कोरबा । पुलिस की वर्दी और कड़क मिजाज के पीछे एक नरम दिल/रहम दिल इंसान भी छिपा होता है। समाज में हालातों के अनुसार खुद को ढालने वाली पुलिस वक्त पड़ने पर अनजान लोगों के लिए रिश्ते निभाने से भी नहीं चूकती। आज जब अनेक मामलों में रिश्ते ही खून के प्यासे हो गए हैं,लोग अपनों की खोज खबर नहीं रखते तब ऐसे वक्त में अनजान अज्ञात वृद्धा के लिए मानवता की एक मिसाल कोरबा जिला पुलिस बल में पदस्थ एएसआई ने उसका बेटा की तरह बनकर पेश की है।
करीब 60-65 वर्षीय वृद्धा का शव 21 अगस्त 2023 की शाम लगभग 4.30 बजे दर्री की ओर से आने वाले गर्म पानी के नहर में बहते हुए सर्वमङ्गला नहर तक आया था। वृद्धा के दाए हाथ और पैर में गोदना गोदाया हुआ है। उसकी पहचान कराने की काफी कोशिश की गई लेकिन आज पर्यन्त न तो शिनाख्त हो सकी और न ही किसी लापता वृद्धा की तलाश करते हुए कोई परिजन थाना या चौकी पहुंचे।
अंतिम समय में उसे न तो परिजनों का सहारा मिला और न ही कंधा। 4 दिन से इस अज्ञात वृद्धा का शव जिला अस्पताल की मर्च्युरी में पहचान होने और परिजनों के इंतजार में पड़ा रहा। आखिरकार जब शव खराब होने की स्थिति में पहुंचने लगा तो अपने उच्च अधिकारियों एसपी यू.उदयकिरण को अवगत कराते हुए उनके मार्गदर्शन में सर्वमंगला पुलिस सहायता केन्द्र के प्रभारी एएसआई विभव तिवारी ने मानवता के नाते अज्ञात वृद्धा के लिए एक बेटे की तरह फर्ज निभाया। उन्होंने शव को यूँ ही किसी वाहन में लादकर आसपास ले जाकर दफन कर देने की औपचारिकता नहीं निभाई बल्कि अर्थी बनवाकर उस पर पुष्पांजलि अर्पित कर कांधा देते हुए अंतिम यात्रा श्मशान घाट तक निकाली और सद्गति की प्रार्थना करते हुए अंतिम विदाई दी। एएसआई ने सहकर्मी एएसआई प्रकाश रजक, आरक्षक उमेश डडसेना और सुखनंदन टंडन के साथ अज्ञात वृद्धा की अर्थी को कांधा दिया। स्थानीय मोहल्लेवासी उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
पुलिस सहायता केन्द्र के निकट स्थानीय मुक्तिधाम में विधि-विधान के साथ वृद्धा का अंतिम संस्कार किया गया। जिला पुलिस के इस मानवीय और सहृदयी कार्य की जहां स्थानीय लोगों ने प्रशंसा की है वहीं एएसआई विभव तिवारी ने कहा है कि उन्हें इस तरह के सामाजिक कार्यों की प्रेरणा अपने उच्च अधिकारियों से मिलती रहती है।