जांजगीर चांपा । जिले में प्रशासन ने एक बार फिर नाबालिग लड़की की शादी रुकवाई है। पामगढ़ क्षेत्र के मेंऊ गांव में 14-15 साल की नाबालिग लड़की की शादी होने की सूचना के बाद प्रशासन की टीम पुलिस के साथ मौके पर पहुंची और परिजन को समझाइश दी, जिसके बाद नाबालिग लड़की की शादी रोकी गई।
दरअसल महिला व बाल विकास विभाग, जिला बाल कल्याण अधिकारी की टीम पुलिस के साथ पहुंची और लड़की के बारे में परिजन से पूछताछ की तो उसकी उम्र 14-15 निकली। इसके बाद, परिजन को बाल विवाह कानून और उसके दुष्परिणाम के बारे में बताया गया। इसके बाद नाबालिग लड़की की शादी रोकी गई।यहां भुईगांव से बारात पहुंची हुई थी। आपको बता दें, 15 दिन पहले बम्हनीडीह ब्लॉक के पुछेली गांव में प्रशासन ने नाबालिग की शादी रुकवाई थी। जिले में इससे पहले भी कई नाबालिग लड़की की शादी रुकवाई जा चुकी है।
बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान
देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग सहित पुकिस नहीं कर रही जागरूक
जिले में युवकों के बाल विवाह का मामला बिरले ही सामने आता है। इस तरह का मामला सामने आने से स्पष्ट है कि लोगों में अभी भी विवाह के लिए निर्धारित आयु को लेकर जागरूकता का अभाव है। महिला एवं बाल विकास विभाग पुलिस को सँयुक्त रूप से इस दिशा में संजीदगी से जागरूकता अभियान /कार्यक्रम चलाने की जरूरत है ।