हसदेव एक्सप्रेस न्यूज सीतापुर -सरगुजा (रवि गोस्वामी )। केंद्र के समान महंगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता ,एरियर्स सहित विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी-अधिकारी सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में भी हड़ताल का व्यापक असर पड़ रहा। हड़ताल के दूसरे दिन जिला मुख्यालय से लेकर ब्लाक मुख्यालयों में दफ्तरों में ताले जड़े रहे,जहां खुले मिले वहाँ अधिकारी कर्मचारी नदारद मिले। जिससे आम जनता का कार्य प्रभावित हुआ । हड़ताल से अनजान ब्लॉक मुख्यालय पहुंचने वाले जरूरतमंद लोगों को बेरंग वापस लौटना पड़ा । वहीं छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संघ सीतापुर के बैनर तले धरना स्थल में संघ के पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ हुंकार भर कर्मचारियों का उत्साह बढ़ाया ।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन सीतापुर के बैनर तले की जा रही बेमियादी हड़ताल का दूसरा दिन भी सफल रहा। सीतापुर के समस्त अधिकारी कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से कार्यालय सुने रहे।तहसील ,एसडीएम कार्यालय सहित तमाम महत्वपूर्ण विभाग वीरान नजर आए।कुछ खुले मिले भी तो कुर्सियां खाली दिखी। तहसीलदार एवं न्यायालयीन संघ के अधिकारी कर्मचारियों के समर्थन ने आंदोलन में अलग ऊर्जा फूंक दी ।
संघ के मीडिया प्रभारी उमेश मिश्रा के आरएईओ शैलेन्द्र वीसी ने कहा कि
धरना प्रदर्शन में सभी 52 विभागों के लगभग 90 फीसदी अधिकारी कर्मचारियों ने धरना स्थल में अपनी दो सूत्रीय मांग महंगाई भत्ता एवं गृह भाड़ा भत्ता में बढोत्तरी को लेकर आवाज बुलंद की । उन्होंने कहा कि केन्द्र के समान देय दिनांक से 34% महंगाई भत्ता एरियर्स सहित देने एवं सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिए जाने की प्रमुख मांग को लेकर संघ आंदोलन कर रहा है। प्रदेश के 4 लाख 45 हजार कर्मचारी एवं अधिकारी के साथ राज्य के न्यायायिक सेवा के कर्मचारी सभी जिलों में हड़ताल में हैं। जिसके कारण जिला न्यायालय तक बंद हैं। शासन की दमनकारी रवैए एवं हठ धर्मिता से पीछे नहीं हटेंगे।।
जो हड़ताल से बाहर हैं वे अपनी सोंचे
संघ के पदाधिकारियों ने दो टूक लहजे में कहा कि जो लोग हड़ताल से बाहर हैं वे चिन्हांकित हो रहे । जब वो हमसे मिलेंगे तो नजरे नहीं मिला पाएंगे। ये संगठन की शक्ति कमजोर करने वाले तत्व हैं पर ये सावधान रहें ,संगठन कभी नहीं टूटेगा। कुछ लोग घरपर रहकर समर्थन की दावा करते हैं तो कुछ महज चेहरे दिखाने के लिए आकर दफ्तरों में चुपचाप काम करने जा रहे ऐसे लोगों का संगठन कभी साथ नहीं देगा।