सुकमा । छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोकतंत्र का महापर्व मनाया गया । लोकसभा चुनाव के महापर्व में बस्तर के हर जिले में मतदाता मतदान करने पहुंचे। और महिला पुरुषो सहित सभी लोगों ने लोकतंत्र के इस महापर्व पर वोटिंग किया और अपना कर्तव्य पूरा किया। लेकिन इसी बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही हैं। जहां एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां लोकतंत्र के महापर्व की आहुति में किसी भी ग्रामीण ने हिस्सा नहीं लिया। और किसी में इतनी हिम्मत न थी की वह बाहर आकर मतदान करें। मतदान के नाम से ग्रामीणों ने दूरी बना ली है।
इस गांव का नाम है पूवर्ती गांव,जो नक्सली कमांडर हिड़मा का पैतृक गांव है। हिड़मा के गांव में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था। गांव में एक भी ग्रामीण मौजूद नही था। सभी घरों में ताला लगा था। पूवर्ती अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से पूवर्ती के पोलिंग बूथ को सिलगेर में शिफ्ट किया गया है।
गौरतलब हैं कि पूवर्ती पोलिंग बूथ के अंतर्गत तीन गांव आते हैं। इनमें खुद पूवर्ती, टेकलगुडेम और जोनागुड़ा शामिल हैं। इस बूथ में कुल मतदाता की संख्या 547 है। जिसमें पुरुषों की संख्या 353 और महिलाओं की संख्या 294 है। इसके बावजूद भी एक भी वोट बूथ में नहीं पड़ा है। इस इलाके में जगह-जगह नक्सलियों के बैनर पोस्टर लगे हैं। इन बैनरों में नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की बात कही है। इस गांव में हिड़मा का खौफ इतना है कि कड़ी सुरक्षा के बीच भी किसी भी ग्रामीण ने वोट नहीं डाला।