कोरबा। खराब क्वालिटी के अमानक चावल को स्वीकृत कर गोदाम में भंडारण करवा शासन की पीडीएस व्यवस्था की फजीहत करने वाले क्वालिटी इंस्पेक्टर पर नागरिक आपूर्ति निगम ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कोरबा से छुट्टी कर मुख्यालय स्थानांतरण कर दिया है। जिला प्रशासन के जांच प्रतिवेदन के बाद यह कार्रवाई की गई है।

यहां बताना होगा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुए खराब कस्टम मिलिंग और पीडीएस दुकानों में खराब गुणवत्ता के चावल की आपूर्ति से जुड़ी खबरों पर कलेक्टर ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एडीएम सुनील नायक के नेतृत्व में जांच टीम का गठन कर नान गोदामों में छापामार करवाई की थी।जिसमें जिला प्रशासन को गुणवत्ता विहीन चावल की बड़ी खेप मिली थी। 6 हजार क्विंटल से अधिक चावल अमानक पाए गए थे । जिसे राईस मिलरों को रिप्लेस किया गया। लेकिन इस घोटाले को अंजाम देने वाले विभागीय अधिकारी कर्मचारियों पर कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई थी। जिससे उनके हौसले बुलंद थे। मंगलवार की देर शाम छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम रायपुर कार्यालय से इस नान घोटाले के प्रमुख संदिग्ध रहे गुणवत्ता निरीक्षक ( क्वालिटी इंस्पेक्टर ) जवाहर पटेल को हटाकर मुख्यालय स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया।जिसे नान घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि हटाए गए गुणवत्ता निरीक्षक नौकरी तो सरकारी करते थे लेकिन काम भ्रष्टाचारी गैंग के लिए करते थे। इस नान घोटाले में गुणवत्ता निरीक्षण करने और लाट स्वीकृत- अस्वीकृत करने की जिम्मेदारी इन पर थी, लेकिन क्वालिटी इंस्पेक्टर ने भ्रष्टाचार की हांडी में पके खराब, गुणवत्ता विहीन चावल की आपूर्ति लेकर उसका भंडारण नान के गोदामों में करवाया। 2020-21 की खराब कस्टम मिलिंग में वे प्रमुख संदिग्ध रहे हैं और इनकी भूमिका महत्वपूर्ण बताई जाती है। जिसके बाद इनके ऊपर स्थानांतरण की गाज गिरी है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसके बाद विभागीय जांच और निलंबन की कार्यवाही भी शीघ्र हो सकती है।
क्वालिटी जांचने के नाम पर नान की डीएम से हुआ था विवाद
कटघोरा में पीडीएस राशन दुकानदारों ने पिछले दिनों एसडीएम एवं गोदाम प्रभारी, नान को पत्र लिखकर खराब, गुणवत्ता विहीन चावल का वितरण करने से मना कर दिया था।जिसके बाद नान की डीएम प्रज्ञा कदम द्वारा हटाए गए क्वालिटी इंस्पेक्टर जवाहर पटेल को पीडीएस राशन दुकानों में आपूर्ति किए गए चावल की क्वालिटी जांचने हेतु भेजा गया था , लेकिन चमत्कार और कमाल करने वाले क्वालिटी इंस्पेक्टर जवाहर पटेल ने जांच करने के बजाय पीडीएस राशन दुकानदारों से लिखवा लिया कि, वे चावल लेने और वितरण करने के लिए तैयार हैं।जिसके बाद नान की डीएम ने उन्हें कड़े शब्दों में पीडीएस दुकानों में भेजे गए चावल की क्वालिटी जांचने हेतु निर्देशित किया गया था, जिस पर क्वालिटी इंस्पेक्टर जवाहर पटेल बिफर पड़े और जांच करने से मना कर दिया था।बाद में नान की डीएम प्रज्ञा कदम को मजबूरन कटघोरा में जांच करने हेतु पत्र जारी करना पड़ा। उसकी कॉपी एमडी तक को दी गई थी।अपने शीर्षस्थ अधिकारी के आदेशों की अवज्ञा करने, अनुशासनहीनता मानते हुए विभाग द्वारा यह कार्यवाही की गई है ऐसा माना जा रहा है।
घोटाला उजागर होने के बाद,पहले भी हटाए जा चुके हैं डीएम नान
मीडिया ने पीडीएस राशन दुकानों में खराब, गुणवत्ता विहीन चावल पहुंचने और नान घोटाले का पर्दाफाश किया था।जिसके बाद आनन-फानन में छुट्टी पर चल रहे नान के तत्कालीन जिला प्रबंधक (डीएम) के.के. यदु का स्थानांतरण कोरबा से रायपुर मुख्यालय कर दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने स्वयं घोटाला सामने आने के बाद अपना ट्रांसफर करवा लिया था ताकि जांच की आंच से बच सकें।लेकिन उनके कार्यकाल में इस घोटाले को परिणित किया गया और शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।इसलिए उनकी भी बड़ी भूमिका इस नान घोटाले में रही है और उन पर भी कार्रवाई की लपटें आएंगी।