चयन समिति और बाबुओं के खेल में उलझ गए अधिकारी..!
कोरबा। कोरबा जिले में कोरबा सहित कटघोरा, पोड़ी उपरोड़ा जनपद पंचायत के माध्यम से वर्ष-2007 और इससे पहले व बाद में हुई शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्तियों को लेकर शिकायतों का दौर थम नहीं रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भर्तियों के दौरान हुई गड़बड़ी में चयन समिति और चन्द बाबुओं के खेल में अधिकारी उलझ कर रह गये हैं और विभाग की भद्द अलग पिट रही। सवाल कायम है कि आखिर गड़बडिय़ों के लिए आखिर मूलत: कौन-कौन जिम्मेदार है, और इन पर शासन-प्रशासन क्या संज्ञान लेगा?
कटघोरा जनपद के रिकार्ड जहां जर्जर जनपद कार्यालय भवन की भेंट चढऩा बताया गया है तो वहीं पोड़़ी उपरोड़ा में शिक्षाकर्मी भर्ती का रिकॉर्ड दीमक चाट गए हैं। अब कोरबा जनपद में उजागर हुई भर्ती में गड़बड़ी का मामला सामने आया है और जारी पत्र क्रमांक 562 में 10 प्रधान पाठकों के प्राप्तांकों में अंतर के आधार पर कार्यवाही में हीला हवाला, भेदभाव के आरोप लगने लगे हैं। चार प्रधान पाठकों को निलंबित कर देने के बाद जहां ये लोग हाईकोर्ट चले गये हैं वहीं दूसरी तरफ 6 प्रधान पाठकों पर विभागीय कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही हैैैैैैैैैै। इनमें तो 2 प्रधान पाठकों के रिकार्ड ही जनपद में अनुपलब्ध हैं। आखिर रिकॉर्ड को जमीन खा गई या आसमान निगल गया। यहां दीमक जैसी भी कोई बात नहीं है और न ही जर्जर भवन। अंतत: इस पूरे मामले से जुड़े जनपद सीईओ, खण्ड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी एक-दूसरे पर ठीकरा फोडक़र शेष 6 प्रधान पाठकों को कहीं न कहीं क्लीन चिट देते हुए अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। जानिए क्या कहा इन अधिकारियों ने…
बीईओ ने कुछ क्यूरी बाकी बताया है
जनपद से रिकॉर्ड मिलना बाकी : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी टी पी उपाध्याय का इस मामले में कहना है कि 4 प्रधान पाठकों के लिए विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को प्रस्तावित किया गया था। इन चारों के लिए बीईओ से स्पष्ट अभिमत था इसलिए कार्रवाई की गई, बाकी के प्रतिवेदन को मैं देख नहीं पाया हूं…बाकी जैसा प्रतिवेदन होगा उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। शेष 6 प्रधान पाठकों के मामले में बीईओ ने कुछ क्यूरी बाकी बता दिए हैं, उसको दिखवाता हूं कि क्या मामला है। प्राप्तांकों के अंतर के आधार पर जनपद सीईओ के पत्र अनुसार सभी 10 लोगों पर एक समान कार्रवाई के सवाल पर डीईओ ने कहा कि बाकी कुछ रिकार्ड जनपद वालों ने नहीं दिया है, रिकॉर्ड भी चाहिए उसके साथ-साथ, रिकॉर्ड मंगाए गए हैं।
शिक्षा विभाग का मामला, कार्रवाई उसी का अधिकार : सीईओ
कोरबा जनपद की सीईओ इंदिरा भगत ने कहा कि मूलत: शिक्षा विभाग का यह मामला है, ये हमारे शिक्षाकर्मी नहीं रह गए शिक्षक हो गए हैं, पंचायत विभाग के नहीं हैं तो इसलिए उनके डिपार्टमेंट का मामला है। जनपद से कुछ कागज नहीं आया है और क्यूरी होने संबंधी डीईओ के जवाब के सवाल पर कहा कि संविलियन के बाद अब वे कर्मचारी पूर्णत: उनके हो गए हैं। डॉक्युमेंट क्रॉस चेक होने के बाद ही संविलियन हुआ होगा, बिना वेरीफिकेशन के संविलियन किया गया है तो उसके लिए उसके लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। वे शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं और कार्रवाई उसी विभाग की बनती है। हम शिक्षाकर्मी के नियोक्ता नहीं रह गए। दो लोगों के रिकॉर्ड गायब होने के सवाल पर कहा कि 2018 में संविलियन हो गया था, सबके डॉक्युमेंट्स हमने भेज दिए थे। चूंकि 2007 का मामला है और अभी 2024 है, इन 17 वर्षों में 2-4 बाबुओं की बदली हो चुकी है तो उनकी वजह से कोई सही डाटा मुझे समझ नहीं आ रहा है इसलिए कुछ नहीं बोल सकूंगी, संबंधित बाबू राठौर आएगा तो वही बता पाएगा। लदेर रिटायर हो चुके हैं।
कार्रवाई तो जनपद पर होनी चाहिए: बीईओ
इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी संजय अग्रवाल का कहना है कि हम तो सभी का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी को दे चुके हैं। इसमें से जिनका नंबर सही है उन पर कैसे कार्रवाई करेंगे। एक आदमी का गलत नंबर से चयन हुआ था,उसने श्रेणी सुधार का हमारे यहां आवेदन दिया था उसका नंबर सही दे दिया और जनपद ने भी सही बता दिया तो उसे पर कैसे कार्रवाई करेंगे। एक आदमी तो है ही नहीं, ट्रांसफर होकर हमारे यहां से चला गया है उसके नाम का दूसरा कोई था जो 2008 में भर्ती हुआ है तो उस पर कैसे कार्रवाई करेंगे। बीईओ ने यह खुलासा किया कि तीन लोग ज्यादा नंबर वाले हैं लेकिन उनका नंबर कम लिखा गया तो जनपद पर कार्रवाई होना चाहिए कि नंबर कम करके सेलेक्शन कैसे किया? जनपद ने कार्रवाई के लिए कहा है तो हमने सभी के लिए प्रस्ताव दे दिया है लेकिन नंबर कम लिखकर भर्ती करने के मामले में जनपद पर कार्रवाई होना चाहिए। BEO ने कहा कि जनपद से जो रिकॉर्ड हमको मिला है, उसी को परीक्षण करके प्रस्ताव भेजे हैं। ज्यादा नंबर वालों की पूरी जानकारी हमने दे दी है। उन्होंने कहा कि जनपद के पास सारी जानकारी है। नियुक्ति के समय का कागजात हमारे पास रहता तो उनसे क्यों मांगते। अब तो सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन हैं तो उनको देख-देख कर ही सत्यापन कर रहे हैं। जनपद हमें 2007 का पूरा रिकॉर्ड दे दे तो कहीं कोई दिक्कत ना हो। BEO ने एक प्रधान पाठक के बारे में बताया कि उनका नाम मेरिट लिस्ट में था और नंबर ज्यादा था,उन्होंने रिकॉर्ड दे दिया है,मेरिट सूची दे दी है तो कार्रवाई कैसे करें?
इन प्रधानपाठकों पर उठा है सवाल…..