परिणाम की घड़ी नजदीक आते ही बढ़ने लगी धड़कनें,कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं ,भाजपा में कोपभाजन का डर !

कोरबा। 1 जून को लोकसभा निर्वाचन-2024 के लिए सातवें चरण का मतदान होना है। इसके बाद मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। 48 घण्टे बाद 4 जून को देश के राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों सहित नेताओं की मेहनत का परिणाम सबके सामने होगा। समर्थकों का गुणा-भाग तेज हो गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य की 11 लोकसभा में शामिल कोरबा लोकसभा क्षेत्र में भी सुगबुगाहट अब बढ़ने लगी है। तीसरे चरण में मतदान के बाद खामोश बैठे आम लोगों में भी खलबलाहट शुरू हो गई है। कांग्रेस, भाजपा, गोंगपा, बसपा से लेकर अन्य दलों-निर्दलीय प्रत्यशियों के समर्थकों की धड़कनें तेज होने लगी हैं। पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ताओं को बेसब्री से 4 जून का इंतजार है। ईवीएम में मतदाताओं द्वारा कैद की गई प्रत्याशियों की किस्मत की पर्ची किसे अगला सांसद बनाएगी यह अभी vvpat के गर्भ में है लेकिन कांग्रेस और भाजपा के लोग अपनी-अपनी जीत के प्रति पूर्ण आश्वस्त नजर आ रहे हैं। किसका पलड़ा कितना भारी है,यह तो 4 जून बताएगा लेकिन दलीय लोग अपना वजन बढ़ा मान कर चल रहे हैं।

कोरबा का परिणाम महत्वपूर्ण

कोरबा लोकसभा का परिणाम चुनावी परिदृश्य में काफी अहम होगा। कांग्रेस की सांसद ज्योत्स्ना चरणदास महन्त के साथ भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सरोज पांडेय का सीधा मुकाबला हुआ है। कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं श्रीमती प्रियंका गांधी,सचिन पायलट, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, महिला कांग्रेस की नेत्रियां पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया, महिला कांग्रेस अध्यक्ष फ़ूलोंदेवी नेताम आदि प्रादेशिक नेताओं के सामने भाजपा के राज्य सरकार के मंत्रियों और राष्ट्रीय नेताओं से लेकर सीएम विष्णुदेव साय, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बाद केंद्रीय गृहमंत्री भाजपा के चाणक्य अमित शाह,उत्तर प्रदेश -बिहार- झारखण्ड के नेताओं के अलावा खुद सरोज पांडेय का दुर्ग से आया राजनीतिक अमला माहौल बनाते रहे। सरोज पांडेय के लिए जितनी मेहनत-मशक्कत की गई है,उतना भाजपा के दूसरे उम्मीदवारों के लिए शायद ही हुआ हो क्योंकि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दूसरे क्रम की पदाधिकारी भी हैं। जनचर्चा है कि कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है, वह अपनी बढ़त बनाती दिख रही है लेकिन भाजपा नेताओं के लिए परिणाम खास मायने रखेगा। गृहमंत्री अमित शाह भी कोरबा को कठिन सीट मान चुके हैं। पूरे चुनाव तक बाहरी और स्थानीय का जो मुद्दा छाया रहा, उसने भाजपा के नेताओं को अब तक बेचैन कर रखा है कि कहीं दीदी के कोपभाजन का शिकार न होना पड़े। वैसे पूरे चुनाव में बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप भी भाजपा की तरफ से देखने को मिलता रहा।