कोरबा। अपने बीमार बेटे के लिए दवाई लेने कोरबा जा रहे फुलसर गांव का कोटवार और उसका साथी तानाखार पेट्रोल पंप के पास सड़क हादसे का शिकार हो गए। सामने से तेज रफ्तार से आ रही बस ने इनकी बाइक को टक्कर मार दी। कोटवार की मौके पर ही मौत हो गई जबकि कुछ ही देर में साथी ने भी दम तोड़ दिया। दोनों शवों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कटघोरा पहुँचाया गया।
प्राप्त जानकारी अनुसार फुलसर निवासी देवन दास पिता शिवरतन दास (35) कोटवार था। उसके सबसे छोटे बेटे का इलाज कोरबा के अस्पताल में जारी है। इसी सिलसिले में आज वह अपने गांव के ही साथी रोशन सिंह नेटी पिता सुहाग सिंह नेटी (20) के साथ कोरबा जाने के लिए फुलसर से रवाना हुआ था। दोपहर करीब 2:30 तानाखार के आगे लुईसा पेट्रोल पंप के पास कटघोरा से अम्बिकापुर की तरफ जा रही तेज रफ्तार महिंद्रा बस (सीजी 12 एक्स 0356) के चालक ने लापरवाही पूर्वक बस चलाते हुए बाइक को टक्कर मार दी। भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि दोनों की ही मौके पर मौत हो गई। घटना के बाद ड्राइवर बस सहित फरार हो गया। बहरहाल पुलिस ने सूचना पर आरोपी ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उसकी तलाश की जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ठीक उसी जगह पर एक भीषण कार-बस हादसा में मरवाही विधायक के इंजीनियर पुत्र समेत तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। आज फिर से हुई दुर्घटना ने कटघोरा-बांगो के बीच सड़क सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं जबकि यातायात, परिवहन विभाग का भारी-भरकम अमला हादसों के कारणों के एनालिसिस में ही लंबे समय से लगा हुआ है।
भारी वाहनों के फिटनेस की नहीं होती नियमित जांच
भारी वाहनों से लेकर यात्री वाहनों के चालकों एवं परिचालकों के संबंध में किसी भी तरह की जांच-पड़ताल, बसों का फिटनेस आदि के बारे में बहुत कम मौकों पर पड़ताल की जाती है। जिले को स्पीडोमीटर वाहन भी प्राप्त है लेकिन इसका उपयोग लंबे समय से नहीं होते देखा गया है जबकि आउटर और हाईवे पर तेज दौड़ते वाहनों पर नियंत्रण के लिए लगातार जांच करने की आवश्यकता है। हादसे होने के दिन या उसके बाद एक-दो दिन तक यहां यातायात, परिवहन अमला और उड़नदस्ता पहुंचकर छोटी-छोटी कार्रवाई करने के बाद खामोश बैठ जाते हैं। शहर की बजाय आउटर के क्षेत्रों में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत लोगों ने बताई। कई ऐसे भी यात्री वाहन है जो परमिट और फिटनेस शर्तों का उल्लंघन कर संचालित हो रहे हैं लेकिन इनकी जांच के प्रति विभाग की गंभीरता बहुत ही कम देखने को मिलती है।