ऐसी मेहरबानी ,जिस मामले में किया भ्रष्टाचार उसी का दे दिया प्रभार ,ट्राईबल विभाग में डीएमएफ की राशि का चल रहा बंदरबाट

कोरबा – जिला खनिज संस्थान न्यास की भारी-भरकम राशि की बंदरबांट कर बड़ी राजस्व हानि पहुंचाने वाले आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारियों का तबादला होने के बाद भी इन्हें कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। डेढ़ साल से अधिक समय होने के बाद भी ये कर्मचारी पूर्व कार्यस्थल पर ही बने हुए हैं जबकि इन्हें नई पदस्थापना स्थल पर होना चाहिए था।

ज्ञात रहे कि जिले में गत वर्ष जिला खनिज न्यास की राशि का आदिवासी विकास विभाग द्वारा लगभग 93 करोड़ रूपये राशि की बंदरबांट विभाग द्वारा किया गया है, जिसकी ईओडब्ल्यू एवं सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है। विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे एवं निर्माण शाखा प्रभारी अरूण दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया गया। इस मामले के तूल पकड़ने पर कलेक्टर कोरबा द्वारा आदिवासी विकास विभाग के कुल 22 कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया जिसमें सहायक आयुक्त के द्वारा नीता बैनर्जी सहायक ग्रेड-2, रामनारायण यादव सहायक ग्रेड-2, मनोज कुमार तंबोली भृत्य, शिवराज सिंह कंवर भृत्य को छोड़कर सभी स्थानांतरित कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर दिया गया है। इन कर्मचारियों द्वारा तबादला पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया गया था जिसे न्यायालय द्वारा राज्य शासन से इनके स्थानांतरण के संबंध में जानकारी चाही गई थी एवं 5 सदस्यीय सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों के द्वारा अपनी स्पष्ट राय प्रस्तुत कर स्थानांतरण को सही करार दिया है। इनमें सुकदेव आदित्य, मनोज कुमार तंबोली, अरूण दुबे को नवीन पदस्थापना के लिए कार्यमुक्त नहीं किया जाना समझ से परे हैं।
इन स्थानातरित कर्मचारियों के क्रियाकलाप की सूक्ष्म जांच में बाबू स्तर के कर्मचारी द्वारा 5-5 करोड़ एवं भृत्य स्तर के कर्मचारी द्वारा 1 करोड़ 92 लाख रुपए का बंदरबाट स्पष्ट हुआ है। केवल एक कर्मचारी लेखापाल सुखदेव आदित्य को ही कार्य मुक्त किया गया है, बाकी अन्य कर्मचारी इसी कार्यालय में जमे हुए हैं। इस वर्ष भी खनिज न्यास मद से उक्त विभाग को लगभग 45 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है, उसे भी इनके द्वारा बंदरबाट किए जाने की प्रबल संभावना है।
0 निलंबित बाबू को बहाल कर फिर निर्माण शाखा का प्रभार
इस पूरे मामले में विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना जायज है कि विवादास्पद बाबू व डीएमएफ निर्माण शाखा के प्रभार के दौरान करोड़ों की गड़बड़ी करने वाले अरूण दुबे को नए सहायक आयुक्त ने सबसे पहले बहाल किया और उसे पुन: निर्माण शाखा का ही प्रभार दे दिया। नियमों के जानकार बताते हैं कि किसी भी कर्मचारी- अधिकारी को उस पद पर और उसी जगह बहाल नहीं किया जा सकता जहां वह निलंबन के दौरान पदस्थ था। वर्तमान में भी जिला प्रशासन द्वारा अरूण दुबे से ही खनिज न्यास से संबंधित कार्य कराया जा रहा है। इसके लिए अरुण दुबे के संबंध में कार्य विभाजन का गोलमोल विभागीय आदेश भी चर्चा में है जिसमें सौंपे गए दायित्व के साथ-साथ सहायक आयुक्त द्वारा समय-समय पर दिए गए कार्य भी शामिल हैं। वैसे भी खनिज न्यास से होने वाले कामकाज को लेकर चर्चा जिले से प्रदेश स्तर तक है।
0 मुख्यमंत्री से की गई शिकायत को तवज्जो नहीं

इस संबंध में युवा नेता मनीराम जांगड़े ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं मुख्य सचिव को पिछले महीनों में पत्र लिखकर स्थानांतरित कर्मचारियों को अविलंब कार्यमुक्त करने निर्देश जारी करने की मांग की थी जो आज पर्यंत लंबित है। श्री जांगड़े ने कहा है कि चूंकि इन कर्मचारियों पर शासकीय राशि का करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार स्पष्ट हुआ है तब शासन-प्रशासन के समस्त निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए सहायक आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा कार्यमुक्त नहीं किया जाना अनेक संदेहों को जन्म देता है।