हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)। कभी डीएमएफ से करोड़ों रुपए की सामग्रियों की खरीदी में अनियमितता तो कभी सहायक शिक्षकों की चढ़ावा लेकर मनमाने ढंग से पदस्थापना आदेश को लेकर सुर्खियों में रहने वाला आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला का शिक्षा विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है।इस बार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय 10 साल पूर्व सहायक ग्रेड -2 के 7 लिपिकों को नियम विरुद्ध तरीके से लेखापाल के पदों पर दी गई पदोन्नति को लेकर सवालों से घिर गया। शिकायत के बाद प्रकरण में संयुक्त संचालक ने डीईओ को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।करीब एक माह पूर्व जारी नोटिस अब वायरल हो रहा जिसने विभाग में खलबली मचा दी है।

यहां बताना होगा कि वित्तीय वर्ष 2011-12 में 5 मार्च 2012 को कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा ने जिला स्तरीय पदोन्नति की अनुमोदन के आधार पर लिपिक वर्गीय कर्मचारी सहायक ग्रेड -2 को लेखापाल के पद पर पदोन्नति दे दी थी। पदोन्नति को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे थे। नियमानुसार लेखापाल के पदों पर पदोन्नति के लिए 45 वर्ष से अधिक आयु एवं लेखा प्रशिक्षित होना अनिवार्य था । लेकिन तत्कालीन समयावधि में इसकी अनदेखी कर निर्धारित अहर्ता नहीं रखने वाले गैर प्रक्षिक्षित लिपिकों को लेखापाल के पदों पर पदोन्नति दे दी गई। नियम विरुद्ध किए गए इस पदोन्नति को लेकर उक्त पद के लिए आवश्यक अहर्ता रखने वाले कनिष्ठ लेखा परीक्षक शत्रुहन भारद्वाज ने 24 सितंबर 2021 को

तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष लिखित शिकायत कर आपत्ति जताई थी। लेकिन प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे व्यथित कनिष्ठ लेखा परीक्षक शत्रुहन भारद्वाज ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने प्रकरण में शासन को पूरी प्रक्रिया दस्तावेजों के साथ तलब किया था। जिसके परिप्रेक्ष्य में संयुक्त संचालक ने 6 जून को जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा को नोटिस जारी कर 3 दिवस के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस अब वायरल हो रहा जिसने खलबली मचा दी है।
ये पूछा नोटिस में
संयुक्त संचालक ने डीईओ कोरबा को कार्यलयीन पत्र क्रमांक 3988 दिनांक 05/03/2012 के संदर्भ में जारी किए गए नोटिस में पूछा है कि आपने जिले में कार्यरत 7 सहायक ग्रेड -2 को लेखापाल के पद पद पदोन्नत किया है।।जबकि छत्तीसगढ़ राजपत्र असाधारण दिनांक 5 मार्च 2010 के अनुसार लेखापाल का पद ही स्वीकृत नहीं है। फिर किस आधार पर लेखापाल के पद पर पदोन्नति दी गई।संयुक्त संचालक ने इस संबंध में 3 दिवस के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था। अब इस खलबली मचाने वाली नोटिस में डीईओ कार्यालय ने स्पष्टीकरण दिया या नहीं ये तो विभाग ही जानें लेकिन लेखापाल के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से पदोन्नत लिपिकों पर तलवार लटक रही।
डीईओ कार्यालय में लिपिक लेखापाल भी अप्रशिक्षित

डाईट से स्थानांतरण आदेश के तहत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ लेखापाल यशपाल सिंह राठौर भी लेखा अप्रिशिक्षित हैं। उन्हें भी निर्धारित मापदण्ड 45 वर्ष से कम आयु (36 वर्ष )में पदोन्नति दे दी गई थी। जिसका इस पद के लिए योग्य कनिष्ठ लेखा परीक्षक शत्रुहन भारद्वाज सहित अन्य ने आपत्ति की । लेकिन वर्तमान डीईओ जी पी भारद्वाज ने शिकायत अनसुना कर दिया । डीईओ कार्यालय में योग्य लिपिक होने के बाद भी कार्यालय में पदस्थ शिक्षकों से लिपिकीय कार्य लिया जा रहा। जो चर्चा का केंद्र बनी हुई है।
लेखापाल के पद पर पदोन्नत लिपिक 👇
नाम – पदोन्नत संस्था
जे .के.तिग्गा -शा.उ.मा. वि.कोरकोमा
यशपाल सिंह राठौर -डाईट कोरबा
शांता कुम्भकार -शा.बा.उ.मा.वि .बालको
के .वी मरावी –शा.क.उ.मा.वि .बालको
मान सिंह नायक –शा.उ.मा. वि.कुसमुंडा
जे.के.दांडेकर -शा.हाईस्कूल पसान
सीताराम जगत–शा.हाईस्कूल बतरा