कोरबा नगर निगम में खेला !अधीक्षणअभियंता एमके वर्मा पर गंभीर आरोप,1500 की जगह 600 मीटर सड़क बनवाया,लागत बढाकर घटाई लंबाई,श्रद्धा कंस्ट्रक्शन सवालों के घेरे में ….

नगर निगम कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम खान ने उजागर की अनियमितता ,पीएमओ में शिकायत के बाद जांच के आदेश

कोरबा। नगर निगम कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम खान ने नगर निगम के अधीक्षण अभियंता एम.के वर्मा के करोड़ों के भ्रष्टाचार की पोल खोली है। असलम खान द्वारा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग,रायपुर के संचालक, कोरबा कलेक्टर और निगम आयुक्त को शिकायत की है।

शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में पदस्थ अवर सचिव मनोज कुमार मिश्रा को जांच करने का आदेश जारी किया गया है जिसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय से असलम खान को भी प्राप्त हुई है।
एमके वर्मा के द्वारा सड़क निर्माण कार्य में भारी घोटाला किया गया है। निर्माण कार्य में मानक दर्जे के इमलसन का उपयोग करना था लेकिन श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी पर अधीक्षण अभियंता ने खूब श्रद्धा दिखाई और नतमस्तक हो गए। सड़क निर्माण में टैक कोट और प्राइम कोट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इमलसन हेतु शासन और लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया। पत्र में और लोक निर्माण विभाग के शेड्यूल में साफ उल्लेख है कि इमलसन का मानक दर्जा SS -1 grade IS: 8887 का उपयोग किया जाना है पर अधीक्षण अभियंता के द्वारा SS -1 grade ASTM का उपयोग करवाया गया। उक्त मानक दर्जे के इमलसन का प्रदायकर्ता से वेरिफिकेशन भी करवाना था और इनवॉइस से भी मिलान करना था परंतु अधीक्षण अभियंता द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर बलपूर्वक दबाव बनाते हुए नियमों को ताक पर रख कर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए अमानक दर्जे के इमलसन का वेरिफिकेशन भी करवा दिया गया। इसका पुख्ता दस्तावेज असलम खान ने सूचना का अधिकार के तहत निगम से प्राप्त किया था। सूचना का अधिकार के तहत जो जानकारी मिली है उसके तहत ये साफ साबित होता है कि इस घोटाले में अधीक्षण अभियंता ने पूरा षडयंत्र रचा है। अधीक्षण अभियंता एम के वर्मा ही नगर निगम कोरबा में सूचना के अधिकार के प्रथम अपीलीय अधिकारी भी हैं। मिली जानकारी के अनुसार सूचना के अधिकार के तहत जानकारी या तो कई लोगों को दी ही नहीं जाती और जिनको 4-5 महीना घुमाने के बाद दी जा रही है उनको आधी अधूरी जानकारी ही दी जा रही है।

संबंधित कार्यों में अधीक्षण अभियंता द्वारा श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किए जा रहे कार्यों का मात्र एक ही दिन में पुनरीक्षित प्राक्कलन बना कर उसको उसी दिन पारित भी कर दिया गया जबकि किसी भी सड़क के निर्माण कार्य में कोई भी आइटम बदलने से पहले उसके लिए समिती बना कर सड़क का ट्रैफिक सेंसस टेस्ट, ट्रैफिक लोड टेस्ट करना आवश्यक था। ऐसा ना करते हुए एम.के वर्मा ने घोटाला का खेल खेला।

उक्त निर्माण कार्य के आइटम में बदलाव करने के चक्कर में सड़क निर्माण की लंबाई भी घटा दी गई। जहां 1500 मीटर का सड़क निर्माण होना था वहां अधीक्षण अभियंता एम के वर्मा द्वारा सिर्फ 600 मीटर का ही सड़क निर्माण करवाया गया, क्योंकि आइटम में बदलाव करने की वजह से लागत तो बढ़ा दी गई थी पर लंबाई घटा दी गई थी।

इतना ही नहीं निगम के 99% ठेकेदार पूर्ण किए हुए कार्यों के भुगतान के लिए महीनों दर-दर की ठोकर खाते रहते हैं पर श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी का भुगतान मात्र 01 दिन में कर दिया जाता था। श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी की ऐसी कौन सी श्रद्धा में अधीक्षण अभियंता एम के वर्मा लीन थे यह तो वही बता सकते हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच का आदेश आने के बाद इस घोटाले की पूर्ण जांच होने तक अधीक्षण अभियंता का मासिक भुगतान, निगम द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सुविधाओं और पेंशन आदि पर तत्काल रोक लगाया जाना अति आवश्यक है। शासन को हुए करोड़ों के नुकसान की पूर्ण भरपाई अधीक्षण अभियंता एम के वर्मा से वसूल की जानी चाहिए। श्री वर्मा के द्वारा अभी दो सड़क की जानकारी सूचना का आधिकार के तहत नहीं दी गई है।