दिल्ली । कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी ‘लड़कियां यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखें’ इसपर अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिक्रिया दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के इस फैसले की आलोचना की है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि, ‘लड़कियों को यौन इच्छाओं (सेक्स) पर कंट्रोल रखना चाहिए, दो मिनट के सुख के लिए उसे खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी पर कहा है कि, ‘ऐसे फैसला लिखना बिल्कुल गलत है। और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे फैसले समस्याग्रस्त हैं। फैसले में लागू कानूनी सिद्धांत भी सवालों के घेरे में है।’
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय एस ओका और उज्जल भुइंया की पीठ ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई के दौरान कहा, ”देखिए किस तरह के ये फैसले हैं, न्यायाधीशों ने किस तरह के सिद्धांतों का आह्वान किया है! हाई कोर्ट का कहना है कि POCSO धारा में संशोधन किया जाना चाहिए और चूंकि इसमें संशोधन नहीं किया गया है, वे धारा 482 के तहत शक्ति का प्रयोग करेंगे… ऐसी अवधारणाएं कहां से आती हैं, हम नहीं जानते। हम इसे संबोधित करना चाहते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने ऐसी टिप्पणियों को अत्याधिक आपत्तिजनक और अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि ये गैर-जरूरी और संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ भी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ”जजों को फैसला सुनाते वक्त, अपने व्यक्तिगत विचार और उपदेश देने से बचना चाहिए। हमारा मानना है कि जजों को फैसले में अपने विचारों की छवि नहीं आने देनी चाहिए। ऐसी उपदेश देने की अपेक्षा नहीं होती है।
सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के 18 अक्टूबर 2023 के फैसले के खिलाफ दालत में अपील दाखिल की है। पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने कोर्ट को बताया कि, सरकार की ओर से दाखिल अपील अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।