कोरबा। प्रशसान की गाइडलाइन से रावण दहन को आतुर राजनेताओ की इच्छा पर इस साल भी पानी फिर गया है।कोरोना के कारण इस बार रावण के कद को घटा दिया गया है। कड़े नियम कानून को देखते हुए दशहरा उत्सव समिति के संचालक भी आगे नहीं आ रहे हैं। वहीं रावण दहन के लिए एड़ी चोंटी एक करने वाले नेताओं द्वारा भी रुचि नहीं ली जा रही है।
नवरात्र प्रारंभ होने के साथ साथ शहर में रावण दहन की तैयारी शुरु कर दिया जाता था। नवरात्र के बाद यह दूसरा बड़़ा आयोजन हुआ करता था। शहर कार्यक्रम में अतिथि बनने के लिए नेताओं के बीच भी प्रतिस्पर्धा हुआ करता था हर साल यह देखा जाता था कि कौन से पार्टी के और कौन नेता सबसे ज्यादा रावण दहन करता है। अतिथि बनाने के लिए दशहरा उत्सव समिति संचालक भी जमकर उठापटक किया करते थे।
आपको यह बताना लाज़मी होगा कि दशहरा निकट आते ही जहां उत्सव के बहाने चंदा मांगने वालों की कतार लग जाती थी वहीं मुख्य राजनैतिक दल से जुड़े सदस्यों में मुख्य अतिथि बनने को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती थी। दशहरा के बहाने पार्टी कार्यकर्ताओं में अपनी प्रतिष्ठा को लेकर कड़ी आजमाईश शुरू हो जाती थी, लेकिन कोरोना गाइड लाइन ने उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। ग्रामीण क्षेत्रों महीने भर तक दशहरा उत्सव जारी रहता था। चुनावी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए यह बेहतर अवसर साबित होता था, जिसमें जमीनी स्तर से लेकर जिला स्तर के नेता अपनी धाक जमाने में पीछे नहीं रहते थे, साथ ही चंदा के बहाने आयोजन करने वालों को आर्थिक समस्या नहीं होती थी। हालिया स्थिति यह है कि दशहरा के बहाने जनता में अपनी राजनैतिक पैठ बनाने वाले नेताओं के मंशा पर कोविड़ काल ने पानी फेर दिया है।