हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायगढ़ । जिले में रेडी टू ईट के वितरण के लिए 50 फीसदी (59) महिला स्व सहायता समूहों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। रोजगार के नाम पर अव्यवहारिक घाटे की सौदेबाजी को देखते हुए समूहों ने छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग की इस महती योजना से किनारा कर लिया ।
एक तरफ जहां कोरबा एवं जशपुर जैसे आदिवासी बाहुल्य जिलों में रेडी टू ईट की वितरण व्यवस्था के लिए राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम महिला स्व सहायता समूहों से 3 माह बाद भी अनुबंध नहीं कर सकी। वहीं दूसरी ओर रायगढ़ जिले में 59 समूहों (करीब 50 फीसदी) ने अनुबंध से किनारा कर लिया । दरअसल इसकी मूल वजह बीज निगम द्वारा की जा रही अनुबंध में निर्धारित राशि रही है। जिले के 112 सेक्टर में रेडी टू ईट वितरण हेतु अनुबंध निष्पादित किया जाना था। लेकिन 63 महिला स्व सहायता समहू ही इसके लिए आगे आए। 59 स्व सहायता समूह पीछे हट गए। जानकारी अनुसार बीज निगम द्वारा अनुबंध अनुसार दी जा रही राशि बेहद कम है। 15 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि व प्रति क्विंटल रेडी टू ईट वितरण हेतु 100 रूपए परिवहन दर पर अनुबंध किया गया है। लिहाजा समूहों को 17 हजार 500 रूपए से अधिक का भुगतान नहीं हो पाएगा। जबकि समूहों में 10 से 11 सदस्य हैं।एक एक सेक्टर में 30 से 50 तक आंगबाड़ी केंद्र हैं। ऐसे में हर माह एक बड़ी राशि परिवहन में ही खर्च हो जाएगी। समूहों का मुनाफा नहीं के बराबर होगा । यही वजह है कि इस घाटे के सौदेबाजी से समूहों ने किनारा कर लिया। समूहों की मानें तो यह अनुबंध शासन के लिखित आदेश के बिना अव्यवहारिक रूप से निष्पादित की गई है। जबकि पूर्व समूहों को उत्पादन व वितरण का कार्य देखने पर एक बेहतर आमदनी प्राप्त होती थी। वर्तमान में दी जा रही राशि से प्रत्येक सदस्य को 2 हजार रुपए भी नहीं मिलेंगे । नाम न छापने की शर्त पर समूहों की सदस्यों ने कहा कि एक तरफ शासन महिलाओं को वितरण व्यवस्था का काम देने का दावा कर घोषणाएं कर कागजों में महिला सशक्तिकरण के कसीदे पढ़ वाहवाही लूट रही है। वहीं दूसरी ओर बीज निगम के माध्यम से उन्हें महज लॉलीपॉप थमाया जा रहा। प्रकरण में डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर से उनका पक्ष जानने उनके व्यक्तित्व मोबाईल नम्बर पर कॉल कर संपर्क किया गया। कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका।
3 हजार से अधिक केंद्र ,डेढ़ लाख से अधिक हैं हितग्राही ,चुनौती अपार
रायगढ़ जिले में 14 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 112 सेक्टर हैं। जहां 3 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों से एक लाख 54 हजार हितग्राही लाभान्वित होते हैं। धरमजयगढ़ ,लैलूंगा ,कापू जैसे परियोजनाओं की दूरी जिला मुख्यालय से तकरीबन 100 किलोमीटर है। इन परियोजनाओं के अधिकांश समहों ने संचालन को लेकर हाथ खड़े कर दिए। वनांचल क्षेत्रों के इन परियोजनाओं के सेक्टर के कई गांव में भौगोलिक दूरियां इतनी अधिक है कि एक गांव में 2 किकोमीटर के भीतर 4 से 5 पारे टोले हैं। जहां इस दर में रेडी टू ईट पहुंचा पाना मुश्किल है।
तो राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म ही करेगी वितरण
जिस तरह जिले के 112 में से 59 सेक्टर के समूहों ने अनुबंध से हाथ खड़े कर दिए उसने विभाग में खलबली मचा दी। अब इन सेक्टरों में राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड ही वितरण का कार्य सुनिश्चित करेगी। इतने वृहद जिले में केंद्रों तक निर्धारित समयावधि में इस फर्म के भरोसे निर्धारित समयावधि में वितरण की उम्मीद बेमानी साबित होगी। वैसे भी जिन समूहों से अनुबंध हुआ है । फर्म उनको परियोजना से रेडी टू ईट प्रदान कर रही ।।सूत्रों के अनुसार फर्म डिमांड से अधिक रेडी टू ईट की आपूर्ति कर रही। पंजरी स्थित फर्म के प्लांट में मीडिया तो दूर जिला के अधिकारियों तक कि नो एंट्री है। ऐसे में अंदर क्या हो रहा किसी को कुछ नहीं मालूम ।