हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । सालों से बंद प्रोजेक्टर ,खराब वॉटर प्यूरीफायर ,कैम्पस से एक किलोमीटर दूर बना 71 लाख का प्रयोगशाला चढ़ा असामाजिक तत्वों के उपद्रव की भेंट । शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग ने फेरी आंखे ,टूटी आश ,कैसे गढ़ेंगे बेहतर भविष्य, बच्चे हुए निराश। अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों को नहीं रहा सरोकार , उपेक्षित महसूस कर रहा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अजगरबहार।

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में जिला खनिज संस्थान न्यास को भ्रष्टाचार की दीमक लग गई है । इस दीमक की जद में शिक्षा विभाग भी आ गया । पहाड़ी कोरवा बाहुल्य क्षेत्र अजगरबहार में इसकी बानगी देखी जा सकती है ,जहां निहित स्वार्थ के लिए संस्था की मनाही के बावजूद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अजगरबहार का प्रयोगशाला विद्यालय से एक किलोमीटर दूर गांव की वीरान सीमा में बना दिया गया। जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफटी ) से वित्तीय वर्ष 2018 -19 में भाजपा शासनकाल में 71 लाख की लागत से बने मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य में आरईएस के द्वारा तैयार किए गए प्रयोगशाला भवन का 18 मई 2018 को शिलान्यास हुआ था। वर्ष 2019 में तैयार भवन को संस्था को हैंड ओव्हर भी कर दिया गया। लेकिन तब से लेकर आज तक यह प्रयोगशाला उपयोगहीन बना हुआ है।आबादी से दूर बने होने के कारण असामाजिक तत्वों के उपद्रव की निशानी पूरे प्रयोगशाला भवन में नजर आती है। प्रयोगशाला के खिंडकी दरवाजे टूट चुके हैं,तो कई पार कर दिए गए।

दरअसल विद्यालय कैम्पस में पर्याप्त स्थल होने के बावजूद तत्काकीन सरपंच सचिवों ने आरईएस को पंचायत से आबादी की बाहर के स्थल को उपयुक्त बताया। जिसकी जानकारी होने पर संस्था के प्राचार्य लखन लाल डहरिया ने आपत्ति जताते हुए तत्कालीन सरपंच लवभूषण प्रताप को विद्यालय कैम्पस में ही प्रयोगशाला भवन बनाए जाने का अनुरोध किया था। संस्था के कैम्पस में पर्याप्त स्थल होने का हवाला भी दिया गया था। लेकिन संस्था की एक नहीं सुनी गई। और विद्यालय कैम्पस से एक किलोमीटर दूर वीरानों में लैब बना दिया गया । जिसका शुरू से डर था वही हुआ। सुरक्षा के अभाव के बीच दबावपूर्वक संस्था को प्रयोगशाला हैंडओवर तो करा दिया गया। लेकिन असुरक्षा के कारण डीएमएफ का यह भवन असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़ गई। हसदेव एक्सप्रेस की पड़ताल में भवन के खिंडकी दरवाजे टूटे मिले तो कोई गायब मिले। यही नहीं गुणवत्ता की अनदेखी भी साफ तौर पर नजर आई। खिंडकी में ग्रिल तक नहीं लगे थे ,लिहाजा असामाजिक तत्वों को पथराव के बाद खाली खिंडकी के सहारे प्रयोगशाला भवन में चौबीसों घण्टे बेरोकटोक घुसने का मार्ग मिल गया है । साथ ही भवन की गुणवत्ता व फर्नीचर भी दोयम दर्जे के नजर आए। बहरहाल जहां डीएमएफ की 71 लाख की राशि लापरवाही की भेंट चढ़ गई। वहीं शासन की मंसूबों पर भी पानी फिर गया। प्रकरण में डीईओ से उनका पक्ष लेने संपर्क किया गया। संपर्क नहीं होने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका है।
आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम इंस्टालेशन के बाद से ही खराब ,तो प्रोजेक्टर चालू ही नहीं हुए

डीएमएफ में भाजपा शासनकाल में लगी भ्रष्टाचार की दीमक कांग्रेस शासनकाल में भी डीएमएफ की बुनियाद खोखली करती जा रही है । आदिवासी विकास विभाग के आश्रम छात्रावासों की तर्ज पर स्कूलों में भी प्रदाय किए गए आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है । अजगरबहार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रदाय किए गए वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम इंस्टालेशन के बाद से खराब पड़ा है ।

वहीं प्रोजेक्टर शो पीस बने हुए हैं। उसे आज पर्यन्त शुरू तक नहीं किया जा सका। जिसकी वजह से जहां बच्चों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा तो वहीं प्रोजेक्टर के माध्यम से आधुनिक शिक्षा नसीब नहीं हो पाई।

तो क्या महज कमीशन के लिए की जा रही खरीदी ,डीएमसी बने जनसूचना अधिकारी दबाए बैठे जानकारी
आदिवासी विकास विभाग की तरह स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में प्रदाय किए गए आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम,प्रोजेक्टर की गुणवत्ता पर ही नहीं विभाग द्वारा प्रदाय किए गए अन्य सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे।बताया जा रहा है कि एक एक आरओ प्लस यूवी टेक्नोलॉजी युक्त वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की लागत तकरीबन साढ़े 3 लाख रुपए की है। वहीं प्रोजेक्टर भी लाखों की लागत से लगाए गए हैं। फॉयर इंस्टिग्यूसर, हाई प्रेशर क्लीनर ,क्रिकेट किट ,फर्नीचर ,ग्रीन बोर्ड आदि सामग्री की खरीदी में करोड़ों का वारा न्यारा किया गया है। मार्केट दर से अधिक कीमत में गुणवत्ताहीन सामग्री की खरीदी कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। जिसकी सम्पूर्ण निविदा ,क्रय प्रक्रिया की जांच की नितांत आवश्यकता है। कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा में इन सामग्रियों की खरीदी प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी कांग्रेस शासनकाल में बनाए गए सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कांग्रेस शाषित कोरबा जिले में ही प्रदान नहीं की जाती। बताया जा रहा है कि डीएमसी को जन सूचना अधिकारी बनाया गया है जो विभाग के माध्यम से क्रय किए गए इन सामाग्रियों के अनियमितता की पोल खुल जाने के डर से जानकारी दबाए बैठे हैं। जिसकी शिकायत शासन से की गई है।
जल्द आने वाले हैं सीएम ,नपेंगे जिम्मेदार
नवीन जिलों के उद्घाटन के बाद जल्द ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोरबा आगमन हो सकता है। इसकी अनाधिकृत सूचना अभी से आने लगी है । लिहाजा प्रशासन भी अलर्ट व एक्शन मोड़ पर है। लापरवाह ,गैर जिम्म्मेदार अफसरों पर गाज भी गिर रही है ताकि प्रशासन की सीएम के समक्ष फजीहत न हो। लेकिन शिक्षा एवं आदिवासी विकास विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की गम्भीर शिकायतें जिला प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा सकती है। जिले के मुखिया तेज तर्रार एवं साफ छवि के हैं ऐसे में आशा की जा सकती है कि इस प्रकरण में जिम्म्मेदारों पर जल्द कार्रवाई की गाज गिरेगी।