कोरबाl सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि सरकार द्वारा सभी वर्गों को आरक्षण की पात्रता दी गई है लेकिन दुर्भाग्य है कि सामान्य वर्ग के आरक्षण में अन्य वर्ग भी शामिल होकर उनके अधिकारों का हनन कर रहे हैं जिसका संशोधन आवश्यक हो गया है।
श्री सिन्हा ने आगे बताया कि शासकीय,गैर शासकीय संस्थानों तथा विधानसभा एवं लोकसभा में भी निर्धारित आरक्षण पद्धति पूरे देश में लागू है लेकिन सामान्य वर्ग के आरक्षण में आरक्षित वर्ग के भी अभ्यार्थी शामिल होकर सामान्य वर्ग को अधिकारों से वंचित कर रहे हैं जो न्याय उचित नहीं है क्योंकि जब शासन द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग को सभी संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान है ।तो फिर सामान्य वर्ग के आरक्षण में घुसपैठ कर सामान्य वर्ग के अधिकारों से वंचित करना सामान्य वर्ग के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है इसलिए संविधान में संशोधन करना आवश्यक हो गया है जिस पर प्रदेश सरकार को भारत सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए निर्णय लेने की जरूरत है साथ- साथ विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भी आरक्षित सीट में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण का प्रावधान है।
लेकिन सामान्य वर्ग के सीट से अनुसूचित जाति व जनजाति द्वारा उम्मीदवार घोषित होना सामान्य वर्ग की सीट के लिए अनुचित है क्योंकि आरक्षित सीटें सामान्य वर्ग उम्मीदवार नहीं हो सकता तो फिर सामान्य वर्ग के सीट से आरक्षित सीट वाले उम्मीदवार नहीं हो सकते। आरक्षित वर्ग को दोहरा लाभ दिया जा रहा है जैसे कोई उम्मीदवार आरक्षण का लाभ ले कर भी सामान्य वर्ग का सीट ले रहा है जैसे – सेट, टेट मे कोई उम्मीदवार ओबीसी श्रेणी में परीक्षा पास कर सामान्य वर्ग का सीट ले लेते है. सामान्य वर्ग के सीट हेतु सभी के लिए सामान्य नियम होने चाहिए. ऐसा प्रावधान हो जिससे सामान्य वर्ग को न्याय मिल सके।श्री सिन्हा ने आगे बताया कि ग्राम पंचायतों, जिला परिषद,अन्य नगरीय निकाय चुनाव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट विद्यमान है लेकिन सामान्य वर्ग के सीट में भी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार चुनाव में प्रत्याशी बनकर कर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को अपने अधिकारों से वंचित रखना उचित नहीं है इसलिए सामान्य वर्ग की सीट से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को रोकने का प्रावधान होना चाहिए।