सरगुजा में नई कोल माइन: कोयले के लिए 348 हेक्टेयर से 405 परिवार होंगे विस्थापित; राजस्थान के थर्मल प्लांट को की जानी है आपूर्ति…

छत्तीसगढ़ में सरकार अब कोयला खनन के लिए भरे-पूरे गांव उजाड़ेगी। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने सरगुजा जिले के घाटबर्रा गांव की पूरी जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की है। इसके मुताबिक सरकार राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के लिए 348 हेक्टेयर जमीन लेगी। इसमें गांव के 405 परिवारों का घर भी आ रहा है। यानी इन लोगों को अपना गांव छोड़ना होगा। प्रशासन की ओर से इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सरकार की ओर से कहा गया है, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के थर्मल पॉवर प्लांट के लिए कोयले की आपूर्ति की जानी है। इसके लिए उदयपुर तहसील के घाटबर्रा गांव की 348.126 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। अधिसूचना में पटवारी हल्का नंबर 17 में जमीन के उन सभी टुकड़ों का विवरण दिया गया है, जिसे खनन परियोजना के लिए अधिग्रहित किया जाना है। कहा गया है, भूमि-अधिग्रहण की जद में आने वाले सभी परिवारों को विस्थापित करने की योजना भी प्रस्तावित है।

यह पूरा इलाका जैव विविधता से भरा हुआ है। कई नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है।

यह पूरा इलाका जैव विविधता से भरा हुआ है। कई नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है।

60 दिन में दर्ज करा सकते हैं आपत्ति

सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने अधिसूचना प्रकाशन के 60 दिनों के भीतर दावा-आपत्ति देने का समय तय किया है। परसा ईस्ट कोल ब्लॉक में राजस्थान को आवंटित यह वही खदान है, जिसके विकास और संचालन की जिम्मेदारी अडानी समूह को मिली है।

अधिग्रहण से पहले ही जमीन खरीद चुका है अडानी समूह

इस गांव में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से कई वर्ष पहले से अडानी समूह सक्रिय है। पिछले साल सरगुजा कलेक्टर की जांच में सामने आया कि अडानी समूह ने गैर कानूनी तरीकों से किसानों से जमीन लेकर उन पर कब्जा कर लिया है। कम से कम 32 किसानों को वन अधिकार पत्र से मिली जमीन के कंपनी के कब्जे में होने की जानकारी आई थी। इसके लिए एक नोटरी पर हस्ताक्षर करवाए गए थे।

हसदेव अरण्य को उजाड़ने का रास्ता बना रही है सरकार

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला कहते हैं, सरकार इस भू-अर्जन प्रक्रिया के जरिए हसदेव अरण्य उजाड़ने का रास्ता बना रही है। इस अधिग्रहण में पूरा घाटबर्रा गांव उजड़ जाएगा। उन्होंने कहा, स्थानीय आदिवासी वर्षों से खनन का विरोध कर रहे हैं। ग्राम सभाओं के विरोध के बाद भी गैर कानूनी रूप से भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। आलोक शुक्ला का आरोप है, राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इसी क्षेत्र में पांच अन्य खदानों को खोलकर हजारों हेक्टेयर जंगल खत्म करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है।

इसी के बगल वाली खदान को मार्च में मिली थी पर्यावरण मंजूरी

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने मार्च 2021 में परसा ईस्ट केतेवासन कोल ब्लॉक के बगल में ही परसा कोल ब्लॉक के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी थी। इसके तहत राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को सरगुजा जिले के गांव साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा और सूरजपुर जिले के जनार्दनपुर और तारा गांव स्थित 1 हजार 252 एकड़ जमीन पर खुली खदान और कोल वॉशरी लगाने की अनुमति दी गई थी। इस क्षेत्र के 841 एकड़ में घना जंगल है। इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस परियोजना को मंजूरी दे चुका है।

इसी जमीन के अधिग्रहण के लिए लगाया था कोल बियरिंग एक्ट

भूमि अधिग्रहण कानून के तहत ग्राम सभाओं से सहमति मिलता न देखकर केंद्र सरकार इन्हीं वन और राजस्व की जमीनों के लिए कोल बियरिंग एक्ट लाई थी। उसके तहत जमीनों का अधिग्रहण शुरू हुआ था। उस समय वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस पूरी प्रक्रिया को गलत बताया था। कहा गया था, इस तरह के अधिग्रहण से पहले राज्य सरकार से भी नहीं पूछा गया है। कोल बियरिंग एक्ट एक केंद्रीय कानून है जिसके तहत सरकार उस जमीन का अधिग्रहण कर सकती है जिसमें कोयला है। इसके खिलाफ एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।