छत्तीसगढ़ में किसानों को साल-दर-साल उर्वरक खाद की कमी से होने वाली परेशानी से अगले साल जूझना नहीं पड़ेगा। दरअसल अब यूरिया की जगह नैनो यूरिया और एनपीके खाद लिक्विड रूप में आ जाएगी। सरकारी क्षेत्र की कंपनी इफको ने इसे लंबे समय तक अनुसंधान के बाद तैयार किया है। इस खाद के आने से ये सुविधा होगी कि एक एकड़ के लिए जहां दो बोरी रासायनिक खाद लगती है, उसकी जगह केवल एक लीटर लिक्विड खाद लगेगी। यही नहीं, इस नैनो लिक्विड खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ने का दावा है और खेती की जमीन पर हानिकारक प्रभाव भी कम हो जाएगा।
रायपुर. छत्तीसगढ़ में किसानों को साल-दर-साल उर्वरक खाद की कमी से होने वाली परेशानी से अगले साल जूझना नहीं पड़ेगा। दरअसल अब यूरिया की जगह नैनो यूरिया और एनपीके खाद लिक्विड रूप में आ जाएगी। सरकारी क्षेत्र की कंपनी इफको ने इसे लंबे समय तक अनुसंधान के बाद तैयार किया है। इस खाद के आने से ये सुविधा होगी कि एक एकड़ के लिए जहां दो बोरी रासायनिक खाद लगती है, उसकी जगह केवल एक लीटर लिक्विड खाद लगेगी। यही नहीं, इस नैनो लिक्विड खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ने का दावा है और खेती की जमीन पर हानिकारक प्रभाव भी कम हो जाएगा। खत्म होगी परिवहन की समस्या रासायनिक खाद वितरण के मामले को लेकर सबसे बड़ी समस्या खाद का परिवहन है। अगर छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां रायपुर से लेकर बस्तर, सरगुजा सहित प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में सोसायटियों या खुले बाजार के लिए खाद उपलब्ध कराना बड़ा कठिन काम है। यह सारा काम ट्रकों के माध्यम से किया जाता है। परिवहन में देरी से खाद की उपलब्धता कम होती है और यही वजह है कि कालाबाजारी भी शुरू हो जाती है, लेकिन अगले साल से खाद परिवहन का काम आसान हो जाएगा
25 ट्रक के बराबर एक ट्रक नैनो खाद जानकारों के अनुसार अभी ट्रकों में भरकर खाद भेजी जाती है। ऐसे में 25 ट्रकों में जितनी खाद आती है और खेती के जितने रकबे की जरूरत पूरी होती है, अब उतने ही रकबे के लिए केवल एक ट्रक नैनो खाद लगेगी यानी ट्रकों के माध्यम से होने वाले परिवहन के काम में भारी कटौती हो जाएगी। यही नहीं, रासायनिक खाद के भंडारण के लिए बड़े-बड़े गोदामों की जरूरत होती है, अब उसकी आवश्यकता भी काफी कम हो जाएगी। एक एकड़ में दो बोरी के बजाय एक लीटर प्रदेश में आमतौर पर एक एकड़ जमीन के लिए दो बोरी खाद लगती है, लेकिन नैनो लिक्विड का इस्तेमाल किए जाने पर इसकी मात्रा केवल एक लीटर लगेगी। जानकार बताते हैं कि रासायनिक खाद के छिड़काव के दाैरान 30 प्रतिशत यूरिया ही फसल के काम आता है। बाकी 70 प्रतिशत पौधे से दूर होकर जमीन बेकार चली जाती है। इससे जमीन को भी नुकसान होता है। लिक्विड खाद में ऐसा नहीं होगा।
कीमत भी आधी रासायनिक खाद यूरिया का रेट करीब 260 रुपए प्रति बोरी 50 किलो का होता है। एक एकड़ में दो बोरा खाद डालने पर 520 रुपए खर्च होते हैं, जबकि नैनो खाद एक लीटर की कीमत करीब 250 रुपए है। यह एक एकड़ के लिए उपयुक्त होगी। इस हिसाब से रासायनिक खाद की जगह नैनो खाद लगभग आधी कीमत में मिलेगी। लिक्विड खाद की तैयारी इस साल अब तक प्रारंभिक रूप से करीब 70 हजार बॉटल नैनो खाद का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में किया गया है, लेकिन अगले साल इस प्रोडक्ट को पूरे प्रदेश में उतारने की तैयारी है। सरकारी क्षेत्र की कंपनी इफको ने कई वर्षों तक अनुसंधान के बाद तैयार किया है। यह प्रयोग अब तक सफल रहा है। उम्मीद कर सकते हैं कि नैनो खाद से खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। – बैजनाथ चंद्राकर, अध्यक्ष, अपेक्स बैंक