हर्षित हुआ मन ,पूरी हुईं तमन्नाएं तमाम ,श्री त्रिपुर तीर्थ यात्रा सेवा समिति ने 250 श्रद्धालुओं के जत्थे को कराया चार धाम

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । हिमालय की गोद में अवस्थित धरती में सुख शांति यश एवं मोक्ष का केंद्र चार धाम की पवित्र यात्रा कराकर श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति का 250 श्रद्धालुओं का जत्था सकुशल लौट आया। आस्था एवं उत्साह के साथ इस पवित्र यात्रा में सपरिवार शामिल हुए सात राज्यों के श्रद्धालु जहां नए अनुभवों के साथ वापस लौटे वहीं इस पावन यात्रा के साथ श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति के सफल यात्राओं के कारवां में एक और कड़ी जुड़ गई ।

लगातार 16 वर्षों से चार धाम की सुव्यवस्थित शानदार सफल यात्रा कराते आ रही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा श्रवण कुमार और एक्सीलेंट अवार्ड से सम्मानित हो चुकी
श्री त्रिपुर यात्रा तीर्थ सेवा समिति की मंशा
आस्थावान भक्तों की स्थली छत्तीसगढ़ के वयोवृद्ध श्रद्धालुओं को कम राशि पर सर्वसुविधा युक्त तीर्थ यात्रा कराने की रही है। ताकि श्रद्धालुओं के जीवन में सुख समृद्धि यश कृति बनी रहे । वे अपना जीवन धन्य बना सकें। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार
इंसान की इन पांचों ख्वाहिशों की स्थली भारत की पतित पावनी देवभूमि उत्तराखंड में अवस्थित है ।चारधाम के नाम से विख्यात उत्तराखण्ड की पावन धरा पर अवस्थित बद्रीनारायण ,केदारनाथ ,गंगोत्री व यमुनोत्री ये वो तीर्थस्थल हैं जहां इंसान की ये पांचों कामनाएं पूरी हो जाती हैं। वर्षा ऋतुकाल में ऐसे ही चारधाम तीर्थयात्रा करने के इच्छुक भक्तों के जत्थों के सपनों को श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति ने 8 सितंबर से 21 सितंबर तक चारधाम की यात्रापर ले जाकर साकार कर दिया । भारत के 7 राज्यों छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड ,बिहार, उड़ीसा सहित दिल्ली
के 250 श्रद्धालुओं के जत्थे को स्पेशल ट्रेन के जरिए चार धाम की यात्रा पर लेकर गई श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति का कारवां 11 सितम्बर को पतित पावनी यमुनोत्री के दर्शन के साथ शुरु हुई। 13 सितंबर को गंगोत्री का दर्शन कराकर 16 सितम्बर को समिति ने विशेष वाहन से श्रद्धालुओं को सोन प्रयाग एवं गौरीकुंड का दीदार कराया। ततपश्चात यात्रा का कारवां केदारनाथ की ओर आगे बढ़ा । श्रद्धालुओं के जत्थे को घोड़े खच्चर पालकी पिठ्ठू से केदारनाथ बाबा के दर्शन निमित्त रवाना किया गया। यही नहीं जिन श्रद्धालुओं ने हेलीकॉप्टर से बुकिंग कराई थी वे समिति के स्पेशल वाहन से हाटा सिरकी हैलीपैड से बाबा केदारनाथ के दर्शन निमित्त रवाना हुए।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक हिमालय की गोद मे बसे बाबा केदारनाथ का दर्शन एवं सुरम्य वादियों का दीदार कर 16 सितम्बर को श्रद्धालुओं का जत्था स्पेशल बस से बद्रीनाथ धाम के लिए कूच किया। अलकनंदा नदी के किनारे बसा भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ मंदिर को आदिकाल से स्थापित और सतयुग का पावन धाम माना जाता है। इसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी।
चार धाम में से एक बद्रीनाथ के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि ‘जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी’। अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे पुन: उदर यानी गर्भ में नहीं आना पड़ता है। मतलब दूसरी बार जन्म नहीं लेना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्‍य को जीवन में कम से कम दो बार बद्रीनाथ की यात्रा जरूर करना चाहिए।बद्रीनाथ की इस महत्ता से वाकिफ श्रद्धालुओं का जत्था विधिवत पूजा अर्चना कर 18 सितम्बर को ऋषिकेश पहुंचा। यहां ऐतिहासिक लक्ष्मण व रामझूला का दीदार कर श्रद्धालु बेहद रोमांचित हुए। 19 सितंबर को हरकी पोंडी में सुबह गंगा स्नान कर हरिद्वार स्थित मां मनसा देवी ,चंडीदेवी ,गायत्री शांतिकुंज ,जैन मंदिर ,भारतमाता का दर्शन कर संध्या आरती में शामिल हुए। 20 सितम्बर को हरिद्वार से श्रद्धालुओं का जत्था समिति के वाहन से अपने गंतव्य स्थान के लिए रवाना हुआ।

श्रद्धालुओं ने कहा सपने हुए साकार ,सेवाओं ने जीता दिल

चारधाम की आनंददायी तीर्थ यात्राकर लौटे श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव साझा किए। बिहार के दरभंगा निवासी 54 वर्षीय मनोज झा अपने 65 साथी श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ चार धाम यात्रा में शामिल हुए। मनोज ने कहा कि चार धाम के महत्व के बारे में सुना था लेकिन श्री त्रिपुर तीर्थयात्रा की बदौलत इतना सुखद यात्रा कर मन प्रफुल्लित हो उठा। झारखंड के रांची से 24 वर्षीय कार्तिक कुमार एवं कोरबा के एसबीआई के सेवानिवृत्त कर्मचारी परदेशी राम भी सपत्निक यात्रा में शामिल होकर अपना जीवन धन्य बनाया। कार्तिक ,परदेशी ने कहा कि यात्रा में जिस तरह श्री त्रिपुर तीर्थ यात्रा सेवा समिति ने सेवाएं प्रदान की ऐसा लगा मानो हमें किसी अपनों का सहयोग मिल रहा हो । यात्रियों की पूरी यात्रा के दौरान ख्याल रखा गया। जिसकी बदौलत मोक्ष एवं यश की स्थली चार धाम का हम आनंदपूर्वक यात्रा कर सके।