गुजरात। अंकलेश्वर सत्र न्यायालय ने भारतीय न्याय संहिता के तहत एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. जिसमें झगड़िया जीआईडीसी में मासूम 10 वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और क्रूर हत्या के अपराध में आरोपी विजय पासवान को सिर्फ 72 दिनों में फांसी की सजा सुनाई है. यह फैसला नए कानून के तहत राज्य में पहली फांसी की सजा के रूप में दर्ज किया गया है.
भरूच जिले के झगड़िया जीआईडीसी में 72 दिन पहले 10 वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और क्रूर हत्या की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया था. आरोपियों ने क्रूरतापूर्वक बच्ची के शरीर पर लगभग 30 घाव किया था. ये घाव रॉड से हमला करके किया गया था. ऐसे जघन्य अपराध के लिए न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा और पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह फैसला त्वरित एवं सख्त न्याय का उदाहरण बना है. इस मामले में भरूच के एसपी मयूर चावड़ा के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने विस्तृत जांच की, जिसमें 10 से अधिक अधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा. सरकारी वकील परेश पंड्या ने इस मामले को ‘रेरेस्ट ऑफ़ दी रेर’ श्रेणी में रखते हुए अदालत के समक्ष मजबूत तर्क और सबूत पेश किए थे. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने इस मामले में त्वरित एवं सटीक न्याय प्रदान करने में योगदान देने के लिए न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त किया और इस मामले में मजबूत साक्ष्य जुटाने एवं कड़ी सजा दिलाने के लिए उत्कृष्ट जांच करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी है. इस फैसले से समाज को स्पष्ट संदेश गया है कि ऐसे अपराधियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा. गुजरात सरकार ऐसे अपराध करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने, मृत्युदंड तक की सजा सुनिश्चित करने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए दृढ़तापूर्वक काम कर रही है.