लिपिक के मकान में पहले शासकीय गणवेश पाया गया फिर अगले दिन नाले में बहते मिले थे हजारों नग गणवेश,कलेक्टर के निर्देश पर विभाग ने की कार्यवाई
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। शिक्षा विभाग के लिपिक के घर गणवेश मिलने एवं इसके बाद नाले में बहाए जाने के मामले में कलेक्टर के निर्देश पर डीईओ ने लिपिक को जाँच प्रतिवेदन में दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में लिपिक का मुख्यालय बीईओ कार्यालय करतला तय किया गया है।
उल्लेखनीय है कि विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ लिपिक धीरज आर्य के निर्माणाधीन मकान में बच्चों के गणवेश व अन्य शैक्षणिक सामाग्री पाई गई थी। ये वही स्कूल ड्रेस थी, जो शहर से लगे गांव नकटीखार के नाले में बहते हुए मिली थी। मीडिया ने शिक्षा विभाग की यह लापरवाही उजागर की थी। जिसे कलेक्टर ने गंभीरता से लिया था। कलेक्टर रानू साहू ने डीईओ को जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया। 14 जून को दोपहर के बाद आदेश जारी कर जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे ने इसके लिए दोषी बाबू धीरज कुमार आर्य को निलंबित कर दिया है।
इस पूरे प्रकरण के लिए शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर लिखा है कि समाचार के माध्यम से धीरज आर्य के मकान में स्कूल ड्रेस, टाटपट्टी, विज्ञान किट, छात्रावास का गद्दा और संविधान बुक प्राप्त होने की जानकारी मिलने के बाद संजय अग्रवाल विकासखंड शिक्षा अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया था। जिसके आधार पर 11 जून को जांच टीम ने दोपहर में 1:30 पर मौके पर पहुंचकर मकान मालिक के संबंध में जानकारी ली तो वह मकान धीरज का होना पाया गया। नाले में बहते मिले थे गणवेशवीडियो फुटेज के आधार पर शासकीय गणवेश भारतीय जानकारी नहीं मिली अगले दिन गणवेश मौके पर नहीं मिली, जिसे हटा दिया गया। अगले दिन गणवेश नकटीखार नाले में बहते हुए मिले, जिससे धीरज पर संदेह व्यक्त किया गया।जांच दल को 850 नग शर्ट और 50 नग पैंट इस तरह कुल 900 नग गणवेश नकटीखाना नाला से प्राप्त हुआ है। जांच दल द्वारा जांच प्रतिवेदन में दिए गए निष्कर्ष के आधार पर और समाचार के वीडियो फुटेज में दिख रही दिखाई दे सामग्री एक जैसी प्रतीत हो रही थी। जिससे धीरज की इस कार्य मे संलिप्तता प्रतीत होती है।
2015 का गणवेश बताया गया
जांच दल ने यह पाया कि गणवेश वर्ष 2015 के पूर्व का है. तब स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश सिलाया जाता था. जिसके स्टोर के प्रभारी भी धीरज ही थे।इससे स्पष्ट होता है कि गणवेश की जानकारी धीरज को थी।गणवेश उसके मकान में थे, जिसकी पुष्टि वीडियो फुटेज में होती है। जिसकी जिम्मेदारी धीरज आर्य की है।इस लापरवाही और अनुशासनहीनता के कारण धीरज आर्य को निलंबित किया जाना न्यायोचित होगा।