नकटी खार के नाले में विभाग की लापरवाही हुई उजागर ,अधिकारियों ने साधी चुप्पी
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आदिवासी बाहुल्य जिले में शिक्षा विभाग की गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये की इंतिहा हो गई है। शनिवार शहर से लगे नकटीखार में हजारों नग गणवेश के दर्जनों गठान बहते मिले । शिक्षा के जरिए बच्चों की नईया पार लगाने लाखों रुपए खर्च कर आपूर्ति की गई पानी में बहता सरकारी संपत्ति शिक्षा विभाग की बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे की पोल खोल कर रख दी है ।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत देश के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है । साथ ही साथ बच्चों की सुविधाओं का भी ख्याल रखा जा रहा है जिसके तहत उन्हें प्रतिवर्ष दो नग गणवेश निःशुल्क प्रदान किया जा रहा है। ताकि शासकीय शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता बनी रहे,बच्चे शिक्षा हासिल करने उत्साहित रहें।इसके लिए प्रत्येक जिलों को करोड़ों रुपए की राशि दी जाती है,हथकरघा बोर्ड से कपड़ों की थान की खरीदी कर बच्चों के नाप के हिसाब स्थानीय स्तर पर शाला प्रबंधन समिति तय शुल्क के आधार पर गणवेश की खरीदी करती है ,तो किसी वर्ष व्यवस्था में बदलाव कर बच्चों की नाप लेकर स्कूलवार आर्डर लेकर रेडीमेड गणवेश आपूर्ति के लिए आर्डर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ,हथकरघा को दे दिया जाता है। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में भी प्रतिवर्ष सवा लाख से अधिक पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए गणवेश की खरीदी की जाती है। जिसके लिए प्रत्येक छात्र 600 रुपए की दर पर करोड़ों रुपए का भुगतान अनुबंधित फर्म को किया जाता है। लेकिन इस साल कोरोनाकाल में स्कूल बंद रहने के बाद शेष बचे गणवेश की सुरक्षा भगवान भरोसे है । शनिवार को नकटीखार के नाले में दर्जनों नग गणवेश के गठान बहते मिले। जिसमें हजारों नग रेडीमेड गणवेश थे। लाखों रुपए का यह गणवेश कहाँ से आया किसने बहाया यह अपने आप में सवाल खड़े करता है। कुछ दिन पूर्व ही कोरबा बीईओ कार्यालय के लिपिक के मकान से भी दर्जनों नग गणवेश के गठान मिले थे । इस घटना को भी लोग उससे जोड़कर देख रहे हैं। मामले में हसदेव एक्सप्रेस ने डीईओ सतीश पांडे,एवं कोरबा बीईओ संजय अग्रवाल को कॉल किया लेकिन उनके द्वारा कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका है। अधिकारी इस मामले में मीडिया के सवालों से बचने का प्रयास कर रहे हैं।
विभागीय सर्जरी की जरूरत
प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम कोरबा के प्रभारी मंत्री हैं । बावजूद जिले में शिक्षा व्यवस्था की यह निंदनीय तस्वीर सिस्टम पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।इतनी बड़ी मात्रा में गणवेश कैसे बचे । क्या बच्चों की फर्जी दर्ज संख्या बताकर गणवेश मंगाया गया। क्या लॉक डाउन में ही गणवेश की खरीदी कर ली गई। इसके पूर्व भी पिछले 2 सालों से शिक्षा विभाग संलग्नीकरण ,फर्जी शिक्षा कर्मियों पर एफआईआर नहीं कराने ,डीएमएफ से सामग्रियों की खरीदी में गड़बड़ी को लेकर सुर्खियों में रहा है। कोरबा प्रवास के दौरान शिक्षा मंत्री से सवाल करने पर वो हमेशा डीईओ सहित जिले की शिक्षा व्यवस्था की तारीफों के पुल बांधते आ रहे हैं। जो अपने आप में विचारणीय प्रश्न है। आकांक्षी जिले में शामिल कोरबा की शिक्षा व्यवस्था को दागदार होने से बचाने के लिए शासन स्तर से विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों के सर्जरी की दरकार है।