कांग्रेस ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा मांग कर बड़ा फैसला लिया है। अब इस सियासी हलचल का असर छत्तीसगढ़ में भी दिखाई देने लगा है। दरअसल यहां भी 16 जून 2021 के बाद मुख्यमंत्री बदले जाने की चर्चा जोरों पर है। हालांकि पंजाब और छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां इस मामले में अलग हैं। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू, कुछ मंत्री और विधायकों ने कैप्टन के खिलाफ बगावत की थी जबकि छत्तीसगढ़ में बगावत जैसी कोई बात नहीं है। यहां दो नेताओं के बीच ढाई-ढाई साल सीएम बनने की बात है, लेकिन मुद्दा मुख्यमंत्री बदले जाने का ही है।
जैसे ही पंजाब के मुख्यमंत्री बदले जाने की खबर छत्तीसगढ़ पहुंची है, यहां भी नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस से जुड़े लोग ही यह कह रहे हैं कि यदि CG में मुख्यमंत्री बदलने का निर्णय करना है तो हाईकमान एक-दो दिन में ही इसे भी कर देगा। उनका मानना है कि यदि कहीं एक बार बड़ा फैसला लिया जाता है उसे दूसरे स्थान पर लागू करना आसान होता है।
ढाई माह में ऐसे बढ़ा ढाई साल का विवाद
2018 चुनाव के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तभी से एक फार्मूले की बात हुई। इसके तहत भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे ऐसा कहा गया। यह बात कभी अधिकारिक तौर पर नहीं कही गई, लेकिन सभी नेता, दिल्ली के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि ऐसा हुआ था। 16 जून को बघेल सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद सिंहदेव समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनवाने के लिए दबाव बनाना शुरू किया। दिल्ली में भी हाईकमान को ढाई-ढाई साल के फार्मूले की याद दिलाई जाने लगी। इस दौरान दिल्ली में नेताओं के दौरे बढ़ गए।
राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया, महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ टीएस व बघेल से मीटिंग की, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन पर कोई निर्णय नहीं हो सका। 25 अगस्त से फिर सरगर्मी बढ़ी। पता नहीं क्या चर्चा हुई कि प्रदेश से 50 से अधिक विधायक दिल्ली पहुंच गए। इनमें से कुछ लोगों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के समर्थन में वहां आए हैं। 27 अगस्त को राहुल गांधी ने एक बार फिर टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल को मिलने बुलाया। 4 घंटे बैठक के बाद बाहर निकले पीएल पुनिया ने कहा छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल ही रहेंगे, लेकिन टीएस सिंहदेव ने कहा एक ही चीज स्थायी है वह है परिवर्तन।
कोई भी निर्णय संभव
दिल्ली के कांग्रेस नेताओं के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अभी भी ढाई साल के सीएम वाला मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में कुछ दिन इंतजार करने कहा गया था, कोई स्थायी निर्णय नहीं लिया गया। इन नेताओं का कहना है कि दिल्ली से कुछ पर्यवेक्षक छत्तीसगढ़ भेजे जाएंगे। वे वहां जाकर सियासी हालात पर रिपोर्ट देंगे। इसके बाद कोई भी निर्णय संभव है।
बघेल ने हमेशा कहा कि सभी विधायक उनके साथ
इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हमेशा कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी विधायक उनके साथ हैं। उनका पूरा समर्थन उन्हें हैं। बघेल ने यह भी कहा है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है। वे जब चाहेंगे वे मुख्यमंत्री का पद छोड़कर पार्टी में जो जिम्मेदारी दी जाएगी उसे निभाएंगे।
पूर्व मंत्री ने विधायकों के हस्ताक्षर अभियान की बात ट्विट की
कांग्रेस के इस विवाद पर भारतीय जनता पार्टी तंज कसने का कोई मुद्दा नहीं छोड़ रही है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, राजेश मूणत इस विषय पर लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। अजय चंद्राकर ने दो दिन पहले ट्विट कर कहा कि मुख्यमंत्री के समर्थन में छत्तीसगढ़ में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, ऐसी जरूरत क्यों है।
पंजाब का मामला बिलकुल अलगः कांग्रेस प्रवक्ता
पंजाब में कांग्रेस के निर्णय का छत्तीसगढ़ में क्या असर होगा, इस सवाल पर पार्टी के प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं कि पंजाब का मामला बिलकुल अलग है और छत्तीसगढ़ का अलग है। वहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं और विधायकों के बड़े हिस्से ने बदलाव की मांग की थी। इसलिए ऐसा निर्णय किया गया। यहां विधायकों की नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है।