कोरबा । आकांक्षी जिला कोरबा में प्रशासनिक अदूरदर्शिताओं की वजह से शिक्षा व्यवस्था कराह रही।जहां तौलीपाली सहित आधा दर्जन से अधिक स्कूल शासकीय विद्यालय एक अदद पक्के भवन के लिए तरस रहे ,टीन व छप्पर के तंग भवन में बच्चे अपने भविष्य की बुनियाद गढ़ रहे वहीं नगर निगम ने जिला खनिज संस्थान न्यास से करोड़ों रुपए शहर के दीवालों में पर्यावरण संरक्षण जनजागरुकता के नाम पर थ्री डी पेंटिंग जैसे फ़िजूलकार्यों में खर्च कर डाले।

आदिवासी बाहुल्य एवं देश के 110 पिछड़े (आकांक्षी)जिलों में शामिल कोरबा में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने अभी भी काफी कुछ करने की दरकार है। 18 अप्रैल को हुई बैठक में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार बात करें अधोसंरनात्मक कमियों की तो 8 स्कूल भवन विहीन हैं। इनमें 3 पूर्व माध्यमिक शाला ,5 हाईस्कूल शामिल हैं। 225 स्कूल भवन अति जर्जर ( डिस्मेंटल योग्य ) हैं। इनमें 175 प्राथमिक शाला ,44 पूर्व माध्यमिक शाला ,1 हाईस्कूल ,5 हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं।।वहीं जर्जर मरम्मत योग्य स्कूल भवनों की बात करें तो ऐसे स्कूलों की संख्या 645 है। इनमें 414 प्राथमिक शाला ,194 पूर्व माध्यमिक शाला ,16 हाईस्कूल एवं 21 हायर सेकेण्डरी स्कूल शामिल है। भवनविहीन स्कूलों में कोरबा ब्लॉक की शासकीय प्राथमिक शाला तौलीपाली शामिल है। तौलीपाली प्राथमिक शाला भवन के लिए तरस गया है। वर्ष 1975 में निर्मित खपरैल भवन वर्षों से जर्जर हालत में है लेकिन जनप्रतिनिधियों से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता ने यहां के विद्यार्थियों को बेहतर माहौल से वंचित रखा है। यहां पुराने भवन की दीवारों पर दरारें आ चुकी हैं, फर्श भी टूट चुके हैं।

खपरैलयुक्त छत पूरी तरह से जर्जर स्थिति में है। स्कूल प्रबंधन द्वारा विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी कई बार दी जा चुकी है लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है। जर्जर भवन में प्राथमिक शाला के बच्चे बैठ रहे हैं।
बता दें कि तौलीपाली के शासकीय प्राथमिक शाला भवन की जर्जर स्थिति पर पूर्व में त्वरित संज्ञान लेते हुए कलेक्टर ने नया भवन बनाने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए थे। उन्होंने इस शाला के नए भवन के लिए निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के साथ संयुक्त निरीक्षण कर तकनीकी पहलुओं के आधार पर भवन बनाने का विस्तृत प्रस्ताव तथा उसका अनुमानित प्राक्कलन तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए थे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी।
यह भी बता दें कि प्राथमिक शाला परिसर में बाउंड्रीवाल नहीं होने के कारण यहां गांव के असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है। ये यहां खिड़की, दरवाजा सहित अन्य सामानों में तोड़-फोड़ करते हैं। इसके साथ ही स्कूल के सामानों की चोरी भी आम हो गई है। इसकी शिकायत ग्रामीण कई बार कर चुके हैं मगर इस ओर शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं गया ।

शिक्षा व्यवस्था को मुंह चिढ़ाता वन डिपो के सामने की थ्री डी वाल पेंटिंग