रायपुर । मुख्यमंत्री के ओएसडी उमेश कुमार पटेल ने पीएचई मंत्रालय को पत्र लिख 14 जिलों में एसडीओ या ईई बनाए गए सब इंजीनियर पर जांच बिठाने का आदेश दिया है। इन सब इंजीनियर पर आरोप हैं कि पैसे का लेन-देन कर उन्होंने गलत ढंग से प्रभार लिया। इनको प्रभार किस आधार पर दिया गया इस शिकायत की भी जांच के आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई अंबिकापुर के आरटीआई एक्टिविस्ट और अधिवक्ता डी के सोनी की शिकायत के बाद की जा रही है।
पूरा मामला बलरामपुर जिले में कार्यपालन अभियंता (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर)पीएचई के आदित्य प्रताप सिंह सब इंजीनियर को गलत तरीके से प्रभार दिए जाने के संबंध में शिकायत से जुड़ा है। शिकायतकर्ता के अनुसार बलरामपुर जिले में वर्तमान में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन अभियंता आदित्य प्रताप सिंह जो कि सब इंजीनियर है। उन्हें गलत ढंग से ईई का प्रभार सौंप दिया गया। आरोप है कि विभाग में इनसे कई वरिष्ठ सब इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर मौजूद है। बावजूद आदित्य प्रताप सिंह को प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार दे दिया गया। नियमों के अनुसार यह सही नहीं है। शिकायतकर्ताने इसी के साथ प्रदेश के 14 अन्य जिलों में नियम विरुद्ध सब इंजीनियर को प्रभार देकर कार्यपालन अभियंता बनाए जाने की शिकायत की हैं। प्रभार मिलने के बाद विभाग के कार्यो में लापरवाही के साथ ही ठेकेदारों के सांठ-गांठ कर करोड़ों रुपए के हेरफेर किए गए। शिकायत में दुर्ग, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार, जशपुर सूरजपुर, कबीरधाम, बैकुंठपुर में पदस्थ वरिष्ठ कार्यपालन अभियंताओं को स्थानांतरित कर सहायक अभियंताओं को प्रभार दिए जाने का आरोप है। इन आरोपों के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी उमेश कुमार पटेल ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्रालय को जांच के आदेश दिए है।
14 जिलों में इस तरह की गड़बड़ी
प्रदेष के 28 जिलों में कार्यपालन अभियंता के पद हैं और 23 कार्यपालन अभियंता उपलब्ध है। नियमतः शेष रिक्त पदों में वरिष्ठ सहायक अभियंता को पदोन्नत कर अथवा वरिष्ठता के आधार पर प्रभार सौंपाना चाहिए था। लेकिन इसके विपरीत 14 जिलों में सहायक अभियंताओं को प्रभारी कार्यपालन अभियंता मनाया गया है तथा वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया है। उदाहरण के तौर पर मनोज कुमार ठाकुर और आदित्य प्रताप सिंह को बलरामपुर जिले में प्रभार सौंपा गया है। जबकि उनसे वरिष्ठ 20 सहायक अभियंता आज भी उपलब्ध हैं। शिकायतकर्ता ने इनपर 50-50 लाख रुपए की मोटी रकम लेकर प्रभारी अधिकारी बनने का आरोप लगा रहे है।
जलजीवन मिशन में करोड़ों की हेराफेरी
14 जिले में जहां पर सहायक अभियंता को प्रभारी कार्यपालन अभियंता बनाया गया है। उन जिलों में शासन द्वारा चलाए जा रहे जल जीवन मिशन योजना में करोड़ों रुपए की हेराफेरी और भ्रष्टाचार के आरोप शिकायतकर्ता ने की हे। इन जिलों में ठेकेदारों ने गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा है। टेंडर नियमों को भी ताकपर रखकर 50 प्रतिशत से अधिक एबब रेट पर टेंडर दिए गए है। ऐसे कई उदाहरण पूरे प्रदेश के कई जिलों में निविदाओं में कई बार देखेने को मिला भी है।
इस तरह से समझें प्रभार सौंपने में हुई गड़बड़ी को
राज्य सरकार अमूमन किसी भी टेक्निकल शाखा में इंजीनियर की भर्ती के लिए दो तरीके अपनाती है। सब इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर भर्ती। सब इंजीनियर के लिए जहां डिप्लोमा न्यूनतम क्वालिफिकेशन है। वहीं असिस्टेंट इंजीनियर के लिए इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री की जरूरत होती है। असिस्टेंट इंजीनियर ही प्रमोशन पाकर इंजीनियरिंग विभाग के बड़े पदों तक जाते है। जैसे कार्यपालन अभियंता, प्रमुख अभियंता। इसी तरह सब इंजीनियर प्रमोशन पाकर आगे असिस्टेंट इंजीनियर और कभी-कभी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर तक बनते है। यहां लगे आरोप के अनुसार विभाग ने वरिष्ठ असिस्टेंट इंजीनियर को छोड़ सब इंजीनियर को ही सीधे एक्जक्यूटिव इंजीनियर का प्रभार दे दिया है।