसके आधार पर अधिकारी ने सख्त लहजे में शिक्षक को समझाईश देते दुबारा कॉल न करने की सलाह दी। कॉल पर शिक्षक ने मामले में अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी भी मांगी ,सबको लगा मामला यहीं खत्म हो गया, लेकिन ठीक इसके उलट मामले में यहीं से ओछी राजनीति शुरू कर दी गई। शिक्षक ने अपने संघ से जुड़े पदाधिकारियों को मामले से जुड़ी आधी सच्चाई बता राजनीति शुरू करा दी। अधिकारी के समझाइश के लहजे को आधार बना उस पर कार्रवाई की मांग करने लगे लेकिन न तो शिक्षक ने संघ के लोगो को बताया कि आखिर वो कौन सी वजह थी जो एक्टिव सर्विलेंस के बहाने शिक्षक छेड़छाड़ की नीयत रखने लगा, ऐसी कौन सी वजह थी जो शिक्षक महिला के बैंक शाखा पहुँच गया और किस अधिकार से उसने महिला का अपमानित किया। संघ पदाधिकारियों को भी अपने साथी शिक्षक के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार का दर्द है लेकिन उनको उस महिला के आत्मसम्मान की बिल्कुल परवाह नहीं जिसको शिक्षक ने सार्वजनिक रूप से अपमानित किया है सिर्फ इस वजह से क्योंकि महिला शिक्षक से बात नहीं करना चाह रही थी, महिला शिक्षक से बात करे भी तो आखिर क्यों ? इस मामले ने पूरी ईमानदारी के साथ कार्य कर रहे शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का कार्य किया है हमारे पास शिक्षक के खिलाफ की गई शिकायत की कॉपी मौजूद है लेकिन हम शिक्षक पद की गरिमा का ध्यान रखते उसके नाम को नहीं प्रकाशित कर रहे है क्योंकि ऐसा करने से कइयों ईमानदार शिक्षक का मनोबल टूटेगा लेकिन यह सोचना उन संघ के पदाधिकारियों का भी कर्तव्य है कि आखिर वो किसका साथ दे रहे है और क्यों ? क्या शिक्षक संघ उस महिला बैंक अधिकारी से मुलाकात करेगा और मामले में अपने शिक्षक की गलती पाए जाने पर उसके विरुध्द आवश्यक कार्रवाई करते उसकी सदस्यता समाप्त करेगा साथ ही शिक्षा विभाग को भी चाहिए कि पूर्ण समर्पण से कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित करें लेकिन पेशे को बदनाम करने वाले शिक्षकों के विरुध्द कार्रवाई भी सुनिश्चित करे।