एसईसीएल कुसमुंडा विस्तार परियोजना :भू;अर्जन के बदले खातेदारों की मुआवजा राशि तय ,आवेदन में देरी पर नौकरी की प्रक्रिया में होगा विलंब

कोरबा। खदान प्रभाावितों के जरूरी दस्तावेजों के साथ मुआवजा लेने आवेदन में देरी करने पर नौकरी की प्रक्रिया में भी विलंब होगा। एसईसीएल कुसमुंडा एरिया प्रबंधन ने पड़निया व रिसदी के प्रभावित खातेदारों को सूचना जारी कर कहा है कि इसके लिए भूविस्थापित स्वयं जिम्मेदार होंगे। दोनों ही गांव के प्रभावित खातेदारों का मुआवजा राशि तय कर दिया गया है।

एसईसीएल कुसमुंडा खदान का खोडरी, पाली, पड़निया, रिसदी की जमीन अधिग्रहित कर विस्तार किया जाएगा। एसईसीएल कुसमुंंडा एरिया ने ग्राम रिसदी की 1 लाख 58 हजार 311 हेक्टेयर और पड़निया की 235.343 हेक्टेयर जमीन 29 मार्च 2010 के तहत जमीन का अर्जन कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन एवं विकास) से किया गया है। पड़निया में 651 खातेदार तो रिसदी में 398 खातेदारों का मुआवजा राशि स्वीकृत किया है। जरूरी दस्तावेजों के साथ एसईसीएल कुसमुंडा एरिया मुख्यालय में प्रभावित खातेदारों को आवेदन करना होगा। ताकि तय मुआवजा राशि का भुगतान एसईसीएल कर सके। यह देखने में आया है कि मुआवजा राशि के आहरण में भूविस्थापितों के द्वारा एरिया मुख्यालय पहुंचकर आवेदन करने में देरी की जाती है। इस पर संबंधित एरिया प्रबंधन ने प्रभावित खातेदारों को सूचना जारी कर कहा है कि प्रभावित खातेदारों को मुआवजा भुगतान व परिसंपत्तियों के सर्वेक्षण बाद एसईसीएल में रोजगार देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अगर प्रभावित खातेदार के मुआवजा लेने आवेदन करने में देरी किया जाता है तो नौकरी की प्रक्रिया में विलंब होने पर वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। प्रभावितों को तय समय पर मुआवजा राशि लेने कहा है। मुआवजा राशि में अंतर पर भूविस्थापितों की नाराजगी सामने आ चुकी है। एसईसीएल कुसमुंडा के विस्तार से अधिग्रहित गांव पड़निया के नजदीक ही पाली गांव है। पाली के भूविस्थापितों ने पूर्व में यह कहकर नाराजगी जता चुके हैं कि उन्हें 10 साल पुराने बाजार दर पर मुआवजा दिया जा रहा है। बता दें कि घटते क्रम में सूची तैयार कर पात्र भूविस्थापितों को नौकरी मिलती है। इससे छोटे खातेदार नौकरी से वंचित हो जाते हैं। इनके मुआवजा राशि लेने समय रहते आवेदन नहीं करने से नौकरी की प्रक्रिया आगे बढ़ाने में विलंब होता है।भूविस्थापितों ने जमीन अधिग्रहण नीति को सुधारे जाने की मांग कर चुके हैं। ताकि नियम व शर्ते बदलने पर छोटे खातेदारों को लाभ मिल सके। भूविस्थापित संगठनों के नेतृत्व में प्रभावितों ने कंपनी मुख्यालय के बाहर भी प्रदर्शन कर चुके हैं और कोल इंडिया के जमीन अर्जन की उस पॉलिसी को रद्द करने की मांग कर चुके हैं जिसमें छोटे खातेदार एसईसीएल में रोजगार पाने से छूट जाते हैं।