जय माँ शारदा के जयघोषों से गूंज रहा मैहर ,नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु नवा रहे शीश ,जानें 51 शक्तिपीठों में शामिल मैहर के नामकरण महात्मय ……..

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज मैहर । (भुवनेश्वर महतो)। जय माता दी के जयकारों से त्रिकुटवासिनी मां शारदा का दरबार गूंज उठा। अवसर था बासंती नवरात्रि के पावन पर्व का । 1200 मीटर ऊंचे सुरम्य वनों से आच्छादित पथरीले पर्वत पर 1057 सीढ़ियों को जयकारे लगाते पैदल चढ़कर श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में मत्था टेक मनोवांक्षित फल की कामना की ।

सर्वविदित है कि मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर स्थित त्रिकुट पर्वत की चोटी पर माँ शारदा का मंदिर स्थापित है। 51 देवी शक्तिपीठों में से एक शारदा माता का दरबार कई रहस्यों एवं मान्यताओं से विख्यात है। मान्यता है कि सतयुग में प्रजापति राजा दक्ष के यहां माता सती का कन्या के रूप में जन्म हुआ था।भगवान शिव से द्वेष रखने वाले राजा दक्ष ने अपने दामाद भगवान शिव को अपने यहां आयोजित यज्ञ में आमन्त्रण नहीं दिया था। माता सती बिना आमन्त्रण यज्ञ में शामिल होने चली गईं थीं। जहां राजा दक्ष से शिव जी के लिए अपमानजनक व्यवहार देख माता यज्ञ कुंड में ही अपने प्राणों की आहूति देकर सती हो गईं थीं।आक्रोशित भगवान शिव ने माता सती का शव रख ताडंव किया था। जहां जहां माता के शव के अवशेष धरती पर गिरे वो स्थल शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हो गया। मैहर के त्रिकुट पर्वत पर माता के गले का हार गिरा था। जिसकी वजह से उक्त स्थल कालांतर में माई हार के नाम से जाना जाने लगा। समय के साथ साथ उक्त पावन स्थल का नामकरण मईहर हो गया था। और आधुनिक युग में मैहर के नाम से जाना जाता है। माँ के गुफा में आज भी एक अखंड ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित है । माता शारदा की अद्भुत महिमा ही है कि आस्थावान संतानहीनों को संतान सहित अन्य नेक मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता की इस महिमा से वाकिफ भक्तों की सालभर यहां दर्शन निमित्त आगमन होता है। खासकर नवरात्रि के पावन पर्व में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु माता शारदा के दरबार के दर पर शीश नवाते हैं। पावन चैत्र नवरात्रि में भी लाखों की संख्या में माता शारदा के दरबार में भक्तों का दर्शन निमित्त भींड़ उमड़ रही। मन में मां के प्रति सच्ची श्रद्धा लिए भक्तगण मां के दरबार जयकारे लगाते पहुंच अपना जीवन धन्य बना रहे ।दर्शन पूर्व 1057 सीढ़ियों के सफर में जगह जगह आस्थावान सेवा समितियां ,मारवाड़ी सेवा संस्थान पेजयल प्रसाद का प्रबंध के सेवा भावना का परिचय दे रही हैं। मंदिर के नीचे भव्य मेला लगा है जहाँ प्रसाद एवं अन्य सामग्रियों का बाजार सजा है । नवरात्रि में तमाम एक्सप्रेस व लोकल ट्रेनें मैहर में ठहराव हो रहा है।

आल्हा उद्दल करते हैं प्रथम पूजा ,आज भी हैं प्रमाण

मैहर स्थित माता शारदा के दरबार में आज भी आल्हा उद्दल अखाड़ा में लड़ आल्हा ताल में स्नान कर माता शारदा की प्रथम पूजा करते हैं। माता के चरणों मे कभी पुष्प कभी प्रसाद तो कभी बिना पवन के झोंकों के विशाल घण्टा बज इसके प्रमाण पुजारियों ने स्वयं देखा है । आज भी आल्हा ताल और आल्हा अखाड़ा को देखने श्रद्धालु लालायित नजर आते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए रोप -वे की भी सुविधा

मैहर स्थित माता शारदा के दर पर पहुंचने वाले भक्तों के लिए पैदल व रोप -वे की भी सुविधा है। रोप -वे में निर्धारित शुल्क देकर महज 5 मिनट में ही मंदिर त्रिकुट पर्वत पर विराजित मां शारदा के दरबार में पहुंचा जा सकता है। पर्व में रोप -वे से दर्शन निमित्त जाने के लिए भक्तों को 3 से 4 घण्टे तक इंतजार करना पड़ सकता है।