एसईसीएल कर्मियों को सुविधाएं दे पाने में नाकाम,प्रगतिनगर बी टाईप कालोनी में भरा पानी,एसडीएम ने लगाई फटकार

एसईसीएल को तत्काल जल निकासी की व्यवस्था करने के दिए निर्देश ,कर्मी प्रबंधन की अनदेखी से नाराज

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । एसईसीएल की लचर जल निकासी व्यवस्था की वजह से प्रगतिनगर दीपकावासियों के लिए इस बार भी मानसून की पहली ही झड़ी में समस्या खड़ी हो गई है। बी टाईप कालोनी में जलभराव की समस्या सुर्खियां बनने के बाद कलेक्टर के निर्देश पहुंचीं कटघोरा एसडीएम ने अधिकारियों जमकर फटकार लगाई । उन्होंने पानी निकासी के सभी पॉइंट्स में पंपों की संख्या बढ़ाकर जलस्तर कम करने ,जम चुके मिट्टी को साफ कर गत वर्ष काटे गए रोड यथावत रखने के निर्देश दिए हैं।

यहाँ बताना होगा कि एसईसीएल दीपका परियोजना अपने प्रगतिनगर बी टाईप कालोनी में निवासरत कर्मियों की सुरक्षा व सुविधाओं के प्रति गम्भीर नहीं है। पिछले लंबे अर्से से प्रगतिनगर के बी टाईप कालोनी में पूरे बरसात भर जलभराव की समस्या से कर्मचारी सपरिवार जूझ रहे हैं। दरअसल दीपका खदान क्षेत्र है । पूर्व में मलगांव में डेम बना था ।जहाँ पूरा पानी जाता था। बाद में डेम टूट गया। पानी के बहाव को रोकने के लिए अस्थाई तौर पर नाला बनाया गया है । लेकिन उस ढलान में पानी बेहतर फ्लो के साथ नहीं जा पा रहा है। जिसकी वजह से जलभराव की स्थिति निर्मित होती है। एसईसीएल प्रबंधन साल भर कुम्भकर्णी नींद में सोया रहता है बरसात में जब जलभराव की विकराल स्थिति निर्मित होती है तो केवल प्रशासन के कोपभाजन से बचने के लिए तत्कालिक राहत का कार्य करता है। सोमवार को भी बी टाईप के मकानों तक पानी घुस गया था। इसकी जानकारी कलेक्टर को मिली तो कलेक्टर रानू साहू ने एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी को तत्काल मौके पर जाकर आवश्यक कार्यवाई के निर्देश दिए। एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने पानी निकासी के सभी पॉइंट्स में पंपों की संख्या बढ़ाकर जलस्तर कम करने ,जम चुके मिट्टी को साफ कर गत वर्ष काटे गए रोड यथावत रखने के निर्देश दिए हैं। ताकि बरसाती पानी का बहाव न रुके।

तो शिफ्ट कर दें कालोनी

जिस तरह एसईसीएल प्रबंधन हर साल की फटकार के बावजूद अपने कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया करा पाने में नाकाम रहा है उसे देखते हुए प्रबंधन को कम से कम अपने कर्मचारियों को ऊर्जा नगर या कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर देना चाहिए। कर्मचारी सपरिवार बरसात भर जद्दोजहद करते रहते हैं। पानी के साथ जलजनित बीमारियों ,रेंगती हुई मृत्यु(सर्प दंश)का भय कर्मियों के परिवारों को सताता रहता है।