केंद्र सरकार के कथित आदेश से राज्यभर के आरटीओ बेरियर बंद करने की चर्चा के बीच माना जा रहा है कि प्रदेश सरकार केंद्र की इस एडवायजरी से असहमत हो सकती है। वजह ये है कि राज्य में करीब सालभर पहले जिन कारणों से बेरियर दोबारा खोले गए थे, वे कायम हैं। दूसरी अहम बात ये है कि राज्य को बेरियर से साल में करीब 150 करोड़ का राजस्व मिलता है। इसकी भरपाई कैसे होगी।
रायपुर. केंद्र सरकार के कथित आदेश से राज्यभर के आरटीओ बेरियर बंद करने की चर्चा के बीच माना जा रहा है कि प्रदेश सरकार केंद्र की इस एडवायजरी से असहमत हो सकती है। वजह ये है कि राज्य में करीब सालभर पहले जिन कारणों से बेरियर दोबारा खोले गए थे, वे कायम हैं। दूसरी अहम बात ये है कि राज्य को बेरियर से साल में करीब 150 करोड़ का राजस्व मिलता है। इसकी भरपाई कैसे होगी। इसके साथ ही तर्क ये भी है कि नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में अन्य प्रदेशों की वाहनों को बेरोकटोक आवाजाही की इजाजत नहीं दी जा सकती। सवाल ये भी है कि अगर बेरियर बंद हुए तो ओवरलोड वाहनों की जांच कैसे होगी। केंद्र के पत्र की पुष्टि के बाद होगा एक्शन शुरु
केंद्र सरकार द्वारा 6 सितंबर को जारी पत्र को लेकर अब भी संशय है। दरअसल ये पत्र सरकार को आधिकारिक रूप से मिला है या नहीं, इस बात की पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है। वजह ये है कि पत्र मिलने के बाद से राज्य में चार दिनों से अवकाश रहा है। माना जा रहा है कि सोमवार को दफ्तर खुलने के बाद साफ होगा कि ये पत्र वास्तव में आया है या नहीं। 150 करोड़ के राजस्व का क्या होगा अधिकारियों का ये कहना भी है कि बैरियर से राज्य सरकार को साल में करीब 150 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है। अगले साल तक यह बढ़कर 200 करोड़ रुपए हो सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अगर बैरियर बंद किए गए तो राजस्व की भरपाई कैसे होगी। केंद्र ने सेल्स टैक्स बंद कर जीएसटी लागू किया तो राज्यों को कंपनसेशन दिया जा रहा है। क्या बैरियर से मिलने वाले राजस्व में कमी हुई तो केंद्र भरपाई करेगा।
पत्र केवल एडवायजरी, आदेश नहीं इधर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि वायरल हो रहे पत्र को अगर सही भी मान लिया जाए तो उसमें लिखे शब्द केवल एडवायजरी हैं। केंद्र सरकार का आदेश नहीं है। केंद्र द्वारा कई विषयों पर राज्य को समय-समय पर एडवायजरी भेजी जाती है, उसे मानना या न मानना राज्य सरकार पर निर्भर रहता है। ओवरलोड वाहनों की जांच कैसे होगी परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वाहनों में माल लदान के नियम के मुताबिक ओवरलोड वाहन नहीं चलाए जा सकते हैं। ओवरलोडिंग से दुर्घटना की आशंका तो होती ही है, साथ ही सड़क भी क्षतिग्रस्त होती है। ऐसे में ओवरलोड वाहनों की जांच के लिए बैरियर आवश्यक हैं, क्योंकि कई वाहन मालिक ओवरलोडिंग के लिए अलग और बिल्टी बनाकर ओवरलोड करते हैं। केवल दस्तावेज के आधार पर उन्हें पकड़ा नहीं जा सकता। यही नहीं, वाहनों की फिटनेस जांच, परमिट की जांच भी बैरियर के माध्यम से होती है। चोरी गए वाहनों की धरपकड़ के लिए भी बैरियर की जरूरत है।
