सूरजपुर/ सूरजपुर प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा बीट के कक्ष क्रमांक 101 में 11 जून को नर दंतैल (टस्कर) हाथी का शव मिला था। शव सड़ी-गली हालत में था। उसकी मौत करीब 10 से 12 दिन पहले हुई होगी। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में नर दंतैत हाथी की मौत मामले में वन विभाग के अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरी है। वन विभाग ने DFO डीपी साहू, प्रतापपुर SDO बीके लकड़ा, रेंजर प्रेम चंद्र मिश्रा को हटा दिया है। जबकि वनपाल विजय कुमार कुजूर और वन रक्षक मानसिंह सस्पेंड कर दिए गए हैं। हाथी का शव मिलने के मामले में अफसरों और कर्मचारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप है। जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है। पोस्टमार्टम में पता चला था कि आकाशीय बिजली गिरने से हाथी की मौत हुई। इतने दिनों तक शव पड़ा रहा और जानकारी नहीं होने पर कार्रवाई की गई। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जताई थी नाराजगी दरअसल, वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सूरजपुर के प्रतापुपर परिक्षेत्र में मृत मिले हाथी मामले में हुई लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई थी। साथ ही कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। जिसके बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने तीन अधिकारियों को अचैट करते हुए दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। DFO डीपी साहू को रायपुर मुख्यालय, SDO बीके लकड़ा और रेंजर प्रेम चंद्र मिश्रा को CCF ऑफिस अचैट किया गया है। 11 जून को मिला था हाथी का सड़ा-गला शव सूरजपुर प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा बीट के कक्ष क्रमांक 101 में 11 जून को नर दंतैल (टस्कर) हाथी का शव मिला था। शव सड़ी-गली हालत में था। उसकी मौत करीब 10 से 12 दिन पहले हुई होगी। हाथी की उम्र करीब 20 से 25 साल के बीच थी। चरवाहे से ही विभाग को हाथी के शव की जानकारी मिली थी। पोस्टमार्टम में पता चला था कि आकाशीय बिजली गिरने से हाथी की मौत हुई। इतने दिनों तक शव पड़ा रहा और जानकारी नहीं होने पर कार्रवाई की गई। आख़िर कटघोरा डीएफओ को इतनी छूट क्यो…? बीते साल कटघोरा वन मंडल में एक हाथी की मौत पर डीएफओ संत हटाये गए थे, उनकी जगह आईं शमा फारूकी के डीएफओ रहते हाथी के 2 बच्चों की मौत हुई, तेंदुआ का शव मिला लेकिन छूट पर छूट मिल रही है। इधर सूरजपुर जिले में करीब 12 दिन पहले हुई हाथी की मौत पर वन मंत्री ने फिर बड़ी कार्रवाई की है. ऐसे में प्रदेश के वन अधिकारियों में यह चर्चा सरगर्म है कि हाथी की मौत पर कार्यवाही में भेदभाव क्यों बरती जा रही है? क्या मंत्री का वरदहस्त होना किसी बेजुबान की मौत पर की जा रही कार्यवाही से ज्यादा मायने रखती है? क्या शमा फारुखी के लिए नियम-कायदे बदल जाते हैं? वन मंत्री अकबर को डीएफओ शमा फारूकी के अनुभवहीन व लापरवाह प्रबंधन पर कोई ऐतराज नहीं दिखता। बता दें कि छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा गांव में 11 जून 2021को दंतैल हाथी का शव मिला था। उसके दांत गायब थे लेकिन वन महकमे को कई दिन तक भनक न लगी। अब हाथी की मौत पर वन मंत्री मो. अकबर की नाराजगी के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने कार्यवाही की है। निःसंदेह लापरवाही पर कार्यवाही उचित है लेकिन जब बात कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल की करें तो यहां की प्रमोटी डीएफओ शमा फारुखी पर आकर नियम-कायदे, नाराजगी, सख्ती, विभागीय कार्यवाही थम जाते हैं, सिर्फ इसलिए कि वे वनमंत्री की वरदहस्त हैं। डीएफओ शमा के अनुभवहीन और लापरवाहीपूर्ण प्रबंधन के कारण साल 2020 में इनके कार्यकाल में हाथी के 2 बच्चों की मौत और तेंदुआ का शव मिलने पर अभयदान दिया गया। किसी भी तरह की कार्यवाही डीएफओ पर आज तक नहीं की गई। सिलसिला यहीं नहीं थमा बल्कि इन्हीं के कार्यकाल में बांकीमोंगरा के हर्राभाठा बीट के बांस बाड़ी से 500 से अधिक हरे-भरे बांस की कटाई प्रतिबंधित अवधि में रेंजर, डिप्टी रेंजर, वन रक्षक की मौजूदगी में कराई गई। मामला राजधानी तक गूंजा और बीट गार्ड शेखर सिंह रात्रे ने अपने अधिकारियों पर की लेकिन शीर्ष अधिकारी मौन रहे। वन क्षेत्र में करोड़ों रुपये के आधे-अधूरे, गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की गूंज कटघोरा वनमंडल में सुनाई पड़ रही है, लेकिन ऊर्जाधानी से लेकर राजधानी तक खामोशी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है
