रेलवे की अनदेखी त्यौहारी सीजन में पड़ रही भारी,मेमू लोकल में पैर रखने तक की जगह नहीं ,800 की क्षमता वाले कोच में सफर कर रहे 1600 यात्री ,घोषणा के बाद भी नहीं बढ़ी रैक

कोरबा। मेमू लोकल आज भी पारंपरिक पैसेंजर रैक के साथ ही चल रही है। रायपुर डिवीजन द्वारा 6 साल पहले ही इस गाड़ी में 8 से बढ़ाकर 12 रैक करने की घोषणा की जा चुकी है। पारंपरिक पैसेंजर रैक को तेज गति से चलने वाली मेमू रैक में बदलने की घोषणा दिसंबर 2023 में बिलासपुर मंडल प्रबंधक भी कर चुके हैं।

मेमू का पारंपरिक रैक और कोच नहीं बदलने का असर यह है कि रायपुर से कोरबा व बिलासपुर से कोरबा के बीच चलने वाली मेमू लोकल जिसकी यात्री क्षमता 800 की है, उसमें 1600 से भी अधिक यात्री रोजाना सफर कर रहे हैं। तत्यौहारी सीजन शुरू होने के साथ ही रायपुर से शाम 6.30 बजे छूटकर कोरबा रात 11.20 बजे पहुंचने वाली रायपुर-कोरबा पैसेंजर के साथ ही बिलासपुर से शाम 6.40 बजे छूटकर कोरबा रात 8.50 बजे पहुंचने वाली मेमू स्पेशल में यात्रियों की अप्रत्याशित भीड़ बनी हुई है। रेल सुविधा के नाम पर कोरबा जिले के लोग डिवीजन ही नहीं, पूरे जोन में सबसे अधिक ठगे जा रहे हैं। बिलासपुर जोन में सबसे अधिक राजस्व देने वाला स्टेशन होने के बाद भी विषम स्थिति से यहां के लोग उबर नहीं पा रहे हैं।इससे दिन और रात में चलने वाली गाडिय़ों में सफर के दौरान धक्का खाने को यात्री मजबूर हैं। रेलवे प्रशासन समाधान की दिशा में पहल नहीं कर रहा है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस की सांसद मांग तो करती हैं, लेकिन उनकी मांगों को न तो सदन में रेल मंत्री और न ही जोन के अफसरों से तवज्जो मिल रही है।