अधिकारियों के प्रश्रय ,मौन स्वीकृति की वजह से प्रभार के लिए भटक रहे नए सचिव नागेंद्रधर दीवान
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जनपद पंचायत कोरबा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रजगामार के सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी को जिला पंचायत से संरक्षण मिल रहा है। स्थानांतरण आदेश के 24 दिन बाद भी सचिव सोनवानी प्रभार लेने पहुंचे नए सचिव को प्रभार देने के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। उच्च अधिकारियों द्वारा आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित नहीं कराने ,प्रश्रय देने की वजह से जहां भ्रष्टाचार में डूबे सचिव सोनवानी नियम विरुद्ध जमे हुए हैं। वहीं कार्यस्थल से नए पंचायत के लिए कार्यमुक्त हो चुके सचिव नागेंद्रधर दीवान अधर में लटक गए हैं ।

यहाँ बताना होगा कि कार्यालय जिला पंचायत सीईओ कोरबा ने 7 जुलाई को जिले के कोरबा ब्लॉक में पदस्थ 4 ग्राम पंचायतों रजगामार ,माखुरपानी,अजगरबहार,एवं खोड़ड़ल के सचिव का स्थानांतरण आदेश जारी किया था। जारी आदेश के तहत नए पदस्थापना स्थल में पंचायत सचिवों को 3 दिवस के भीतर संपूर्ण प्रभार लेकर जिला कार्यालय को अवगत कराने का उल्लेख है। लेकिन ग्राम पंचायत रजगामार के सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी को उक्त आदेश से कोई परवाह नहीं है। उन्होंने स्थानांतरण आदेश के तहत माखुरपानी से रजगामार पंचायत सचिव बने नागेंद्र धर दीवान को पंचायत में जॉइनिंग के 20 दिन बाद भी आज पर्यन्त प्रभार नहीं सौंपा। जबकि उन्हें 10 जुलाई तक हर हाल में प्रभार सौंपना था। प्रभार नहीं सौंपने की सूचना सचिव नागेंद्र धर दीवान ने कार्यालय जनपद पंचायत कोरबा में दे दी थी । ताकि इस दौरान किसी भी प्रकार के आदेश निर्देश ,जांच कार्यवाई का ठीकरा उनके सिर पर बेवजह न फूटे।
बताया जा रहा है कि पंचायत सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी अपना तबादला आदेश निरस्त करवाने की जुगत में लगे हुए हैं। कांग्रेस समर्थित सरपंच के सपोर्ट का फायदा उठा पंचों को अपने पक्ष में कर स्थानांतरण आदेश निरस्त करने दबाव बना रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो रजगामार से ही कुछ व्यक्ति नए सचिव नागेंद्र धर दीवान को प्रभार न लेने दबाव डालने से लेकर धमका रहे हैं।
यही नहीं पिछले 3 सालों में यहाँ करोड़ों रुपए विकास कार्यों के लिए दिए गए। लेकिन सूत्रों की मानें तो इस राशि का जमकर बंदरबाट किया गया है। पोल न खुल जाए इस डर से भी प्रभार देने आनाकानी की जा रही है। सचिव सोनवानी के उक्त कारनामे को हसदेव एक्सप्रेस न्यूज ने प्रमुखता से प्रकाशित कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था। 20 जुलाई को ही जनपद सीईओ कोरबा गोपाल मिश्रा ने उक्त खबर पर संज्ञान लेते हुए सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी को 3 दिवस के भीतर सचिव नागेंद्रधर दीवान को सम्पूर्ण प्रभार सौंपने का आदेश दिया था। आदेश की अवहेलना पर सचिव को अनुशासनात्मक कार्यवाई व उक्त अवधि का वेतन भुगतान नहीं किए जाने चेतावनी दी गई थी।लेकिन इसके बाद भी आज पर्यन्त न तो सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी ने न नागेंद्रधर दीवान को न तो चार्ज दिया न ही सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी के खिलाफ आज पर्यन्त कोई कार्यवाई हुई।
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तो क्या सचिव सोनवानी को जिला पंचायत से मिल रहा संरक्षण
जिस तरह कार्यालय जिला पंचायत कोरबा द्वारा स्थानांतरण आदेश जारी करने के बाद भी सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी द्वारा नए सचिव को 24 दिन बाद भी चार्ज नहीं दिया गया है । उसने जिला पंचायत कोरबा के सक्षम अधिकारियों की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। सचिव नागेंद्रधर दीवान माखुरपानी का सम्पूर्ण प्रभार सौंपकर 10 जुलाई के पूर्व ही कार्यमुक्त हो चुके हैं। लेकिन पदभार नहीं मिलने की वजह से बीच मझधार में लटक गए हैं। पूरे मामले में कार्यालय जिला पंचायत द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाना यह दर्शाता है कि सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी द्वारा प्रभार देने में की जा रही आनाकानी मनमानी में उच्च अधिकारियों की मौन स्वीकृति है। जिससे जिले में बहुत ही शर्मनाक सन्देश जा रहा है। एक सचिव प्रशासनिक आदेश लिए पदभार लेने भटक रहा है। कहीं न कहीं इस पूरे मामले में जिला प्रशासन को संज्ञान लेने का वक्त आ चुका है ताकि पहुंच एवं प्रभाव से प्रशासनिक व्यवस्था होती है यह संदेश दिया जाना नितांत आवश्यक हो गया है ।
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14वें वित्त की राशि में की गड़बड़ी ,जनपद को भी नहीं दिया जवाब
ग्राम पंचायत रजगामार में 14 वें वित्त की लाखों रुपए राशि का बंदरबाट किया गया है। फर्जी प्रस्ताव बनाकर व गुणवत्ताहीन कार्य कराकर लाखों रुपए डकार लिया गया है। इससे संबंधित जानकारी की सत्यप्रतिलिपि के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 में कराए गए कार्यों के बिल व्हाउचर्स व्यय प्रमाणक की जानकारी मांगी गई थी। लेकिन निर्धारित समयावधि में सहायक जन सूचना अधिकारी पँचायत सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। यहाँ तक कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा द्वारा निर्धारित प्रथम अपील की तिथि में भी न तो उपस्थित हुए न ही कोई पत्राचार किए । न ही आवेदक को जानकारी प्रदान किए। भ्रष्टाचार की पोल खुल जाने की डर सचिव में इस कदर समाया है कि उसे संविधान द्वारा पारित कानून की भी परवाह नहीं है।प्रथम अपीलीय अधिकारी जनपद पंचायत सीईओ कोरबा ने 15 दिवस के भीतर आवेदक को निःशुल्क जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया है । लेकिन सचिव ने उक्त आदेशों का भी पालन नहीं किया।