रायपुर/कोरबा । आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के आव्हान पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कलेक्टर दर पर मानदेय और नर्सरी शिक्षक के तौर पर उन्नयन की मांग को पूरा कराने के लिए एक बार फिर आंदोलन शुरू किया जा रहा है। 23 जनवरी से प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लगाकर कार्यकर्ता और सहायिका रायपुर में महापड़ाव करेंगे। प्रदेश भर के 46660 आंगनबाड़ी और 6548 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों में हड़ताल से ताला लगेगा।कोरबा जिले के 2573 केंद्रों में भी ताला जड़ जाएगा । 23 से 27 जनवरी तक रायपुर मेें पांच महापड़ाव किया जाएगा।
मुख्य प्रान्तीय पदाधिकारियों ने बताया कि देश भर के लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाएं केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से न्यूनतम पारश्रमिक नहीं दिये जाने और छत्तीसगढ़ सरकार के चुनावी वादा खिलाफी से आक्रोशित हैं। काम की बात आती है तो दोनो सरकारें एक हो जाती हैं और दबाव से काम लेती हैं लेकिन उचित दाम देने की बात आती है तो दोनों सरकारें एक-दूसरे के ऊपर मढ़ते हैं। राज्य सरकार कहती है इप केन्द्र के हैं, केन्द्र जाने पर केन्द्र सरकार कहती है राज्य का काम करते तो राज्य को ज्यादा सुविधा देनी चाहिये। न्यूनतम मानदेय स्वीकृत करने,समय पर वेतन देने, पेंशन, पदोन्नति देने की सुविधा के लिये सरकार गंभीर नहीं है। दोनों ही सरकारें महिलाओं का शोषण कर रही हैं जिससे इन कर्मियों में आक्रोश ब्याप्त है।उक्त सभी बातों को लेकर प्रदेश के एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता- सहायिका काफी आक्रोशित हैं और सरकार को इस बात से कई बार अवगत कराया जा चुका है। सरकार को वार्त्ता के माध्यम मांगों का निराकरण हेतु 22 जनवरी 2023 तक का समय दिये जाने और इसके बाद भी मांग पूरा नहीं होने पर 23 जनवरी से 5 दिन तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में सभी जिलों से कार्यकर्त्ता- सहायिका बड़ी संख्या में उपस्थित होंगे। उसके बाद इसे अनिश्चितकालिन हड़ताल में तब्दील करते हुये सभी जिला मुख्यालय धरना देंगे। पूरे आंदोलन का नेतृत्व सरिता पाठक,पदमावती साहू,रूक्मणी सज्जन, हेमा भारती, सुमन यादव, सौरा यादव, भुनेश्वरी तिवारी, पुष्पा राय, देवेन्द्र पटेल आदि कर रहे हैं। पूर्व से श्रीमती वीणा साहू व अन्य ने मोर्चा संभाला है।
मानदेय से जीना मुश्किल
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को 4500 रुपये केन्द्र और 2000 रुपये राज्यांश से कुल 6500 रुपये और सहायिका को 2250 रुपये केन्द्र से 1000 रुपये राज्यांश कुल 3250 रुपये का मानदेय मिल रहा है। उसमें भी राज्यांश की राशि 4-5 माह में एक बार रोक-रोक कर दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य स्वत्व ईंधन राशि,मातृत्व वंदना, यात्रा भत्ता इत्यादि समय पर नहीं दिया जाना अत्यन्त गंभीर बात है।
पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि महिला बाल विकास के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी समस्याओं का समाधान करने की बजाय कार्यकर्त्ता-सहायिकाओं को छोटी-छोटी बातो में सेवा से निकाले जाने की धमकी, संसाधन नहीं होने के बाद भी कार्य करने का दबाव देना,मोबाईल नेट चार्ज नही है उसके बाद भी दबाव देकर बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जाना, भयादोहन कर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाओं को आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।