छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग का कमाल :केंद्र ने 614 पदों की निरन्तरता समाप्त की ,राज्य सरकार ने वित्त विभाग की अनुमति के बगैर पांच सालों में कर दी सैकड़ों नियुक्ति,दे डाली पदोन्नति ,हाईकोर्ट पहुंचा मामला

संचालनालय को नियमों की नहीं रही परवाह ,लिपिकों को छोंड़ सब पर दिखाई मेहरबानी ,8 साल से पदोन्नति से वंचित आक्रोशित लिपिकों ने किया हाईकोर्ट में याचिका दाखिल ,संचालक ने अस्पष्ट पत्र जारी कर किया गुमराह ,लिपिकों ने कहा जारी रहेगी लड़ाई

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायपुर(भुवनेश्वर महतो)। महिला एवं बाल विकास विभाग की एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। केंद्र सरकार द्वारा आईसीडीएस के स्वीकृत 614 पदों की निरन्तरता समाप्त करने के उपरांत , पिछले 5 सालों में वित्त विभाग की अनुमति के बगैर लिपिकों की पदोन्नति छोंड़कर सैकड़ों पदों पर नियुक्ति एवं पदोन्नति दे डाली। विभाग की इस मनमानी से नाराज लिपिकों ने सरकार के इस अनीतिगत निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट में दायर रिट पिटिशन के परिप्रेक्ष्य में याचिकाकर्ता लिपिकों को संचालक द्वारा अवगत कराने जारी किए गए पत्र अस्पष्टता की वजह से सुर्खियों में है। वायरल पत्र ने विभाग में खलबली मचा दी है।

यहां बताना होगा कि आईसीडीएस सेवा योजना अंतर्गत स्वीकृत पदों में 25 प्रतिशत केंद्र सरकार एवं 25 प्रतिशत व्यय भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है । केंद्र सरकार ने आईसीडीएस योजना अंतर्गत स्वीकृत पदों में से 614 पदों की निरंतरता को 23 नवंबर 2017 को समाप्त कर दी है ।लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग ने लिपिकों (सहायक ग्रेड -1 ,2 एवं 3 ) को छोंड़कर अन्य पदों में भर्ती, पदोन्नति कर दी। इस दौरान पर्यवेक्षक से परियोजना अधिकारी, परियोजना अधिकारी से जिला महिला बाल विकास अधिकारी ,जिला महिला बाल विकास अधिकारी से जिला कार्यक्रम अधिकारी के पदों पर पदोन्नति दे दी गई। वहीं प्रदेश में पर्यवेक्षकों के सैकड़ों पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। जबकि केंद्र सरकार द्वारा जिन पदों की निरंतरता समाप्त की गई है उसके शत प्रतिशत व्यय राज्यमद से किए जाने हेतु प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। प्रकरण वित्त विभाग में विचाराधीन है। बावजूद इसके पदोन्नति एवं भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई । लिपिकों की भर्ती व पदोन्नति को इससे दूर रखा गया। पिछले 8 वर्षों से सहायक ग्रेड -3 से सहायक ग्रेड -2 के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई। जिससे नाराज लिपिकों ने विभाग के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में 2021-22 में याचिका दायर किया था। याचिकाकर्ता देवचंद्र कश्यप सहायक ग्रेड 3 कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी जगदलपुर, राजीव देवांगन सहायक ग्रेड 3 कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी जगदलपुर ,संताय नेताम सहायक ग्रेड 3 कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी जगदलपुर ग्रामीण, मोतीराम कावड़े सहायक ग्रेड 3 परियोजना कोंटा जिला सुकमा ,पूनम हितेंद्र सहायक ग्रेड 3 परियोजना तोंगपाल जिला सुकमा, श्रीमती प्रियंका मिडयामी, सहायक ग्रेड 3 परियोजना तोंगपाल सुकमा एवं चंदन सिंह नेगी सहायक ग्रेड 3 परियोजना सुकमा जिला सुकमा की तरफ से अधिवक्ता एस आर पटेल द्वारा प्रस्तुत प्रकरण पर 29 मार्च 2022 को सुनवाई करते हुए आवेदनों पर 90 दिनों के भीतर पदोन्नति नियमों के तहत उचित निर्णय लेकर प्रकरण का निराकरण करने का आदेश पारित किया गया है। जिसके परिपालन में याचिकाकर्ता लिपिकों ने अपने अधिवक्ता श्री पटेल के माध्यम से 18 अप्रैल 2022 को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जो कार्यालय संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग को 21 अप्रैल 2022 को प्राप्त हुआ। याचिकाकर्ता लिपिकों को अपना पक्ष समर्थन के लिए संचालनालय ने 9 मई को उपस्थित होने पत्र प्रेषित किया। जिसके परिपालन में नियत तिथि को याचिकाकर्ता लिपिक संचालनालय में अपना पक्ष समर्थन के लिए उपस्थित हुए । जहां लिपिकों ने अपने समर्थन में यह बात दोहराई कि सहायक ग्रेड -3 से सहायक ग्रेड- 2 में पदोन्नति के लिए 5 वर्ष की सेवा अवधि का होना आवश्यक है। सहायक ग्रेड -3 के पद पर कार्य करते हुए 10 वर्ष से अधिक की सेवाएं दे चुके बावजूद पदोन्नति नहीं हुई। लिपिकों ने हाईकोर्ट में पारित आदेश दिनांक 29 मार्च 2022 के अनुरूप समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने का अनुरोध किया।

गड़बड़ी छुपाने दिया अस्पष्ट जवाब

कार्यालय संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 18 मई 2022 को याचिकाकर्ता लिपिकों को प्रकरण में भेजे गए जवाब ने लिपिकों में एक बार फिर आक्रोश बढ़ा दिया। पत्र में उल्लेख किया गया है कि सहायक ग्रेड -3 से सहायक ग्रेड- 2 तथा सहायक ग्रेड- 2 से सहायक ग्रेड -1 के पद पर पदोन्नति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। आईसीडीएस सेवा योजना अंतर्गत स्वीकृत पदों में 25 प्रतिशत केंद्र सरकार एवं 25 प्रतिशत व्यय भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है । केंद्र सरकार ने आईसीडीएस योजना अंतर्गत स्वीकृत पदों में से 614 पदों की निरंतरता को 23 नवंबर 2017 को समाप्त कर दी है । उनमें सहायक ग्रेड -1 ,2 एवं 3 के पद भी शामिल हैं। केंद्र सरकार द्वारा जिन पदों की निरन्तरता समाप्त की गई है उसके 100 प्रतिशत व्यय राज्य मद से किए जाने हेतु प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। प्रकरण वित्त विभाग में विचाराधीन हैं । वित्त विभाग द्वारा 614 पदों के संबंध में निर्णय उपरांत पदोन्नति की शेष कार्रवाई पूर्ण कर पदोन्नति आदेश जारी किया जा सकेगा। यहां संचालक के पत्र में दो जगह अस्पष्टता है। पहला तो केंद्र सरकार ने आईसीडीएस योजना अंतर्गत स्वीकृत पदों में से 614 पदों की निरंतरता को 23 नवंबर 2017 को समाप्त कर दी है । उनमें सहायक ग्रेड -1 ,2 एवं 3 के पद भी शामिल हैं लिखा गया है । लेकिन उसमें अन्य पदों का उल्लेख न कर लिपिकों को भ्रम में रखा गया है। पदों की अस्पष्टता है । वहीं दूसरी बड़ी अस्पष्टता कहें या चालाकी पत्र में उल्लेख किया गया है कि
केंद्र सरकार द्वारा जिन पदों की निरन्तरता समाप्त की गई है उसके 100 प्रतिशत व्यय राज्य मद से किए जाने हेतु प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। प्रकरण वित्त विभाग में विचाराधीन हैं । वित्त विभाग द्वारा 614 पदों के संबंध में निर्णय उपरांत पदोन्नति की शेष कार्रवाई पूर्ण कर पदोन्नति आदेश जारी किया जा सकेगा। जबकि इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग ने लिपिकों (सहायक ग्रेड -1 ,2 एवं 3 ) को छोंड़कर अन्य पदों में भर्ती, पदोन्नति कर दी।

तो क्या निरस्त होगी नियुक्ति !नपेंगे दोषी अधिकारी

गौरतलब हो पिछले 5 वर्षों में जहां केंद्र सरकार द्वारा जिन 614 पदों की निरन्तरता समाप्त की गई है ,उसके 100 प्रतिशत व्यय राज्य मद से किए जाने हेतु प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। प्रकरण वित्त विभाग में विचाराधीन हैं । वित्त विभाग द्वारा 614 पदों के संबंध में निर्णय उपरांत पदोन्नति की शेष कार्रवाई पूर्ण कर पदोन्नति आदेश जारी किया जा सकेगा जैसे तर्क लिपिकों को दिए गए। वहीं इस दौरान संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग ने लिपिकों (सहायक ग्रेड -1 ,2 एवं 3 ) को छोंड़कर अन्य पदों में भर्ती, पदोन्नति कर दी।इस दौरान पर्यवेक्षक से परियोजना अधिकारी, परियोजना अधिकारी से जिला महिला बाल विकास अधिकारी ,जिला महिला बाल विकास अधिकारी से जिला कार्यक्रम अधिकारी के पदों पर पदोन्नति दे दी गई। वहीं प्रदेश में पर्यवेक्षकों के सैकड़ों पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पदों पर नियुक्ति पदोन्नति के लिए वित्त विभाग की अनुमति प्राप्त हुई या वित्त विभाग से निर्णय आया। अगर नहीं तो क्या इन सैकड़ों पदों पर नियुक्ति ,पदोन्नति कर बिना वित्त विभाग के अनुमोदन के बगैर वेतन भत्तों के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग हर साल करोड़ों रुपए भुगतान कर शासन को क्षति पहुंचा रहा।क्या दोषी अधिकारियों से रिकवरी होगी। निश्चित तौर आने वाले समय में विभाग को हाईकोर्ट के समक्ष इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा।