जम्मू -कश्मीर । जम्मू -कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस हमले के पीछे हाशिम मूसा नाम का पाकिस्तानी आतंकवादी है, जो पहले पाकिस्तान सेना के स्पेशल फोर्स ‘स्पेशल सर्विस ग्रुप’ (SSG) का पैरा कमांडो था. सूत्रों के मुताबिक, हाशिम मूसा अब लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के लिए काम कर रहा है. उसे पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर इसलिए भेजा गया था, ताकि गैर-स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया जा सके.
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मूसा को पाकिस्तानी सेना ने लश्कर-ए-तैयबा को “लोन” पर दिया था, जो भारत में आतंक फैलाने की साजिश का हिस्सा है.
ISI की साजिश का पर्दाफाश
पाकिस्तान के SSG कमांडो कड़ी ट्रेनिंग पाते हैं और उन्हें गुप्त ऑपरेशन, अत्याधुनिक हथियारों की हैंडलिंग और कठिन परिस्थितियों में सर्वाइवल के लिए तैयार किया जाता है. हाशिम मूसा की इस खतरनाक ट्रेनिंग का असर पहलगाम हमले में साफ दिखा, जहां उसने बेहद सुनियोजित तरीके से हमला किया. जांच में गिरफ्तार 15 कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) से पूछताछ में मूसा के सेना बैकग्राउंड की पुष्टि हुई है. इन OGWs ने मूसा और उसके साथियों को ठिकाने, लॉजिस्टिक्स और रेकी जैसी मदद दी थी. इससे साफ हो गया है कि इस हमले में ISI की सीधी भूमिका है.
गौरतलब है कि हाशिम मूसा सिर्फ पहलगाम हमले में ही नहीं, बल्कि अक्टूबर 2024 में गंगनगीर (गांदरबल) और बूटा पत्री (बारामुला) में हुए हमलों में भी शामिल था. इन हमलों में छह गैर-स्थानीय लोग, एक डॉक्टर, दो सैनिक और दो सेना के पोर्टर मारे गए थे.
बड़े स्तर पर चलाया जा रहा ऑपरेशन
इन हमलों में मूसा के साथ दो और स्थानीय आतंकी, जुनैद अहमद भट और अरबाज़ मीर भी शामिल थे, जिन्हें नवंबर और दिसंबर 2024 में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया. लेकिन हाशिम मूसा अभी भी सक्रिय है और उसके खिलाफ बड़े स्तर पर ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर पाकिस्तान की आतंकवाद को पालने-पोसने वाली भूमिका बेनकाब हो गई है. साथ ही, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की सतर्कता और ऑपरेशन तेज किए गए हैं ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके.