- नान की डीएम इंचार्ज मैडम प्रज्ञा कदम ने किया नान गोदामों का निरीक्षण… लाट का लिया सैंपल… क्या सच आएगा सामने ?
- पीडीएस राशन दुकानों में पहुंचा खराब, गुणवत्ता विहीन, अमानक स्तर का चावल… खाद्य विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
- जांच हुई तो सामने आएगा 100 करोड़ का नान घोटाला !
कोरबा। ‘छत्तीसगढ़ वैभव’ लगातार 2020-21 की कस्टम मिलिंग में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और नान घोटाले का समाचार प्रकाशित करते आ रहा है. जिसके खुलासे के बाद खराब, गुणवत्ता विहीन, अमानक स्तर के चावल की कस्टम मीलिंग कराने वाले नान अधिकारियों और मिलर्स में हड़कंप मचा हुआ है. पिछली कड़ी में हमने ” कोरबा में नान घोटाला… कमाल की कस्टम मीलिंग” और पार्ट- 2 ” करोड़ों का नान घोटाला… जमकर चले लात घूंसे” शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था. जिसके बाद जिला नान अधिकारी के. के. यदु आनन-फानन में रिलीव कर दिए गए या हो गए, जिनके कार्यकाल में करोड़ों का नान घोटाला हुआ है ! जिसके बाद नान की डीएम बनी प्रज्ञा कदम मैडम ने चार्ज संभाला और खबर प्रकाशित होने के बाद उनके द्वारा विगत दिनों कोरबा एवं कटघोरा केंद्र स्थित नान गोदामों का दौरा कर निरीक्षण किए जाने की खबर है. जिसमें व्यापक गड़बड़ियां सामने आई हैं. वर्ष 2020-21 के मिलर्स और नान अधिकारियों की भ्रष्टाचार की हांडी में पका खराब गुणवत्ता विहीन अमानक स्तर के चावल का डिस्पैच रोके जाने, साथ ही गुणवत्ता विहीन चावल के लाट की रीसेंपलिंग कर उसे टेस्टिंग के लिए मुख्यालय भेजे जाने की भी जानकारी भी सामने आई है. हमने मामले में पक्ष जानने के लिए नान की डीएम प्रज्ञा कदम मैडम से तीन बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन वह फोन रिसीव नहीं कर रही हैं.
100 करोड़ का नान घोटाला… भूमिका पर उठे सवाल

खबर के मुताबिक जिले में लगभग डेढ़ लाख टन चावल की कस्टम मिलिंग की जाती है, जिसमें लगभग 50,000 टन खराब गुणवत्ता विहीन, अमानक स्तर का चावल की कस्टम मीलिंग कोरबा एवं कटघोरा केंद्र स्थित नान गोदामों में की गई है. खराब गुणवत्ता विहीन अमानक स्तर के चावल की कस्टम मिलिंग के लिए केंद्र स्थित गुणवत्ता निरीक्षक (क्वालिटी इंस्पेक्टर) की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. तत्कालिक अवधि में नान गोदाम में कटघोरा केंद्र- क्वालिटी इंस्पेक्टर ( संविदा वाले) अमित चंद्राकर और कोरबा केंद्र- जवाहर पटेल पदस्थ रहे हैं ! विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि, नान अधिकारियों और मिलर्स ने मिलकर शासन को लगभग 100 करोड़ रुपए की आर्थिक चपत लगाई है. ( खबर सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार राशि को लेकर दावा नहीं)

डीएम मैडम आई थीं…सैंपल लेकर गई हैं…लेकिन दबे पाव पीडीएस राशन दुकानों में खपाया रहा खराब, गुणवत्ता विहीन चावल
करोड़ों के नान घोटाले और खबर प्रकाशन के बाद सकते में आया विभाग और भ्रष्टाचारी गैंग ने गजब की सक्रियता दिखाई. कोरबा और कटघोरा स्थित नान गोदामों में रखा गुणवत्ता विहीन चावल सुदूर ग्रामीण अंचलों में छोटी- बड़ी मात्रा में भेज कर स्टॉक क्लियर किया जा रहा है. नाम न छापने की शर्त पर नान के एक अधिकारी ने बताया कि डीएम मैडम आई थीं, सैंपल लेकर गई हैं, किसी को नोटिस दी हैं या नहीं, नहीं पता ! लेकिन खराब, गुणवत्ता विहीन चावल के लाट सुदूर ग्रामीण वनांचल पीडीएस राशन दुकानों में दबे पांव भेजे जा रहे हैं! उन्होंने यह भी बताया कि इसमें क्वालिटी इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध है! ग्रामीण अंचलों में रहने वाले गरीब आदिवासी बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारी इस भ्रष्टाचार की हांडी में पके खराब गुणवत्ता विहीन चावल को खाने के लिए मजबूर हैं और चावल भी ऐसा जिसे शायद जानवर भी ना खाए.
आज भी नान गोदामों में भंडारित है भ्रष्टाचार की हांडी में पका खराब गुणवत्ता विहीन 2020-21 कस्टम मिलिंग का चावल
सूत्र बताते हैं कि आज भी 2020-21 की कस्टम मिलिंग का खराब चावल जिसमें भ्रष्टाचार का खेल खेला गया आज भी कोरबा केंद्र स्थित उरगा, कटघोरा के छुरी और पाली स्थित नान गोदामों में भंडारित होने की पुष्ट खबर है, कोरबा रिजदी स्थित नान गोदाम से खराब गुणवत्ता विहीन अमानक स्तर के चावल को ग्रामीण क्षेत्रों की पीडीएस राशन दुकानों को जारी कर स्टॉक क्लियर किया गया है ! सूत्र बताते हैं कि जिन राइस मिलर्स से 2020-21 की कस्टम मिलिंग का चावल आना शेष था, उसे अब कोरबा नान गोदामों में सप्लाई ना लिया जाकर, चांपा स्थित नान गोदाम में उसका भंडारण करवाया जा रहा है !
जांच हुई तो बेनकाब होंगे कई सफेदपोश… करोड़ों का घोटाला आएगा सामने
जिले में लगभग 50000 टन खराब गुणवत्ता विहीन चावल की कस्टम मिलिंग करवाई गई है .लगभग 100 करोड़ रुपए के इस नान घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकारियों, संविदा वाले क्वालिटी इंस्पेक्टर और कुछ राइस मिलर्स ने मिलकर भ्रष्टाचार का खेल खेला है. जहां केंद्र और राज्य सरकार कोरोना को दृष्टिगत रखते हुए आम लोगों की थाली में राहत पहुंचाने कृत संकल्पित नजर आती हैं, वहीं कोरबा में हुआ नान घोटाला बड़े भ्रष्टाचार की अलग ही कहानी बयां कर रहा है. इस पर राज्य सरकार और जिला प्रशासन यदि संज्ञान लेकर सभी नान गोदामों को सील कर जांच करता है तो भ्रष्टाचार के इस खेल में कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं ! और अंतिम व्यक्ति तक राशन और पेट की भूख मिटाने कृत संकल्पित सरकार का मनोरथ सिद्ध हो सकता है ! जरूरत है पूरी इच्छाशक्ति के साथ तत्काल बड़ी कार्यवाही की !