आंगनबाड़ी कर्मियों को खाता खुलवाते ही 4 लाख ,मौत पर 60 लाख का मिलेगा बीमा कवर , अफवाहों पर न दें ध्यान

कोरबा । शासन के निर्देश पर संचालनालय, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 3 निजी बैंकों से करार किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को इसके लिए संबंधित बैंकों में खाता खोलने हेतु सुपरवाईजरों के जरिए निर्देशित किया जा रहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग, बरपाली परियोजना के अंतर्गत आने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को सेक्टर सुपरवाईजरों के द्वारा एचडीएफसी बैंक में नया खाता खोलने के लिए कहा जा रहा है। इस संबंध में बरपाली सेक्टर सुपरवाईजर श्रीमती नीमा महंत एवं कनकी सेक्टर सुपरवाईजर श्रीमती शैलेन्द्री साहू के द्वारा कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को वांछित दस्तावेज लेकर आने और एचडीएफसी बैंक में खाता खोलवाने के लिए कहा गया। इन्हें कार्यकर्ताओं को इतना ही बताया गया कि उन्हें अधिकारियों का आदेश मिला है लेकिन विस्तृत जानकारी नहीं दिए जाने से कई तरह की आशंकाएं निर्मित हुई।बरपाली की परियोजना अधिकारी श्रीमती अंजली कौशिक ने इस तरह का कोई आदेश नहीं देना और खाता खोलने हेतु किसी तरह का दबाव नहीं बनाने की बात कही।

बोले डीपीओ अधिकारी कर्मचारियों के हित में ,अफवाहों पर न दें ध्यान

इन अलग-अलग तथ्यों के संबंध में जब जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद प्रकाश किस्पोट्टा से जानकारी ली गई तो उन्होंने हकीकत बयां की।
डीपीओ श्री किस्पोट्टा ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारियों सहित उन्होंने भी एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक अथवा एक्सिस बैंक में नया खाता खुलवाया है। दरअसल संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग से इन तीनों बैंकों ने एमओयू (करार) किया है। बैंकिंग पॉलिसी के तहत एचडीएफसी, आईसीआईसीआई अथवा एक्सिस बैंक में से किसी भी बैंक में जीरो बैलेंस पर नया सैलरी एकाउंट (वेतन खाता) खुलवाना है। खाता खोलने के साथ ही 4 लाख का सामान्य बीमा एक्टिव हो जाएगा। दुर्घटनागत कारणों से होने वाली मौत पर 60 लाख रुपए का बीमा इस नए खाता के खोलने पर मिलेगा। इसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और कार्यकर्ता-सहायिका की फोटो लगेगी। इन्हें बैंकों में किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए सुपरवाईजरों को कहा गया है कि एक साथ एकत्र कर बैंक से समन्वय स्थापित कर सेक्टरवार कार्यकर्ता व सहायिकाओं का नया खाता खुलवाया जाए। यह उनकी मर्जी पर है, किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया जा रहा है। सभी सुपरवाईजरों को इसके लिए निर्देशित किया गया है और यदि कोई सुपरवाईजर इसकी जानकारी मांगने पर भी नहीं दे तो जिला मुख्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है।