हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जुगाड़ के जरिए मूल पदस्थापना को छोंड़कर मलाईदार पदों /कार्यस्थल पर जमे नायब तहसीलदार ,लिपिक सहित पर्यवेक्षक को अब मूल विभाग में सेवाएं देनी पड़ेंगी। प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने संलग्नीकरण का मामला उजागर होने संज्ञान में लाए जाने के बाद भी आवश्यक कार्रवाई न कर प्रश्रय दिए जाने पर जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जिसकी जो जिम्मेदारी है जहाँ कार्यस्थल है उनसे वही कार्य लें एक शिक्षक 9 साल से एसडीएम कार्यालय चला रहा ये शर्मनाक बात है। अगर प्रशासन ने पहल नहीं कि तो अफसर विधानसभा में सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहें।

यहां बताना होगा कि राजस्व मंत्री के जिले में पहुंच वालों का गजब का जुगाड़ चल रहा है। मलाईदार पद व स्थान पर बने रहने की वजह से सारे नियम कायदे कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं।आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला औद्योगिक जिला के रूप में पूरे प्रदेश देश में पहचान बना चुका है। कोरबा से शासन को इतना राजस्व मिलता है कि यहाँ के राजस्व से 5 जिले का बजट चलता है। यही वजह है कि हर शासकीय सेवक कोरबा जिले में आना चाहता है। लेकिन यहां पदस्थ होने के बाद यहां से जाने की किसी की इच्छा नहीं होती। यहाँ की आबो हवा व अकूट राजस्व अधिकारी कर्मचारियों को इस कदर रास आता है कि अपना स्थानान्तरण रुकवाने ऐडी चोटी का जोर लगाने से पीछे नहीं हटते। जिले के राजस्व विभाग में कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। प्रभारी तहसीलदार दर्री के पद पर पदस्थ नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल का 2 माह पूर्व25 अगस्त 2021 को छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने गौरेला -पेंड्रा -मरवाही स्थानान्तरण किया था। स्थानांतरण के लिए समन्वय पर अनुमोदन प्राप्त किया गया था। लेकिन 2 माह बीतने के बाद भी वे आज पर्यन्त प्रभारी तहसीलदार दर्री के पद पर पदस्थ हैं।यहाँ बताना होगा कि राजस्व अधिकारियों के पदस्थापना नीति में इस बाद का भलीभांति ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि किसी भी उनके गृह क्षेत्र में प्रभार न दिया जाए। बावजूद सोनू अग्रवाल के प्रकरण में उक्त नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया। उनके गृह क्षेत्र बालको के अंतर्गत आने वाले दर्री तहसील का उन्हें प्रभारी तहसीलदार बना दिया गया है। नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल इससे पूर्व करीब 5 माह तक उप पंजीयक कोरबा के प्रभार में भी रहे। इस दौरान उनकी कार्यशैली काफी चर्चित रही थी। रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने उन पर मोटी रकम लेकर रजिस्ट्री करने का आरोप लगाया था। बाद में भी विवाद बढ़ता देख जिला प्रशासन ने उन्हें हटा दिया था। संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था भले ही शासन ने कागजों में समाप्त कर दी हो पर जिले में यह कभी समाप्त नहीं होगा। पोंडी उपरोड़ा सहित जिले में संलग्नीकरण समाप्त किए जाने के 6 माह बाद भी शिक्षक मूल संस्था के लिए भारमुक्त नहीं हुए हैं। इन शिक्षकों में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक में पदस्थ एक ऐसे शिक्षक भी हैं जो करीब 9 साल से एसडीएम पोंडी उपरोड़ा के कार्यालय में स्टेनो के पद पर पदस्थ हैं। इस बीच आधा दर्जन से अधिक एसडीएम आए और चले गए । पर मजाल है कि कोई इन्हें यहाँ से हटा सकें। ये वनांचल प्राथमिक शाला अमाखोखरा में पदस्थ शिक्षक ईश्वर जायसवाल हैं। इनका कलेक्टर रानु साहू की फटकार के बाद डीईओ ने बैक डेट में 23 मार्च 2021 को संलग्नीकरण समाप्त कर मूल शाला में भेजने आदेशित कर दिया। खुद डीईओ सतीश पांडेय स्थानान्तरण आदेश में मुंगेली चले गए पर शिक्षक ईश्वर आज भी स्टेनो के पद पर कार्यरत हैंआदिवासी बाहुल्य वनांचल स्कूल आमाखोखरा के बच्चों की ।पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है।इसी तरह कार्यालय कलेक्टर अधीक्षक भू -अभिलेख शाखा में पदस्थ सहायक ग्रेड -2 विनोद कुमार करियारे पिछले 2 साल से कटघोरा एसडीएम कार्यालय के मलाईदार डायवर्सन शाखा में संलग्न हैं। इनको मूल कार्यालय में भेजने पत्र लिखा जा चुका है ।हाल ही में एक लिपिक सहायक ग्रेड -3 रोहित यादव के देहांत के बाद लिपिक सूर्यवंशी के वापसी की मांग ने जोर पकड़ ली है।
संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था की आंच में महिला एवं बाल विकास विभाग भी झुलस रहा है।महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना करतला के बेहरचुआं सेक्टर में पदस्थ श्रीमती मीनाक्षी चंद्रवंशी पिछले 3 साल से स्थानीय निर्वाचन में संलग्न हैं। इनकी ड्यूटी नगरीय निकाय चुनाव के दौरान लगाई गई थी । लेकिन आज पर्यन्त इन्हें स्थानीय निर्वाचन विभाग ने मूल विभाग के लिए भारमुक्त नहीं किया है । जिसकी वजह से पूरा बेहरचुआं सेक्टर सफर कर रहा है। बेहरचुआं जिले की अंतिम छोर पर रायगढ़ जिले की सीमा से लगा सेक्टर है। जिसके अधीन 23 आँगनबाड़ी केंद्र आते हैं। इन केंद्रों में 500 से अधिक हितग्राही विभाग की योजनाओं से लाभान्वित होते हैं।जिनमें अधिकांश गरीब आदिवासी हैं। मीनाक्षी चंद्रवंशी की स्थानीय निर्वाचन विभाग से वापसी नहीं होने की वजह से यहाँ का अतिरिक्त प्रभार सेंद्रीपाली की पर्यवेक्षक प्रिंयका लकड़ा को दिया गया है।लेकिन 25 किलोमीटर दूर सेक्टर की सतत मॉनिटरिंग संभव नहीं है। जिसे देखते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक मीनाक्षी को भारमुक्त करने उप जिला निर्वाचन अधिकारी सामान्य निर्वाचन विभाग को 3 बार पत्र लिख चुका है। बावजूद उन्हें भारमुक्त नहीं किया गया। पर्यवेक्षक मीनाक्षी चंद्रवंशी के पति आलोक चंद्रवंशी एसआई हैं जो वर्तमान में करतला थाना प्रभारी हैं। सूत्रों की मानें तो अपने पति के पद के प्रभाव के बूते आज पर्यन्त पर्यवेक्षक मीनाक्षी स्थानीय निर्वाचन में बनी हुई हैं। स्थानीय निर्वाचन में वर्तमान में चुनाव या उपचुनाव जैसी कोई प्रक्रिया भी नहीं चल रही ऐसे में घर बैठे ही वे विभाग से वेतन ले रही हैं।हसदेव एक्सप्रेस द्वारा 27 अक्टूबर को जारी उक्त खबर को भले ही जिला प्रशासन ने अब तक राजनीतिक दबाव के आगे संज्ञान न लिया हो पर हमेशा अनुचित कार्यों क्रियाकलापों के विरुद्ध मुखर रहने वाले प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। उन्होंने भी हैरानी जताई आखिर आदिवासी बाहुल्य जिले में एक शिक्षक कैसे 9 साल से स्टेनो बना एसडीएम कार्यालय चला रहा। डीईओ बीईओ कागजों में संलग्नीकरण समाप्त कर मीडिया को जनता को गुमराह कर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। बाबुओं से मनचाहा जगह पर कार्य लिया जा रहा है। पर्यवेक्षक आंगनबाड़ी की मॉनिटरिंग छोंड़ जिले में ड्यूटी बजा रही हैं।उन्होंने दो टूक लहजे में कहा परंपरा किसी भी सरकार में शुरू हुई हो प्रशासन को इस पर त्वरित एक्शन लेना चाहिए नहीं तो अफसर विधानसभा में जवाब देने तैयार रहें। आदिवासी बाहुल्य जिले में मनमानी नहीं चलने देंगे।
बोले ननकी सोनू अग्रवाल के प्रभार क्षेत्र में जमीनों की हो रही हेरा फेरी ,खसरा इधर का उधर
पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक श्री कंवर ने कहा है कि व्यक्तिगत तौर पर बोलना तो उचित नहीं पर सोनू अग्रवाल के प्रभार क्षेत्र में जमीनों की हेरा फेरी हो रही। कई जगह खसरा नम्बर इधर का उधर हो रहा। जिसको जहाँ मौका मिला है वो वहां जम गया है। यह अत्यंत गलत परंपरा है । इसे तत्काल बन्द करना चाहिए।