बिलासपुर । एक तरफ ढाई ढाई साल का मुद्दा बाबा का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा तो वहीं अब दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मंत्री टीएस सिंह देव की तकलीफ है और बढ़ा दी है।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के नोटिस के बाद अब छत्तीसगढ़ की सियासत भी गर्म आने लगी है। बता दें कि मामला एक सार्वजनिक तालाब को काटकर उसे टुकड़ों में बेचने से जुड़ा हुआ है। अगर नोटिस की माने तो 11 अप्रैल से पहले व्यक्तिगत तौर पर पी सिंह देव को उपस्थित होकर जवाब देने के निर्देश दिए गए है। वरना एक तरफा कार्यवाही की बात कही गई है।
जानें मामला ?
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के खिलाफ हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। नोटिस में हाईकोर्ट ने सिंहदेव को व्यक्तिगत रुप से या फिर अधिवक्ता के माध्यम से 11 अप्रैल तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली तनु नीर समिति के द्वारा हाईकोर्ट में टीएस सिंहदेव के खिलाफ रिट पिटीशन दाखिल की गई है। याचिका में सिंहदेव के खिलाफ तालाब को पाटकर जमीन बेचने का आरोप लगाया गया है। याचिका पर हाईकोर्ट ने सिंहदेव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
52.06 एकड़ का तालाब कहाँ गया ?
मामला शहर के बीचों बीच स्थित 52.06 एकड़ में फैले शिव सागर मौलवी बांध की जमीन का है। इसकी जमीन टीएस सिंहदेव के नाम पर है। तरू नीर समिति ने बिलासपुर हाईकोर्ट में 20 मार्च को याचिका दाखिल किया था।मामले में हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कोर्ट ने सिंहदेव को व्यक्तिगत रुप से या फिर अधिवक्ता के माध्यम से 11 अप्रैल तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।इसके साथ ही कोर्ट ने नोटिस में कहा है कि अगर तय समय सीमा में जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया तो मामले में हाईकोर्ट याचिका की सुनवाई करते हुए उस पर एकतरफा फैसला लिया जाएगा