मुखाग्नि देने गए थे अव्यवस्था देख हुए इतने व्यथित ,मुक्तिधाम की बदल दी तस्वीर

कोरबा । जीवन के अंतकाल में मुक्तिधाम से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। मुक्तिधाम में व्याप्त अव्यवस्था और गंदगी का आलम यहां आने वाले शोकाकुल परिजनों सहित शुभचिंतकों को पीड़ा देता है। ऐसी ही पीड़ा से रूबरू हुए युवाओं ने मिलकर पोड़ीबहार मुक्तिधाम की तस्वीर कुछ दिनों के भीतर बदल कर रख दी। इनके कार्यों की सराहना हो रही है।

1 अगस्त को राजेश बसवतिया की माता का दाह संस्कार करने निहारिका व कोरबा के अग्रवाल समाज व अन्य समाज के लोग पोड़ीबहार के मुक्ति धाम में पहुँचे थे। वहाँ पर पसरी गंदगी व पूरे परिसर में अस्त-व्यस्त व्यवस्था को देखकर कुछ युवाओं को बहुत पीड़ा हुई। 4 युवाओं ने इस परिसर के कायाकल्प करने का संकल्प लिया और फिर अगले दिन से ही इस मुक्तिधाम में चारों सदस्यों ने इसका प्रारूप बना कर वाट्पअप ग्रुपों के माध्यम से लोगों से सहयोग की अपील की।
देखते ही देखते काफ़ी लोगों ने इसमें अपनी रुचि दिखाते हुए लगने वाले सामान व नगद राशि का सहयोग देने के लिए सहमति शुरू कर दी। अगले दिन से ही पूरा सिविल कार्य, गार्डन का कार्य, पानी टंकी व नलों का काम, पूरे परिसर के रंगरोगन का कार्य पूरी गति से शुरू हो गया।


प्रारंभिक कार्य में जयंत अग्रवाल, सुनील जैन (टोनी), राधेश्याम अग्रवाल (पिंटू), दिव्यानंद अग्रवाल (डब्बू), राजेश बसवतिया (बल्लु) व शंकर ने मिलकर इस कार्य को अंजाम देना शुरू किया। इसके बाद एक समिति का निर्माण किया गया जिसे पोड़ीबहार मुक्तिधाम सेवा समिति से नामांकित किया। इस समिति में राजेश अग्रवाल (आँचल), राजेश अग्रवाल (कंप्यूटर), नितिन अग्रवाल (चश्माघर), प्रदीप अग्रवाल, एसके सेठ, राजन बर्नवाल, बंटी चावलानी, नीरज अग्रवाल व अशोक अग्रवाल को मिलाकर कुल 16 सदस्यों ने मिलकर मुक्तिधाम की तस्वीर पूरी तरह बदल दिया।

9 लाख रुपए खर्च कर दी सर्वसुविधा

समिति के सदस्यों ने बताया कि मुक्तिधाम में दाह संस्कार के लिए लकड़ी व गोबर के कंडे परिसर में ही उपलब्ध करवाया गया है। अभी तक कुल 9 लाख रुपए व्यय कर परिसर में पानी, यूरिनल, स्वच्छ व सुन्दर गार्डन का निर्माण, शव हेतु ग्रेनाइट का स्टैंड, लोहे की गार्डर सब लगवा कर पूर्ण रूप से यह परिसर स्वच्छ व सुंदर बना दिया गया है। समिति के सदस्यों ने बताया कि आगे भी परिसर की पूर्ण देखभाल समिति करती रहेगी। लोगों से अपील भी की गई है कि वे ज़्यादा से ज़्यादा इस पुनीत कार्य में सहभागी बनें व हर तरह का सहयोग व अपने मार्गदर्शन समिति को देते रहें।