लापरवाही ने ली हथिनी और उसके अजन्में बच्चे की जान ! हाईटेंशन तार की चपेट में आकर हुई गर्भवती हथिनी की मौत से आक्रोश

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ में हाथियों की आए दिन हो रही मौतों को मानो उनकी नियति मान लिया गया है। ना तो इसके खिलाफ कोई सरकारी विभाग कोई ठोस पहल कर रहा है और ना ही खुद को वन्य जीव प्रेमी बताने वाले कोई आवाज उठाते हैं। और जब तक कोई हंगामा ना हो सरकारों के कहां फुर्सत है कि जानवर की मौत पर आंसू बहाए।

यहां हम बात कर रहे हैं दो दिन पहले ही हाईटेंशन तार की चपेट में आकर हुई गर्भवती हथिनी की मौत पर। और कोशिश करेंगे यह पड़ताल करने की आखिर उस गर्भवती हथिनी की मौत का जिम्मेदार कौन है? वन विभाग ओर डॉक्टर की माने तो बिजली विभाग की मनमानी या बिजली विभाग की लापरवाही की वजह से एक हथनि और उसके अजन्में बच्चे की जान चली गई। जिस समय घटना हुई मृत हथिनी के साथ तीन और हाथी मौजूद थे। वह तो अच्छा हुआ तीन हाथी नीचे से चले गए नहीं तो एक साथ कई हाथी करंट की चपेट में आ जाते। इस घटना के बाद इलाके के रहवासियों में शोक के साथ गुस्सा भी देखने को मिल रहा है।

पेट से निकला मेच्योर बच्चा

सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा गांव के पास 11 केवी के हाईटेंशन तार की चपेट में आने से एक वयस्क गर्भवती हथिनी की मौत हो गई। जब उसका पोस्टमार्टम किया गया तो उसके पेट से एक मेच्योर बच्चा निकला। बच्चे को देखकर पीएम करने वाले डॉक्टर ने बताया कि हथिनी 3 से 4 महीने में इस बच्चे को जन्म देने वाली थी। महज 2 मीटर की हाइट पर लटक रहे डीएफओ के अनुसार हमने कई बार बिजली विभाग को ऐसी जगह जहां हाथियों का आना जाना रुकना होता है, वहां पर बिजली के तारों को ऊपर रखने की व्यवस्था बनाने के लिए चिट्ठी लिखी थी। उनके साथ जाकर ऐसी जगहों का मुआयना भी किया था। लेकिन उनकी ओर से कोई पहल नहीं की गई। अभ्यारण इलाके में हाईटेंशन तार इंसुलेटेड होना चाहिए या तार की ऊंचाई कम से कम 4 से 5 मीटर होनी चाहिए। जबकि इस इलाके में ये हाईटेंशन तार लगभग 2 मीटर की ही ऊंचाई पर मौजूद था। और यही इस हादसे की वजह बना।

पहले भी गई गर्भवती हथिनी की जान, नहीं चेता विभाग

पीएम के बाद नवजात बच्चे का शव देखकर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं थीं। क्षेत्रवासी इस घटना को लेकर काफी दुखी हैं। हालांकि सूरजपुर जिले में बिजली तार की चपेट में आने से हाथी की मौत का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में ही करंट लगने से कई हाथियों की जान जा चुकी है। जिसमें एक गर्भवती हथिनी भी शामिल है, उसके पोस्टमार्टम में भी एक मैच्योर नवजात मिला था, जिसका जन्म 2 माह बाद होना था। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बाद भी वन विभाग ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम रहा है।

मजबूत राजनीतिक नेतृत्व, लेकिन इच्छाशक्ति का अभाव

यह इलाका पिछले कई वर्षों से हाथियों की समस्या का दंश झेल रहा है। यहां एक बात बताना जरूरी है कि जिले का प्रतापपुर इलाका राजनीतिक मायने में भी बहुत महत्वपूर्ण है। प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक प्रेमसाय सिंह टेकाम हैं, जो प्रदेश में शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं। इनके पूर्व प्रतापपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व प्रदेश के तात्कालिक गृहमंत्री रामसेवक पैकरा कर रहे थे। बावजूद इसके आज तक किसी भी दल के नेता ने इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या हाथी से निजात दिलाने के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया है। यही वजह है कि इस इलाके में मानव और हाथी का द्वंद आम बात हो चली है।