गोताखोर की मर गई मानवता ! 10 हजार रुपए की खातिर डूबती जिंदगी को नहीं बचाया,हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर की मौत …

जब पैसे मिले तब तक देर हो चुकी थी,क्या मौत का जिम्मेदार मानकर पुलिस दर्ज करेगी मुकदमा..?
,मृतक स्वयं अधिकारी था, पूरा परिवार देश-विदेश में उच्च पदों पर

उत्तरप्रदेश। उन्नाव में जज के पति, आईएएस अफसर के भाई गंगा नदी में डूब गए। घटना के दौरान दोस्त ने चिल्लाकर गोताखोर (तैराक) को बुलाया लेकिन वह बचाने के एवज में 10 हजार रुपए मांगने लगा। दोस्त हाथ जोड़ता रहा, गिड़गिड़ाता रहा लेकिन अपने हुनर के मद में चूर गोताखोर पैसे के लिए शख्स को बचाने की बजाय पैसे के इंतजार में रहा। वह पहले पैसा देने की जिद पर अड़ा रहा और जब तक व्यवस्था कर पैसा फोन-पे में ट्रांसफर किया गया,वो डूब चुके थे। लालच के सामने जिंदगी हार गई। अब सवाल है कि क्या इस गोताखोर के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज होगा?

खबरों के अनुसार जो गंगा में डूब गए, उनका नाम आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव है। वे वाराणसी में हेल्थ विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।पुलिस की टीम ने गंगा में शाम 6 बजे तक उनकी तलाश की। अंधेरा होने की वजह से अब रविवार को सुबह फिर से टीम तलाश करेगी।उनकी पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र के अकोला में जज हैं। आदित्यवर्धन सिंह के चचेरे भाई अनुपम सिंह बिहार कैडर के सीनियर IAS और मुख्यमंत्री सीएम नीतीश कुमार के निजी सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव (45) बांगरमऊ क्षेत्र के कबीरपुर गांव के मूल निवासी हैं। वे लखनऊ के 16/1435 इंदिरानगर में रहते थे। शनिवार को वे मोहल्ले के ही अपने दो दोस्तों प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ कार से बिल्हौर (उन्नाव) के नानामऊ घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे। नहाते समय अचानक वे गहरे पानी में समा गए।

बहन ऑस्ट्रेलिया में उच्च पद पर, चचेरे भाई गोरखनाथ मंदिर सर्किल के CO

मृतक आदित्यवर्धन की बहन ऑस्ट्रेलिया में उच्च पद पर तैनात हैं। उनके पिता रमेश चंद और मां शशिप्रभा कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया गए थे। पिता नहर विभाग में JE पद से रिटायर हैं। गांव के परिजन ने जब उन्हें घटना की सूचना दी तो माता- पिता बिलख-बिलख कर रोने लगे। वे ऑस्ट्रेलिया से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। आदित्यवर्धन के चहेरे भाई योगेंद्र सिंह नीरज PPS अफसर हैं। वे गोरखपुर के गुरु गोरखनाथ मंदिर सर्किल के डीएसपी हैं।

तैराक चाहता तो आदित्यवर्धन बच सकते थे

घटना के समय मौके पर मौजूद प्रदीप तिवारी ने बताया कि गहरे पानी में डूबते देख स्थानीय तैराक ने उन्हें बचाने के लिए 10 हजार रुपए की मांग की। मैंने रुपए ट्रांसफर भी कर दिए, लेकिन तैराक ने जानबूझकर लापरवाही बरती। अगर वह चाहता तो आदित्यवर्धन को बचाया जा सकता था। घटना की जानकारी मिलते ही बांगरमऊ विधायक श्रीकांत कटियार मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। कानपुर प्रशासन के कई वरिष्ठ अफसर भी मौके पर पहुंचे और युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाया। प्रशासन ने मोटरबोट और स्थानीय गोताखोरों की मदद से भी उनकी तलाश की। गंगा में डूबे डिप्टी डायरेक्टर के परिजन ने कानपुर नगर के कमिश्नर को फोन कर NDRF टीम भेजने की मांग की।

तैराक की बेशर्मी, बोला- पैसा वापस कर दिया

इधर शैलेश कश्यप ने बड़ी बेशर्मी से बताया कि घाट के किनारे मेरी दुकान है। 5-6 गोताखोर मेरी दुकान में बैठे थे। यहां पर उन्होंने डूबने वाले के दोस्तों से बात की। उनके पास नकद पैसा नहीं था, इसलिए ऑनलाइन मेरे अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया गया। बाद में हमने पैसा वापस कर दिया। विधायक जी आए थे, वह नाराज हो रहे थे कि पैसे क्यों लिए?
प्रधान पति रामसनेही कनौजिया ने बताया कि डिप्टी डायरेक्टर उनके ग्राम सभा के रहने वाले थे। ये लोग शनिवार सुबह 4 बजे लखनऊ से निकले थे। यहां साढ़े 5 बजे आ गए थे। इसके बाद तीनों नहा रहे थे। इसी दौरान गहरे पानी में जाने से हादसा हो गया। टीम उनकी तलाश कर रही है। अभी तक पता नहीं चल पाया है। NDRF और लोकल गोताखोर लगे हैं।

देर शाम तक ऐसे चला रेस्क्यू

नाविकों और गोताखोरों ने फ्लड PAC और SDRF की टीम के साथ शाम साढ़े 6 बजे तक काफी तलाश की। गंगा नदी के किनारे के इलाके सर्च किए गए। संभावित डूबने के स्थान और उसके कैचमेंट एरिया में कांटे डाल करके बार-बार स्टीमर चलाई गई। राउंड-राउंड ट्रिप करके भी तलाश की गई, लेकिन आदित्यवर्धन का पता नहीं चला। अब रविवार सुबह सभी टीमें खोजबीन शुरू करेंगी। गंगा के किनारे के सभी थानों शिवराजपुर, चौबेपुर, बिठूर, नवाबगंज, कोहना को भी सूचित कर दिया गया है।