रिश्वतखोरी की समस्या का नहीं हो सका “निदान”

पटवारी एवं बीट गार्ड के खिलाफ कलेक्टोरेट में सोमवार को गूंजी भ्रष्टाचार की गूंज ,सलिहाभांठा ,पकरिया के आदिवासियों ,रामाकछार ,तेलसरा के पंडो ने की शिकायत

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । कोरोना संक्रमण काल में साल भर तक अपने निवास क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की मांगों , समस्याओं ,एवं शिकायतों का समाधान करने आयोजित की गई क्लस्टर स्तरीय निदान -36 शिविर के पहले ही दिन कलेक्टोरेट में रिश्वतखोरी की गूंज सुनाई दी । करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत सलिहाभांठा ,पकरिया के ग्रामीणों ने पटवारी की तो कटघोरा वनमण्डल के अंतर्गत आने वाले ग्राम तेेेलसरा, रामाकछार के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो ने बीट गार्ड के रिश्वतखोरी की कलेक्टर से शिकायत की । दोनों ही मामले में कलेक्टर ने जाँच के आदेश दिए हैं ।

यहाँ बताना होगा कि कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीण सालभर अपने निवास क्षेत्र में रहे। इस दौरान ग्रामीणों का अपनी मांग,समस्याओं ,शिकायतों को लेकर जनपद मुख्यालय एवं कलेक्टोरेट कार्यालय में आमदरफ्त लगभग नहीं के बराबर रही । कोरोना संक्रमण काल के हालत नियंत्रित होते ही अब जिला प्रशासन ने इन ग्रामीणों की मांग,एवं समस्याओं का उनके निवास क्षेत्र में ही जाकर शिविरों के माध्यम से निराकृत करने का निर्णय लिया है । कलेक्टर किरण कौशल के निर्देशानुसार 8 से 12 फरवरी तक जिले में क्लस्टर स्तरीय निदान -36 शिविर आयोजित किया जा रहा है । प्रत्येक क्लस्टर में 6 से अधिक ग्राम पंचायत सम्मिलित हैं । लेकिन शिविर के पहले ही दिन जिला कलेक्टोरेट कार्यालय में रिश्वतखोरी की गूंज सुनाई दी । करतला विकासखण्ड के हल्का नम्बर 7 सलिहाभांठा ,8 पकरिया के आदिवासी ग्रामीणों ने फौती नामान्तरण काटने ,चौहद्दी बनाने , रजिस्ट्री प्रमाणीकरण ,रिकार्ड दुरुस्तीकरण के नाम पर पिछ्ले 2 साल से पदस्थ पटवारी विकास कुमार जायसवाल पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया। यहाँ पटवारी ने ग्राम पंचायत सलिहाभांठा के आदिवासी किसान सत्यनारायण वरकरे से फौत काटने के लिए 20 हजार रुपए की मांग की । प्रार्थी ने इतनी राशि देने में असमर्थता जताई व 2 हजार रुपए दिया जिसे पटवारी ने लेने से इंकार कर दिया। साल भर तक सत्यनाराण अपने स्व पिता रामायण सिंह वरकरे के फौत नामांतरण के लिए भटकता रहा। इसी गांव में दिलवर वरकरे पिता मालिक वरकरे से 15 हजार रुपए की मांग की गई पैसा देने से जब प्रार्थी ने इंकार किया तो पटवारी ने रकबे की ऑनलाइन प्रविष्टि नहीं की। जिसके कारण प्रार्थी शासन को अपना धान नहीं बेच सका । लक्ष्मण सिंह पिता अनंद सिंह गोंड से फौत प्रमाणीकरण के नाम पर 10 हजार रुपए की मांग की गई । प्रार्थी ने इतनी बड़ी राशि देने में असमर्थता जताते हुए 1 हजार रुपए देना चाहा तो पटवारी ने नहीं लिया। सलिहाभांठा के ही प्रार्थी कन्हैयालाल महतो से रजिस्ट्री प्रमाणीकरण के लिए 5 हजार रुपए लेने के एक साल बाद प्रमाणीकरण किया गया। प्रार्थी सम्मेलाल यादव से जमीन की चौहद्दी बनाने के नाम पर 5 हजार रुपए लिया गया। प्रमाणीकरण के नाम पर भी 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई । रिश्वत नहीं देने पर आज एक बीतने के बाद भी प्रमाणीकरण नहीं किया गया है । ग्राम पंचायत पकरिया के उप सरपंच रमेश सिंह पटेल पिता चैतू से रिकार्ड दुरुस्तीकरण के नाम पर 10 हजार रुपए लिया गया। नर्मदा प्रसाद पिता लक्ष्मण पटेल से चौहद्दी के लिए 5 हजार रुपए पटवारी ने ले लिया । रिश्वरखोर पटवारी ने ग्राम के सरपंच को भी नहीं बख्शा । सरपंच वेद प्रकाश सिंह कंवर से फौती नामांतरण के लिए 5 हजार रुपए की मांग की गई थी । राशि नहीं देने पर 4 से 5 दिन घुमाया गया।

शिकायतकर्ताओं की जगह पटवारी के द्वारा बताए गए ग्रामीणों का बयान दर्ज कर लौट आया जांच दल

इस मामले की शिकायत ग्रामीणों ने 2 फरवरी को क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर से की थी। जिससे संबंधित खबरें भी प्रकाशित हुई थी। जिस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कलेक्टर किरण कौशल ने मामले की जाँच के आदेश दिए थे । प्रकरण में 3 सदस्यीय जांच दल गठित किया गया था। जिसमें नजूल तहसीलदार सह सहायक अधीक्षक भू -अभिलेख हरिशंकर यादव,सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख सुश्री पूजा अग्रवाल एवं राजस्व निरीक्षक खिलेश्वर लकड़ा जांच दल में शामिल किए गए थे। जांच दल को 7 फरवरी की शाम तक कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन सौंपना था। 7 फरवरी को जांच दल संबंधित ग्रामों में पहुंची तो जरूर पर शिकायतकर्ताओं की जगह पटवारी के साथ घूमकर अन्य ग्रामीणों का बयान दर्ज करके आ गई । जिन्होंने पटवारी के पक्ष में बयान दिया। इसकी जानकारी मिलने के बाद सोमवार को नाराज शिकायतकर्ताओं ने क्लेक्टरोरेट पहुंचकर नाराजगी जाहिर की । पूरे प्रकरण में जांच दल की भूमिका संदिग्ध है । हालांकि कलेक्टर जे निर्देश पर पुनः शिकायतकर्ताओं के पास जाकर बयान दर्ज करने की बात कही जा रही है। साथ ही यही भी कहा जा रहा समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर में शिकायतकर्ताओं का नाम उल्लेख नहीं था। जिसकी वजह से यह सब हुआ।

बीट गार्ड ने वनभूमि पट्टे के नाम पर पंडो से ली रिश्वत

रिश्वतखोरी जिले में इस कदर चरम पर पहुंच चुका है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो भी इससे अछूते नहीं रहे। उन्हें भी रिश्वतखोर नहीं बख्श रहे । कटघोरा वनमण्डल के अंतर्गत आने वाले ग्राम रामाकछार एवं तेलसरा के पंडो ने बताया कि बीट गार्ड भीमसिंह पटेल ,एवं सविता पटेल द्वारा वन भूमि दावा पत्रक बनवाने के नाम पर उनसे रिश्वत लिया गया है । एकता परिषद के जिला समन्वयक राम सिंह उईके के नेतृत्व में पहुंचे पंडों ने बताया कि उन्होंने इसकी लिखित शिकायत वन मण्डलाधिकारी कटघोरा से की थी । जिसके परिप्रेक्ष्य में जांच के निर्देश दिए गए थे। जिसकी भनक लगते ही बीट गार्ड भीम सिंह पटेल गांव में घूम घूमकर हितग्राहियों से ली गई रिश्वत उन्हें वापस कर रहे हैं और पट्टा प्रदान कर रहे हैं । उप वनमण्डलाधिकारी एवं रेंजर ने प्रकरण की जांच के लिए 4 फरवरी को गांव में बैठक आयोजित की । जिसमें कुछ गांव वाले एवं अधिकारियों द्वारा पंडो का जबरदस्ती हाथ पकड़कर अंगूठा लगवाया गया किसी से हस्ताक्षर करवाया गया। हस्ताक्षर नहीं करने पर गांव से भगा देने की धमकी दी गई । अधिकारियों द्वारा कहा गया कि आप लोग जो शिकायत किए हैं वो फर्जी है । बीट गार्ड आप लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा देगा । पट्टा नहीं देने सहित खेती बाड़ी स्थल से भगाने की धमकी दी गई । इस मामले में पंडो ने चैतमा चौकी में 5 फरवरी को शिकायत कर एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाई नहीं की। मामले में क्लेक्टर ने मामले में उचित कार्यवाई का आश्वासन दिया है । शिकायतकर्ताओं में बंधन सिंह ,राधा बाई ,बुंद कुंवर ,समरतिया बाई ,बधनी बाई,मानमति निराबाई माउसिंह ,सुकलाल ,धनसिंह सहित बड़ी संख्या में पंडो शामिल थे।