दो दशक बाद भी मच्छरों से नहीं मिली निजात, बजट 80 लाख, खर्च हुए मात्र 5 लाख

शहरवासियों को 20 साल बाद भी मच्छरों की समस्या से छुटकारा नहीं मिला। गरीबों की झुग्गी बस्ती से लेकर वीआईपी इलाके तक मच्छरों की भरमार से लोग त्रस्त हैं। नगर निगम प्रशासन ने मच्छर उन्मूलन के लिए अपने बजट में 80 लाख रुपए का प्रावधान किया, जिसमें से मात्र 5 लाख खर्च हुए, लेकिन ना तो मच्छर भगा पाए ना ही इसके डंक से शहरवासी बच पाए।

रायपुर. शहरवासियों को 20 साल बाद भी मच्छरों की समस्या से छुटकारा नहीं मिला। गरीबों की झुग्गी बस्ती से लेकर वीआईपी इलाके तक मच्छरों की भरमार से लोग त्रस्त हैं। नगर निगम प्रशासन ने मच्छर उन्मूलन के लिए अपने बजट में 80 लाख रुपए का प्रावधान किया, जिसमें से मात्र 5 लाख खर्च हुए, लेकिन ना तो मच्छर भगा पाए ना ही इसके डंक से शहरवासी बच पाए। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी में मच्छर उन्मूलन की योजना पूरी तरह फेल है। राजधानी से स्मार्ट सिटी बने रायपुर शहर का मच्छरों से बुरा हाल है। बजबजाती नालियों और कचरों के ढेर के कारण शहर की निचली बस्तियों से लेकर अंदरूनी इलाके और आउटर की बस्तियों में मच्छरों की संख्या बढ़ने से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नगर निगम प्रशासन ने मच्छरों से निपटने अब तक ना तो फागिंग का इंतजाम किया, ना ही एंटी लार्वा का प्रबंध स्वास्थ्य विभाग कर पाया है। ऐसे में अब शहरवासियों को अपनी सेहत को लेकर चिंता सताने लगी है।